Article 180 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 16:15:59
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 180
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 180
अनुच्छेद 180 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में विधानसभा के कर्तव्यों का निर्वहन (Power of the Deputy Speaker or other person to perform the duties of the office of, or to act as, Speaker) से संबंधित है। यह प्रावधान अध्यक्ष की अनुपस्थिति में विधानसभा की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की व्यवस्था करता है।
अनुच्छेद 180 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) जब अध्यक्ष का पद रिक्त हो, तब उपाध्यक्ष, या यदि उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त हो, तब वह व्यक्ति, जो विधानसभा द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया जाए, अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करेगा।
(2) जब अध्यक्ष अनुपस्थित हो या जब तक अध्यक्ष का पद रिक्त हो और कोई उपाध्यक्ष न हो, तब विधानसभा द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त कोई व्यक्ति, या यदि विधानसभा ने ऐसा कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं किया हो, तो विधानसभा का कोई सदस्य, जिसे राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 180 यह सुनिश्चित करता है कि अध्यक्ष की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में विधानसभा की कार्यवाही बाधित न हो। यह उपाध्यक्ष या अन्य नियुक्त व्यक्ति को अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करने या कार्य करने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक निरंतरता, और संघीय ढांचे में विधानमंडल की कार्यवाही की स्थिरता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानसभाओं में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यवाही के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर की अनुपस्थिति में कार्यवाही की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, विधानसभा की कार्यवाही को निर्बाध रखने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 95 (लोकसभा के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विधानसभा की कार्यवाही में निरंतरता और व्यवस्था सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 180 के प्रमुख तत्व: खंड (1): अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर: यदि अध्यक्ष का पद रिक्त हो: उपाध्यक्ष अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करता है। यदि उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त हो, तो विधानसभा द्वारा नियुक्त व्यक्ति अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करता है। उदाहरण: यदि अध्यक्ष त्यागपत्र दे दे और उपाध्यक्ष न हो, तो विधानसभा किसी अन्य सदस्य को नियुक्त करती है।
खंड (2): अध्यक्ष की अनुपस्थिति: यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो या पद रिक्त हो और उपाध्यक्ष न हो: विधानसभा द्वारा नियुक्त व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। यदि विधानसभा ने कोई नियुक्ति नहीं की, तो राज्यपाल किसी सदस्य को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करता है। उदाहरण: 2025 में, किसी राज्य में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष ने सत्र संचालित किया।
4. महत्व: निरंतरता: विधानसभा की कार्यवाही में कोई रुकावट नहीं। लोकतांत्रिक जवाबदेही: विधानसभा की स्वायत्तता और आत्म-नियंत्रण। संघीय ढांचा: राज्यों की विधायी स्वायत्तता। निष्पक्षता: कार्यवाही का सुचारु संचालन।
5. प्रमुख विशेषताएँ: उपाध्यक्ष: प्रथम विकल्प। विधानसभा की नियुक्ति: स्वायत्तता। राज्यपाल की भूमिका: अंतिम उपाय। निरंतरता: कार्यवाही में स्थिरता।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: उपाध्यक्षों ने अक्सर अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कर्तव्यों का पालन किया। 1990 के दशक: कुछ राज्यों में विधानसभा ने वैकल्पिक नियुक्तियाँ कीं। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राज्यपाल का हस्तक्षेप: नियुक्ति में केंद्र के प्रभाव की आलोचना। निष्पक्षता: वैकल्पिक अध्यक्ष की निष्पक्षता पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: नियुक्तियों की वैधता पर कोर्ट की जांच।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई (1994): राज्यपाल की भूमिका और विधानमंडल।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, निष्पक्षता और निरंतरता पर जोर।
प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत कार्यवाही और नियुक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियुक्तियों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 178: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव। अनुच्छेद 179: रिक्ति और त्यागपत्र। अनुच्छेद 95: लोकसभा के लिए समान प्रावधान।
11. विशेष तथ्य: निरंतरता: कार्यवाही में स्थिरता। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रक्रिया। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। राज्यपाल: अंतिम नियुक्ति।
Conclusion
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jp Singh
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