Article 188 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:38:09
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 188
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 188
अनुच्छेद 188 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह विधानमंडल के सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation by members) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद) के सदस्यों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान लेने का निर्देश देता है।
अनुच्छेद 188 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसा
"प्रत्येक व्यक्ति, जो किसी राज्य की विधानमंडल के सदन का सदस्य है, अपने कर्तव्यों का पालन करने से पहले या अपने स्थान को ग्रहण करने से पहले, उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष, या उसके द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष, तृतीय अनुसूची में दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 188 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य विधानमंडल (विधानसभा और, यदि लागू हो, विधान परिषद) के प्रत्येक सदस्य अपने कर्तव्यों का पालन करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान ले। यह शपथ संविधान के प्रति निष्ठा और कर्तव्यों के प्रति समर्पण को दर्शाती है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल के सदस्यों की निष्ठा और जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडल के सदस्यों के लिए शपथ की व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में सांसदों द्वारा शपथ की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल के सदस्यों की संवैधानिक निष्ठा सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 99 (संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल के सदस्यों को संविधान और राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाता है।
3. अनुच्छेद 188 के प्रमुख तत्व: शपथ या प्रतिज्ञान: प्रत्येक सदस्य को तृतीय अनुसूची में दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ या प्रतिज्ञान करना होगा। यह शपथ राज्यपाल या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के समक्ष ली जाती है। समय: शपथ कर्तव्यों का पालन करने या स्थान ग्रहण करने से पहले ली जानी चाहिए। हस्ताक्षर: सदस्य को शपथ या प्रतिज्ञान पर अपने हस्ताक्षर करने होंगे। उदाहरण: 2025 में, नवनिर्वाचित उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्यों ने राज्यपाल के समक्ष शपथ ली।
4. तृतीय अनुसूची में शपथ का प्ररूप: प्ररूप: "मैं, [नाम], जो [राज्य] की विधानमंडल के [सदन] का सदस्य चुना गया हूँ/मनोनीत किया गया हूँ, ईश्वर की शपथ लेता हूँ/गंभीरतापूर्वक प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, जैसा कि वह विधि द्वारा स्थापित है, और मैं भारत की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूँगा, और मैं अपने कर्तव्यों का यथासंभव निष्ठापूर्वक और ईमानदारी से निर्वहन करूँगा।" विकल्प: "ईश्वर की शपथ" के स्थान पर "गंभीरतापूर्वक प्रतिज्ञान" का विकल्प है।
5. महत्व: संवैधानिक निष्ठा: सदस्यों को संविधान और राष्ट्र के प्रति जवाबदेह बनाता है। लोकतांत्रिक जवाबदेही: कर्तव्यों के प्रति समर्पण सुनिश्चित करता है। संघीय ढांचा: राज्यों और केंद्र के बीच संवैधानिक एकता। पारदर्शिता: शपथ की औपचारिकता से जवाबदेही।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: सभी राज्यों में नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली। 1990 के दशक: शपथ के प्ररूप पर चर्चा और संशोधन। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में शपथ समारोह का डिजिटल रिकॉर्ड और प्रसारण।
7. चुनौतियाँ और विवाद: शपथ का उल्लंघन: संविधान के प्रति निष्ठा के उल्लंघन पर अयोग्यता (अनुच्छेद 191)। न्यायिक समीक्षा: शपथ की वैधता और उल्लंघन पर कोर्ट की जांच। राजनीतिक विवाद: शपथ के दौरान विरोध या बदलाव के प्रयास।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संविधान की बुनियादी संरचना और निष्ठा। किहोतो होलोहान (1992): अयोग्यता और शपथ के उल्लंघन पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, शपथ समारोह की पारदर्शिता और डिजिटलीकरण पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत शपथ समारोह का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच शपथ की प्रक्रिया पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 99: संसद के सदस्यों की शपथ। अनुच्छेद 191: विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता। तृतीय अनुसूची: शपथ का प्ररूप।
11. विशेष तथ्य: शपथ: संवैधानिक निष्ठा का प्रतीक। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रसारण। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। राज्यपाल: शपथ ग्रहण का संचालक।
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