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Article 169 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 15:52:45
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 169

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 169
अनुच्छेद 169 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय III (राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्यों में विधान परिषद के निर्माण या समाप्ति (Abolition or creation of Legislative Councils in States) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को कुछ राज्यों में विधान परिषद को बनाने या समाप्त करने की शक्ति देता है।
अनुच्छेद 169 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, यदि किसी राज्य का विधानमंडल, जिसमें विधानसभा हो, अपने कुल सदस्यों के बहुमत से और उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई के बहुमत से संकल्प पारित करे कि उस राज्य में विधान परिषद बनाई जाए या समाप्त की जाए, तो संसद, कानून द्वारा, उस राज्य में विधान परिषद के निर्माण या समाप्ति का उपबंध कर सकती है।
(2) इस अनुच्छेद के अधीन बनाया गया कोई कानून, इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, इस संविधान में संशोधन नहीं माना जाएगा, भले ही वह इस संविधान के किसी उपबंध को निरसन या संशोधन करता हो।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 169 संसद को यह शक्ति देता है कि वह किसी राज्य में विधान परिषद को बनाए या समाप्त करे, बशर्ते राज्य की विधानसभा इसका प्रस्ताव पारित करे। यह प्रावधान राज्यों को द्विसदनीय या एकसदनीय विधानमंडल चुनने का लचीलापन प्रदान करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक लचीलापन, और संघीय ढांचे में राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधान परिषदों की स्थापना और समाप्ति की प्रक्रिया को परिभाषित करता था। यह ब्रिटिश प्रणाली में द्विसदनीय व्यवस्था की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, कुछ राज्यों में विधान परिषद को बनाए रखा गया, जबकि अन्य में एकसदनीय व्यवस्था अपनाई गई। अनुच्छेद 169 ने संसद और राज्यों को परिस्थितियों के अनुसार परिषद को बनाने या समाप्त करने की शक्ति दी।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान राज्यों को उनकी प्रशासकीय और वित्तीय जरूरतों के अनुसार विधानमंडल की संरचना बदलने की अनुमति देता है।
3. अनुच्छेद 169 के प्रमुख तत्व: खंड (1): निर्माण या समाप्ति की प्रक्रिया: शर्तें: राज्य की विधानसभा को अपने कुल सदस्यों के बहुमत और उपस्थित व मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से संकल्प पारित करना होगा। इसके बाद, संसद कानून बनाकर विधान परिषद को बना या समाप्त कर सकती है। उदाहरण: 1987 में, आंध्र प्रदेश की विधान परिषद समाप्त की गई, लेकिन 2007 में पुनः बनाई गई।
खंड (2): संवैधानिक संशोधन नहीं: इस अनुच्छेद के तहत बनाया गया कोई कानून संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा, भले ही वह संविधान के किसी उपबंध को संशोधित या निरसन करता हो। यह प्रक्रिया को सरल बनाता है, क्योंकि इसे सामान्य कानून के रूप में पारित किया जा सकता है। उदाहरण: संसद ने साधारण बहुमत से विधान परिषद समाप्ति के कानून पारित किए।
4. महत्व: लचीलापन: राज्यों को एकसदनीय या द्विसदनीय व्यवस्था चुनने की स्वतंत्रता। लोकतांत्रिक प्रक्रिया: विधानसभा के संकल्प पर आधारित निर्णय। संघीय ढांचा: राज्यों की स्वायत्तता और केंद्र की भूमिका। प्रशासकीय दक्षता: वित्तीय और प्रशासकीय बोझ कम करने की सुविधा।
5. प्रमुख विशेषताएँ: संकल्प: विधानसभा का दो-तिहाई बहुमत। संसद की शक्ति: कानून द्वारा निर्माण/समाप्ति। संशोधन नहीं: सामान्य कानून। लचीलापन: एकसदनीय/द्विसदनीय।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1969: पश्चिम बंगाल की विधान परिषद समाप्त। 1987: आंध्र प्रदेश की विधान परिषद समाप्त। 2007: आंध्र प्रदेश में पुनः निर्माण। 2025 स्थिति: 7 राज्य (उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर) में विधान परिषद।
7. चुनौतियाँ और विवाद: प्रासंगिकता पर बहस: विधान परिषद को वित्तीय बोझ और अनावश्यक माना जाना। केंद्र-राज्य तनाव: संसद की शक्ति पर राज्यों की आपत्तियाँ। राजनीतिक दुरुपयोग: संकल्पों में राजनीतिक हस्तक्षेप।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। किहोतो होलोहान (1992): विधानमंडल की संरचना पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, कुछ राज्यों में विधान परिषद समाप्त करने की माँग। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत विधायी संकल्पों का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच विधान परिषद की प्रासंगिकता पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 168: विधानमंडल की संरचना। अनुच्छेद 171: विधान परिषद की संरचना। अनुच्छेद 172: कार्यकाल।
11. विशेष तथ्य: 7 राज्य: द्विसदनीय व्यवस्था (2025)। 1987-2007: आंध्र प्रदेश में परिवर्तन। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। संकल्प: दो-तिहाई बहुमत।
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