Article 184 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:23:06
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 184
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 184
अनुच्छेद 184 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह सभापति या उपसभापति की अनुपस्थिति में विधान परिषद के कर्तव्यों का निर्वहन (Power of the Deputy Chairman or other person to perform the duties of the office of, or to act as, Chairman) से संबंधित है। यह प्रावधान सभापति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में विधान परिषद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की व्यवस्था करता है।
अनुच्छेद 184 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) जब सभापति का पद रिक्त हो, तब उपसभापति, या यदि उपसभापति का पद भी रिक्त हो, तब वह व्यक्ति, जो विधान परिषद द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया जाए, सभापति के कर्तव्यों का पालन करेगा।
(2) जब सभापति अनुपस्थित हो या जब तक सभापति का पद रिक्त हो और कोई उपसभापति न हो, तब विधान परिषद द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त कोई व्यक्ति, या यदि विधान परिषद ने ऐसा कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं किया हो, तो विधान परिषद का कोई सदस्य, जिसे राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, सभापति के रूप में कार्य करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 184 यह सुनिश्चित करता है कि सभापति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में विधान परिषद की कार्यवाही बाधित न हो। यह उपसभापति या अन्य नियुक्त व्यक्ति को सभापति के कर्तव्यों का पालन करने या कार्य करने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक निरंतरता, और संघीय ढांचे में विधान परिषद की कार्यवाही की स्थिरता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधान परिषदों में सभापति की अनुपस्थिति में कार्यवाही के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के नेतृत्व की अनुपस्थिति में कार्यवाही की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधान परिषद की कार्यवाही को निर्बाध रखने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 91 (राज्यसभा के लिए) और अनुच्छेद 180 (विधानसभा के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधान परिषद की कार्यवाही में निरंतरता और व्यवस्था सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 184 के प्रमुख तत्व: खंड (1): सभापति का पद रिक्त होने पर: यदि सभापति का पद रिक्त हो: उपसभापति सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है। यदि उपसभापति का पद भी रिक्त हो, तो विधान परिषद द्वारा नियुक्त व्यक्ति सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है। उदाहरण: यदि सभापति त्यागपत्र दे दे और उपसभापति न हो, तो विधान परिषद किसी अन्य सदस्य को नियुक्त करती है।
खंड (2): सभापति की अनुपस्थिति: यदि सभापति अनुपस्थित हो या पद रिक्त हो और उपसभापति न हो: विधान परिषद द्वारा नियुक्त व्यक्ति सभापति के रूप में कार्य करता है। यदि विधान परिषद ने कोई नियुक्ति नहीं की, तो राज्यपाल किसी सदस्य को सभापति के रूप में नियुक्त करता है। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य में सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति ने सत्र संचालित किया।
4. महत्व: निरंतरता: विधान परिषद की कार्यवाही में कोई रुकावट नहीं। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधान परिषद की स्वायत्तता और आत्म-नियंत्रण। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। निष्पक्षता: कार्यवाही का सुचारु संचालन।
5. प्रमुख विशेषताएँ: उपसभापति: प्रथम विकल्प। विधान परिषद की नियुक्ति: स्वायत्तता। राज्यपाल की भूमिका: अंतिम उपाय। निरंतरता: कार्यवाही में स्थिरता।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: उपसभापतियों ने अक्सर सभापति की अनुपस्थिति में कर्तव्यों का पालन किया। 1990 के दशक: कुछ राज्यों में विधान परिषद ने वैकल्पिक नियुक्तियाँ कीं। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राज्यपाल का हस्तक्षेप: नियुक्ति में केंद्र के प्रभाव की आलोचना। निष्पक्षता: वैकल्पिक सभापति की निष्पक्षता पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: नियुक्तियों की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई (1994): राज्यपाल की भूमिका और विधानमंडल।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, निष्पक्षता और निरंतरता पर जोर। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत कार्यवाही और नियुक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियुक्तियों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 182: सभापति और उपसभापति का चुनाव। अनुच्छेद 183: सभापति और उपसभापति का त्यागपत्र। अनुच्छेद 91: राज्यसभा के लिए समान प्रावधान।
11. विशेष तथ्य: निरंतरता: कार्यवाही में स्थिरता। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रक्रिया। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। राज्यपाल: अंतिम नियुक्ति।
Conclusion
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jp Singh
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