Article 155 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 15:22:42
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 155
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 155
अनुच्छेद 155 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्यपाल की नियुक्ति (Appointment of Governor) से संबंधित है। यह प्रावधान निर्धारित करता है कि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
अनुच्छेद 155 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार: "राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर के अधीन अध्यादेश द्वारा नियुक्त किया जाएगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 155 राज्यपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया को परिभाषित करता है, जो राज्य की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाए, जो केंद्र सरकार की ओर से कार्य करता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 50 से प्रेरित है, जो प्रांतीय गवर्नर की नियुक्ति को गवर्नर-जनरल के अधीन करता था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में गवर्नर की नियुक्ति की प्रक्रिया को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, भारत के संघीय ढांचे में राज्यपाल को केंद्र और राज्यों के बीच कड़ी के रूप में स्थापित किया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र-राज्य संबंधों में राज्यपाल की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाता है, विशेष रूप से संवैधानिक और प्रशासकीय मामलों में।
3. अनुच्छेद 155 के प्रमुख तत्व
(i) राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति: राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश (warrant) के माध्यम से की जाती है। यह अध्यादेश राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर के अधीन होता है। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन की नियुक्ति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा।
(ii) केंद्र का नियंत्रण: चूंकि राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सलाह पर कार्य करता है, राज्यपाल की नियुक्ति में केंद्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यह केंद्र को राज्यों के प्रशासन में अप्रत्यक्ष प्रभाव देता है। उदाहरण: केंद्र सरकार द्वारा अनुभवी प्रशासकों या राजनेताओं को राज्यपाल नियुक्त करना।
(iii) संवैधानिक भूमिका: राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है, और उसकी नियुक्ति केंद्र द्वारा सुनिश्चित करती है कि वह संवैधानिक कर्तव्यों को निष्पक्षता से निभाए। उदाहरण: विधायी बिलों को स्वीकृति देना या राष्ट्रपति को भेजना।
4. महत्व: संवैधानिक प्रमुख: राज्यपाल राज्य कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय। केंद्र का प्रभाव: राष्ट्रपति के माध्यम से नियुक्ति। संवैधानिक जवाबदेही: राज्यपाल का निष्पक्ष कार्य।
5. प्रमुख विशेषताएँ: नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा। अध्यादेश: हस्ताक्षर और मुहर। केंद्र की भूमिका: प्रभाव। संवैधानिक प्रमुख: राज्यपाल।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: केंद्र द्वारा विभिन्न राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981): न्यायपालिका की नियुक्ति के साथ तुलना में राज्यपाल की नियुक्ति पर चर्चा। 2025 स्थिति: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा कई राज्यपालों की नियुक्ति।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक नियुक्तियाँ: केंद्र द्वारा राजनेताओं को राज्यपाल नियुक्त करने की आलोचना। केंद्र-राज्य तनाव: राज्य सरकारों के साथ मतभेद, जैसे विधायी बिलों पर असहमति। स्वतंत्रता पर सवाल: राज्यपाल को केंद्र का "एजेंट" माना जाना।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994): राज्यपाल की भूमिका और केंद्र के प्रभाव पर सीमाएँ।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, कई राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल की नियुक्ति पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की व्यवस्था। अनुच्छेद 156: राज्यपाल का कार्यकाल। अनुच्छेद 157: राज्यपाल की योग्यता।
11. विशेष तथ्य: 2025 नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति द्वारा। एस.आर. बोम्मई (1994): राज्यपाल की सीमाएँ। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। केंद्र का प्रभाव: नियुक्ति में।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781