Article 187 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:36:18
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 187
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 187
अनुच्छेद 187 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्य विधानमंडल के सचिवालय (Secretariat of State Legislature) से संबंधित है। यह प्रावधान विधानसभा और विधान परिषद (यदि लागू हो) के लिए अलग-अलग सचिवालयों की स्थापना और उनके प्रशासनिक कार्यों को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 187 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) प्रत्येक राज्य की विधानसभा का एक अलग सचिवालय होगा: परंतु यह कि यदि किसी राज्य में विधान परिषद भी हो, तो विधानमंडल यह उपबंध कर सकता है कि विधानसभा और विधान परिषद के लिए एक ही सचिवालय होगा।
(2) किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, अपने सचिवालय के कर्मचारियों की भर्ती और उनकी सेवा शर्तों को विनियमित कर सकता है।
(3) जब तक इस प्रकार का कोई उपबंध नहीं किया जाता, तब तक विधानमंडल के सचिवालय के कर्मचारियों की भर्ती और उनकी सेवा शर्तें वही होंगी, जो उस समय लागू थीं, जब यह संविधान लागू हुआ।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 187 राज्य विधानसभा और विधान परिषद (यदि लागू हो) के लिए स्वतंत्र या साझा सचिवालय की स्थापना को सुनिश्चित करता है। यह विधानमंडल की कार्यवाही को प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है और कर्मचारियों की भर्ती व सेवा शर्तों को विनियमित करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक स्वायत्तता, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की प्रशासनिक स्वतंत्रता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों के लिए प्रशासनिक सहायता की व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के लिए अलग सचिवालय की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानमंडल की स्वायत्तता और कार्यकुशलता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 98 (संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानमंडल को स्वतंत्र प्रशासनिक ढांचा प्रदान करता है, जो कार्यवाही को सुचारु बनाता है।
3. अनुच्छेद 187 के प्रमुख तत्व: खंड (1): अलग सचिवालय: प्रत्येक राज्य की विधानसभा का एक अलग सचिवालय होगा। यदि राज्य में विधान परिषद भी हो, तो विधानमंडल यह तय कर सकता है कि दोनों सदनों के लिए एक ही सचिवालय हो। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद के लिए साझा सचिवालय है।
खंड (2): कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें: राज्य विधानमंडल कानून बनाकर सचिवालय के कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों को विनियमित कर सकता है। यह विधानमंडल को प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करता है। उदाहरण: 2025 में, कुछ राज्यों ने सचिवालय कर्मचारियों के लिए नए सेवा नियम बनाए।
खंड (3): अंतरिम व्यवस्था: जब तक विधानमंडल द्वारा कोई कानून नहीं बनाया जाता, तब तक सचिवालय कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें वही रहेंगी, जो संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय थीं। उदाहरण: प्रारंभिक वर्षों में कई राज्यों ने पुराने नियमों का पालन किया।
4. महत्व: प्रशासनिक स्वायत्तता: विधानमंडल को स्वतंत्र सचिवालय से कार्यकुशलता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानमंडल की भर्ती और सेवा शर्तों पर नियंत्रण। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। निरंतरता: अंतरिम व्यवस्था से प्रशासनिक स्थिरता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: अलग सचिवालय: विधानसभा के लिए। साझा सचिवालय: वैकल्पिक व्यवस्था। भर्ती: विधानमंडल का नियंत्रण। अंतरिम नियम: 1950 के नियम।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों ने अपने सचिवालय स्थापित किए। 1990 के दशक: सेवा शर्तों में संशोधन पर चर्चा। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में सचिवालय की कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: प्रशासनिक स्वायत्तता: सचिवालय पर कार्यपालिका के प्रभाव की आलोचना। सेवा शर्तें: कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर विवाद। न्यायिक समीक्षा: भर्ती और सेवा शर्तों की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। यूनियन ऑफ इंडिया बनाम दीनानाथ शांताराम (2004): विधानमंडल के सचिवालय कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, सचिवालय की कार्यकुशलता और डिजिटलीकरण पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत सचिवालय के कार्यों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच सचिवालय की स्वायत्तता पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 98: संसद के लिए सचिवालय। अनुच्छेद 178: विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष। अनुच्छेद 182: विधान परिषद के सभापति और उपसभापति।
11. विशेष तथ्य: स्वायत्तता: विधानमंडल का नियंत्रण। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रशासन। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। सचिवालय: कार्यकुशलता का आधार।
Conclusion
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