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Article 160 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 15:33:55
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 160

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 160
अनुच्छेद 160 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्यपाल द्वारा कर्तव्यों का निर्वहन (Discharge of the functions of the Governor in certain contingencies) से संबंधित है। यह प्रावधान उन परिस्थितियों में राज्यपाल के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए व्यवस्था करता है, जब वह स्वयं कार्य करने में असमर्थ हो।
अनुच्छेद 160 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार: "राष्ट्रपति, आदेश द्वारा, ऐसी व्यवस्था कर सकता है, जो वह ठीक समझे, किसी राज्य के राज्यपाल के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए, ऐसी आकस्मिक परिस्थितियों में जो इस संविधान में उपबंधित नहीं हैं।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 160 राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह उन परिस्थितियों में, जो संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं, राज्यपाल के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए उपयुक्त व्यवस्था कर सके। यह प्रावधान संवैधानिक निरंतरता सुनिश्चित करता है, खासकर तब जब राज्यपाल अनुपस्थित, असमर्थ, या अन्य आकस्मिक परिस्थितियों में हो। इसका लक्ष्य प्रशासकीय स्थिरता और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य समन्वय को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें गवर्नर-जनरल को प्रांतीय गवर्नर के कर्तव्यों के लिए आकस्मिक व्यवस्था करने की शक्ति थी। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में प्रशासकीय निरंतरता सुनिश्चित करने की व्यवस्था को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यपाल को केंद्र और राज्यों के बीच कड़ी के रूप में स्थापित किया गया, और यह प्रावधान अप्रत्याशित परिस्थितियों में शासन की निरंतरता सुनिश्चित करता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विशेष रूप से संकटकालीन या असामान्य परिस्थितियों में महत्वपूर्ण है, जैसे राज्यपाल की अचानक अनुपस्थिति या अक्षमता।
3. अनुच्छेद 160 के प्रमुख तत्व
(i) राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति को आदेश द्वारा राज्यपाल के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए व्यवस्था करने का अधिकार है। यह व्यवस्था आकस्मिक परिस्थितियों में लागू होती है, जो संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं। उदाहरण: यदि राज्यपाल बीमार हो या अनुपस्थित हो, तो राष्ट्रपति किसी अन्य व्यक्ति (जैसे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) को अस्थायी रूप से कर्तव्यों का निर्वहन करने का आदेश दे सकता है।
(ii) आकस्मिक परिस्थितियाँ: यह प्रावधान उन परिस्थितियों के लिए है जो संविधान में उपबंधित नहीं हैं। जैसे, राज्यपाल का अचानक निधन, दीर्घकालिक बीमारी, या अन्य अप्रत्याशित स्थिति। उदाहरण: यदि कोई राज्यपाल अचानक त्यागपत्र दे दे और नया राज्यपाल नियुक्त न हो, तो राष्ट्रपति अस्थायी व्यवस्था कर सकता है।
(iii) लचीलापन: यह प्रावधान राष्ट्रपति को लचीलापन देता है कि वह स्थिति के अनुसार उचित व्यवस्था करे। व्यवस्था में किसी अन्य व्यक्ति को कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त करना शामिल हो सकता है।
4. महत्व: प्रशासकीय निरंतरता: अप्रत्याशित परिस्थितियों में शासन की स्थिरता। संवैधानिक जवाबदेही: राष्ट्रपति की निगरानी में व्यवस्था। संघीय ढांचा: केंद्र-राज्य समन्वय। लचीलापन: असामान्य परिस्थितियों में समाधान।
5. प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रपति की शक्ति: आकस्मिक व्यवस्था। आकस्मिक परिस्थितियाँ: संविधान में अनुपबंधित। निरंतरता: प्रशासकीय स्थिरता। लचीलापन: व्यवस्था में स्वतंत्रता।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कुछ राज्यों में राज्यपाल की अनुपस्थिति में अस्थायी व्यवस्था। 1970-80 के दशक: उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त किया गया। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में ऐसी व्यवस्थाओं का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में।
7. चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र का प्रभाव: राष्ट्रपति की शक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर आधारित, जिससे राज्यों की स्वायत्तता पर सवाल। मनमानी व्यवस्था: अस्थायी नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी। केंद्र-राज्य तनाव: राज्य सरकारों के साथ मतभेद।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994): राज्यपाल की भूमिका और केंद्र की शक्तियों पर सीमाएँ।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, कुछ राज्यों में अस्थायी व्यवस्थाएँ लागू। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत व्यवस्थाओं का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल की भूमिका पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की व्यवस्था। अनुच्छेद 155: नियुक्ति। अनुच्छेद 156: कार्यकाल।
11. विशेष तथ्य: आकस्मिक व्यवस्था: राष्ट्रपति की शक्ति। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल प्रसारण। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। निरंतरता: प्रशासकीय स्थिरता।
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