Article 157 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 15:27:01
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 157
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 157
अनुच्छेद 157 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्यपाल की नियुक्ति के लिए योग्यता (Qualifications for appointment as Governor) से संबंधित है। यह प्रावधान निर्धारित करता है कि राज्यपाल के पद के लिए कौन पात्र है।
अनुच्छेद 157 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार: "कोई व्यक्ति राज्यपाल के पद के लिए नियुक्त होने का पात्र नहीं होगा, जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो और पैंतीस वर्ष की आयु पूरी न कर ले।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 157 राज्यपाल की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता मानदंड निर्धारित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल भारत के नागरिक जो 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, राज्यपाल के पद के लिए पात्र हों। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्यपाल के पास परिपक्वता और संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने की क्षमता हो।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें प्रांतीय गवर्नर के लिए समान योग्यताएँ थीं। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में गवर्नर की नियुक्ति के मानदंडों को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यपाल को केंद्र और राज्यों के बीच कड़ी के रूप में स्थापित किया गया, और इसकी योग्यता को सरल और समावेशी रखा गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक जिम्मेदारियों के लिए उपयुक्त व्यक्ति को सौंपा जाए।
3. अनुच्छेद 157 के प्रमुख तत्व:
(i) भारत का नागरिक: राज्यपाल के पद के लिए उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना अनिवार्य है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल भारतीय नागरिक ही इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद को संभालें। उदाहरण: सभी नियुक्त राज्यपाल, जैसे आनंदीबेन पटेल (2025 में उत्तर प्रदेश), भारतीय नागरिक हैं।
(ii) न्यूनतम आयु: उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। यह आयु सीमा परिपक्वता और अनुभव सुनिश्चित करती है। उदाहरण: अधिकांश राज्यपाल नियुक्ति के समय 50 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं।
(iii) अन्य योग्यताएँ: संविधान में कोई अन्य विशिष्ट योग्यता (जैसे शैक्षिक या प्रशासकीय अनुभव) निर्धारित नहीं की गई है। यह लचीलापन केंद्र को योग्य व्यक्तियों को चुनने की स्वतंत्रता देता है। उदाहरण: राजनेता, प्रशासक, या अन्य क्षेत्रों के लोग राज्यपाल नियुक्त किए गए।
4. महत्व: संवैधानिक पात्रता: न्यूनतम मानदंड सुनिश्चित करते हैं कि योग्य व्यक्ति ही नियुक्त हों। समावेशिता: केवल नागरिकता और आयु की शर्तें, जो व्यापक पात्रता देती हैं। संघीय ढांचा: केंद्र को उपयुक्त उम्मीदवार चुनने की स्वतंत्रता। संवैधानिक जवाबदेही: राज्यपाल की जिम्मेदारियों के लिए परिपक्वता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: नागरिकता: भारत का नागरिक। आयु: 35 वर्ष या अधिक। लचीलापन: कोई अन्य विशिष्ट शर्त नहीं। संवैधानिक पद: जिम्मेदारी।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: विभिन्न पृष्ठभूमियों से भारतीय नागरिकों को राज्यपाल नियुक्त किया गया। 1980-90 के दशक: राजनेताओं और प्रशासकों की नियुक्ति। 2025 स्थिति: सभी नियुक्त राज्यपाल भारतीय नागरिक और 35 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक नियुक्तियाँ: केंद्र द्वारा राजनेताओं को नियुक्त करने पर "निष्पक्षता" की आलोचना। योग्यता की कमी: केवल नागरिकता और आयु की शर्तें पर्याप्त नहीं मानी जातीं। केंद्र-राज्य तनाव: राज्यपाल की नियुक्ति पर राज्यों का कोई नियंत्रण नहीं।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। बी.पी. सिंघल बनाम भारत संघ (2010): राज्यपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, सभी राज्यपाल अनुच्छेद 157 की शर्तों को पूरा करते हैं। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल की नियुक्ति पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की व्यवस्था। अनुच्छेद 155: नियुक्ति। अनुच्छेद 156: कार्यकाल।
11. विशेष तथ्य: न्यूनतम योग्यता: नागरिकता और आयु। 2025 नियुक्तियाँ: सभी पात्र। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। केंद्र का प्रभाव: नियुक्ति में।
Conclusion
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jp Singh
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