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Article 159 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 15:31:42
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 159

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 159
अनुच्छेद 159 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्यपाल की शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation by the Governor) से संबंधित है। यह प्रावधान निर्धारित करता है कि राज्यपाल को अपने कर्तव्यों का पालन करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान लेना होगा।
अनुच्छेद 159 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"प्रत्येक राज्यपाल और प्रत्येक व्यक्ति, जो राज्यपाल के कर्तव्यों का निर्वहन करता है, अपने कर्तव्यों का कार्यभार ग्रहण करने से पहले, उस राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनके अभाव में उस उच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश के समक्ष, इस संविधान की तीसरी अनुसूची में निर्धारित प्रपत्र में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 159 यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल या कोई अन्य व्यक्ति जो राज्यपाल के कर्तव्यों का निर्वहन करता है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निष्पक्षता और संविधान के प्रति निष्ठा के साथ निभाए। यह शपथ या प्रतिज्ञान के माध्यम से राज्यपाल की जवाबदेही और निष्ठा को औपचारिक रूप देता है। इसका लक्ष्य संवैधानिक जवाबदेही, निष्पक्षता, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य समन्वय को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 की व्यवस्था से प्रेरित है, जिसमें प्रांतीय गवर्नर को शपथ लेनी पड़ती थी। यह ब्रिटिश प्रणाली में गवर्नर की शपथ की प्रक्रिया को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यपाल को संवैधानिक प्रमुख के रूप में स्थापित किया गया, और शपथ की प्रक्रिया उनकी निष्ठा को सुनिश्चित करती है।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को औपचारिक रूप से स्वीकार करे।
3. अनुच्छेद 159 के प्रमुख तत्व
(i) शपथ या प्रतिज्ञान: राज्यपाल या कोई व्यक्ति जो राज्यपाल के कर्तव्यों का निर्वहन करता है, को शपथ या प्रतिज्ञान लेना अनिवार्य है। शपथ तीसरी अनुसूची में निर्धारित प्रपत्र के अनुसार होती है। उदाहरण: शपथ में संविधान और कानून के प्रति निष्ठा, कर्तव्यों का निष्पक्ष निर्वहन, और जनता की सेवा का वचन शामिल होता है।
(ii) शपथ लेने की प्रक्रिया: शपथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनके अभाव में किसी अन्य न्यायाधीश के समक्ष ली जाती है। यह प्रक्रिया न्यायिक निगरानी के तहत होती है। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ ली।
(iii) कर्तव्यों का कार्यभार ग्रहण: शपथ कर्तव्यों का कार्यभार ग्रहण करने से पहले ली जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल अपने कर्तव्यों को शुरू करने से पहले संवैधानिक जिम्मेदारियों को स्वीकार करे।
(iv) अन्य व्यक्ति: यदि कोई व्यक्ति राज्यपाल के कर्तव्यों का निर्वहन करता है (जैसे कार्यवाहक राज्यपाल), उसे भी शपथ लेनी होगी। उदाहरण: यदि राज्यपाल अनुपस्थित हो, तो उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अस्थायी रूप से कर्तव्यों का निर्वहन कर सकता है।
4. महत्व: संवैधानिक निष्ठा: शपथ संविधान के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करती है। निष्पक्षता: कर्तव्यों का निष्पक्ष निर्वहन। संघीय ढांचा: केंद्र-राज्य समन्वय में जवाबदेही। न्यायिक निगरानी: शपथ की प्रक्रिया में उच्च न्यायालय की भूमिका।
5. प्रमुख विशेषताएँ: शपथ: तीसरी अनुसूची के प्रपत्र में। न्यायिक निगरानी: मुख्य न्यायाधीश। कर्तव्य: निष्पक्ष निर्वहन। संवैधानिक जवाबदेही: निष्ठा।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: सभी राज्यपालों ने उच्च न्यायालयों के समक्ष शपथ ली। 1970-80 के दशक: शपथ की प्रक्रिया को औपचारिक रूप दिया गया। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में शपथ समारोह का डिजिटल प्रसारण।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक प्रभाव: केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपालों की निष्ठा पर सवाल। केंद्र-राज्य तनाव: शपथ के बाद भी राज्य सरकारों के साथ मतभेद। प्रक्रियात्मक औपचारिकता: शपथ को केवल औपचारिक माना जाना।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994): राज्यपाल की भूमिका और निष्ठा पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, सभी राज्यपालों ने शपथ प्रक्रिया का पालन किया। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत शपथ समारोह का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल की भूमिका पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की व्यवस्था। अनुच्छेद 155: नियुक्ति। अनुच्छेद 156: कार्यकाल।
11. विशेष तथ्य: तीसरी अनुसूची: शपथ का प्रपत्र। 2025 शपथ: डिजिटल प्रसारण। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। न्यायिक निगरानी: मुख्य न्यायाधीश।
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