Article 156 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 15:24:57
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 156
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 156
अनुच्छेद 156 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्यपाल का कार्यकाल (Term of office of Governor) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्यपाल के कार्यकाल की अवधि, हटाने की प्रक्रिया, और अन्य संबंधित शर्तों को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 156 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) राज्यपाल अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा, परंतु वह अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले:
(क) राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर के अधीन त्यागपत्र देकर;
(ख) राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने पर, अपना पद रिक्त करेगा।
(2) राज्यपाल, इस अनुच्छेद के खंड (1) में उपबंधित अवधि की समाप्ति के बाद भी, तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपने कर्तव्यों का कार्यभार ग्रहण न कर ले।
(3) राष्ट्रपति, अपने हस्ताक्षर और मुहर के अधीन अध्यादेश द्वारा, किसी राज्यपाल को किसी अन्य राज्य के लिए राज्यपाल नियुक्त कर सकता है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 156 राज्यपाल के कार्यकाल की अवधि और समाप्ति की प्रक्रिया को परिभाषित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल का कार्यकाल स्थिर हो, लेकिन राष्ट्रपति को उसे हटाने या स्थानांतरित करने की शक्ति प्राप्त हो। इसका लक्ष्य संवैधानिक स्थिरता और केंद्र-राज्य समन्वय को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 51 से प्रेरित है, जो प्रांतीय गवर्नर के कार्यकाल को परिभाषित करता था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में गवर्नर के कार्यकाल की व्यवस्था को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यपाल को केंद्र और राज्यों के बीच कड़ी के रूप में स्थापित किया गया, और उसका कार्यकाल केंद्र के नियंत्रण में रखा गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र को राज्यों के प्रशासन में लचीलापन प्रदान करता है, विशेष रूप से संवैधानिक या प्रशासकीय संकटों में।
3. अनुच्छेद 156 के प्रमुख तत्व: खंड (1): कार्यकाल और समाप्ति: कार्यकाल: राज्यपाल का कार्यकाल सामान्यतः पांच वर्ष का होता है, जो पद ग्रहण की तारीख से शुरू होता है। समाप्ति के तरीके: (क) त्यागपत्र: राज्यपाल राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। (ख) हटाया जाना: राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने पर। उदाहरण: 2023 में, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कार्यकाल समाप्त हुआ, और नए राज्यपाल की नियुक्ति हुई।
खंड (2): कार्यकाल का विस्तार: यदि उत्तराधिकारी समय पर कार्यभार ग्रहण नहीं करता, तो राज्यपाल पद पर बना रहता है। यह प्रावधान प्रशासकीय निरंतरता सुनिश्चित करता है। उदाहरण: कुछ राज्यों में, नई नियुक्ति में देरी होने पर राज्यपाल ने अतिरिक्त समय तक सेवा दी।
खंड (3): स्थानांतरण: राष्ट्रपति किसी राज्यपाल को दूसरे राज्य के लिए राज्यपाल नियुक्त कर सकता है। यह केंद्र को लचीलापन देता है और प्रशासकीय दक्षता बढ़ाता है। उदाहरण: 2025 में, आनंदीबेन पटेल को उत्तर प्रदेश से किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित किया गया।
4. महत्व: संवैधानिक स्थिरता: पांच वर्ष का निश्चित कार्यकाल। केंद्र का नियंत्रण: राष्ट्रपति के माध्यम से हटाने और स्थानांतरण की शक्ति। प्रशासकीय निरंतरता: उत्तराधिकारी के अभाव में पद पर बने रहना। संघीय ढांचा: केंद्र-राज्य समन्वय।
5. प्रमुख विशेषताएँ: कार्यकाल: पांच वर्ष। त्यागपत्र: राष्ट्रपति को। हटाना: राष्ट्रपति द्वारा। स्थानांतरण: अन्य राज्य में नियुक्ति।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कई राज्यपालों को पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया गया। 1970-80 के दशक: केंद्र द्वारा राज्यपालों का स्थानांतरण और हटाना विवादास्पद रहा। 2025 स्थिति: कई राज्यपालों का स्थानांतरण और नई नियुक्तियाँ।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक दुरुपयोग: केंद्र द्वारा राज्यपालों को हटाने या स्थानांतरित करने की आलोचना। केंद्र-राज्य तनाव: राज्य सरकारों के साथ मतभेद। स्वतंत्रता पर सवाल: राज्यपाल को केंद्र का "एजेंट" माना जाना।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। बी.पी. सिंघल बनाम भारत संघ (2010): राज्यपाल को हटाने की शक्ति पर सीमाएँ; मनमानी नहीं हो सकती।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, कई राज्यपालों का कार्यकाल समाप्त और स्थानांतरण। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति और स्थानांतरण का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल के कार्यकाल पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की व्यवस्था। अनुच्छेद 155: नियुक्ति। अनुच्छेद 157: योग्यता।
11. विशेष तथ्य: बी.पी. सिंघल (2010): हटाने पर सीमाएँ। 2025 स्थानांतरण: केंद्र का प्रभाव। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। पांच वर्ष: सामान्य कार्यकाल।
Conclusion
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jp Singh
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