Article 185 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:25:31
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 185
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 185
अनुच्छेद 185 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह सभापति या उपसभापति का अपने हटाने के संकल्प पर विचार के दौरान अध्यक्षता न करना (The Chairman or the Deputy Chairman not to preside while a resolution for his removal from office is under consideration) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि जब सभापति या उपसभापति के हटाने का संकल्प विचाराधीन हो, तो वे सत्र की अध्यक्षता न करें, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
अनुच्छेद 185 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) किसी राज्य की विधान परिषद की किसी बैठक में, जब सभापति को उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो, तब सभापति, भले ही वह उस बैठक में उपस्थित हो, उसकी अध्यक्षता नहीं करेगा, और इस संकल्प पर विचार करने के लिए विधान परिषद के नियमों के अधीन प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
(2) उपसभापति के लिए इस अनुच्छेद के खंड (1) के उपबंध, उसी प्रकार लागू होंगे, जैसे कि वे सभापति के लिए लागू हैं, परंतु इस शर्त के साथ कि जब उपसभापति को हटाने का संकल्प विचाराधीन हो, तब सभापति उस बैठक की अध्यक्षता करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 185 यह सुनिश्चित करता है कि सभापति या उपसभापति अपने हटाने के संकल्प पर विचार के दौरान अध्यक्षता न करें, ताकि प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे। यह विधान परिषद की कार्यवाही में निष्पक्षता को बढ़ावा देता है और पक्षपात के आरोपों को रोकता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की गरिमा को सुनिश्चित करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधान परिषदों में सभापति की निष्पक्षता सुनिश्चित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ लॉर्ड्स की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ हटाने की प्रक्रिया में निष्पक्षता अनिवार्य थी।
भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधान परिषद में निष्पक्ष नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 92 (राज्यसभा के लिए) और अनुच्छेद 181 (विधान परिषद के लिए समान प्रावधान) के समानांतर है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान हटाने की प्रक्रिया में पक्षपात के जोखिम को कम करता है और विधान परिषद की कार्यवाही में विश्वास बनाए रखता है।
3. अनुच्छेद 185 के प्रमुख तत्व: खंड (1): सभापति की अध्यक्षता पर प्रतिबंध: जब सभापति को हटाने का संकल्प विचाराधीन हो: सभापति, भले ही बैठक में उपस्थित हो, अध्यक्षता नहीं करेगा। प्रक्रिया विधान परिषद के नियमों के अनुसार होगी, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण: यदि कर्नाटक विधान परिषद में सभापति के खिलाफ संकल्प लाया जाए, तो उपसभापति या कोई अन्य नियुक्त व्यक्ति अध्यक्षता करता है।
खंड (2): उपसभापति पर लागू: उपसभापति के हटाने का संकल्प विचाराधीन होने पर: उपसभापति अध्यक्षता नहीं करेगा। इस स्थिति में सभापति बैठक की अध्यक्षता करेगा। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य में उपसभापति के खिलाफ संकल्प पर सभापति ने अध्यक्षता की।
4. महत्व: निष्पक्षता: हटाने की प्रक्रिया में पक्षपात से बचाव। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधान परिषद की स्वायत्तता और निष्पक्षता। संवैधानिक ढांचा: नेतृत्व की जवाबदेही और पारदर्शिता। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: निष्पक्षता: हटाने के दौरान गैर-अध्यक्षता। सभापति: उपसभापति के मामले में अध्यक्षता। नियम: विधान परिषद के उपबंध। जवाबदेही: पारदर्शी प्रक्रिया।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कुछ राज्यों में सभापति के हटाने के संकल्पों पर निष्पक्षता सुनिश्चित की गई। 1990 के दशक: सभापति की निष्पक्षता पर विवाद उत्पन्न हुए। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में हटाने की प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक दबाव: हटाने के संकल्प में सत्तारूढ़ दल का प्रभाव। निष्पक्षता: वैकल्पिक अध्यक्ष की निष्पक्षता पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: हटाने की प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। किहोतो होलोहान (1992): सभापति की भूमिका और अयोग्यता पर चर्चा, जो हटाने की प्रक्रिया से संबंधित है।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, निष्पक्षता और पारदर्शिता पर जोर।
प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत हटाने की प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड और प्रसारण। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच हटाने की प्रक्रिया और निष्पक्षता पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 182: सभापति और उपसभापति का चुनाव। अनुच्छेद 183: सभापति और उपसभापति का त्यागपत्र और हटाना। अनुच्छेद 92: राज्यसभा के लिए समान प्रावधान।
11. विशेष तथ्य: निष्पक्षता: हटाने में गैर-अध्यक्षता। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रक्रिया और पारदर्शिता। संघीय ढांचा: मूल ढांचे का हिस्सा। सभापति की भूमिका: उपसभापति के हटाने में अध्यक्षता।
Conclusion
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