Article 154 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 15:20:35
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 154
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 154
अनुच्छेद 154 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह राज्य की कार्यपालिका शक्ति (Executive power of State) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य की कार्यपालिका शक्ति को राज्यपाल में निहित करता है और यह निर्धारित करता है कि इसका प्रयोग कैसे किया जाएगा।
अनुच्छेद 154 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, और वह इसका प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा, जैसा कि इस संविधान में उपबंधित है।
(2) खंड (1) में किसी बात का यह अर्थ नहीं होगा कि वह केंद्र सरकार को दी गई किसी कार्यपालिका शक्ति को प्रभावित करता है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 154 राज्य की कार्यपालिका शक्ति को राज्यपाल में निहित करता है, जो राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। यह स्पष्ट करता है कि राज्यपाल इस शक्ति का प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों (जैसे मंत्रिपरिषद) के माध्यम से करता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में राज्य की कार्यपालिका की स्वायत्तता को सुनिश्चित करना है, साथ ही केंद्र की कार्यपालिका शक्ति को प्रभावित न करने की स्पष्टता प्रदान करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 49 से प्रेरित है, जो प्रांतीय गवर्नर को कार्यपालिका शक्ति प्रदान करता था। यह ब्रिटिश प्रणाली में गवर्नर की कार्यपालिका भूमिका को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, भारत के संघीय ढांचे में राज्यों को कार्यपालिका स्वायत्तता दी गई, लेकिन केंद्र के साथ समन्वय के लिए राज्यपाल को कड़ी बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र-राज्य संबंधों में राज्यपाल की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है, विशेष रूप से संवैधानिक संकटों या नीतिगत निर्णयों में।
3. अनुच्छेद 154 के प्रमुख तत्व: खंड (1): कार्यपालिका शक्ति का निहित होना: राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। राज्यपाल इस शक्ति का प्रयोग स्वयं या अधीनस्थ अधिकारियों (जैसे मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद) के माध्यम से करता है। यह शक्ति संविधान के उपबंधों के अनुसार प्रयोग की जाती है। उदाहरण: राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर नीतिगत निर्णय लेता है, जैसे विधायी बिलों को स्वीकृति देना।
खंड (2): केंद्र की शक्ति पर प्रभाव: यह स्पष्ट करता है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति केंद्र सरकार की कार्यपालिका शक्ति को प्रभावित नहीं करती। केंद्र की शक्तियाँ संविधान की सातवीं अनुसूची (संघ सूची) के तहत परिभाषित हैं। उदाहरण: रक्षा या विदेश नीति जैसे विषयों पर केंद्र की शक्ति सर्वोपरि रहती है।
यद्यपि कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित है, अनुच्छेद 163 के तहत वह सामान्यतः मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है। उदाहरण: मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद नीतिगत निर्णय लेती है, और राज्यपाल उसकी स्वीकृति देता है।
4. महत्व: राज्य की स्वायत्तता: राज्यों को कार्यपालिका शक्ति प्रदान कर संघीय ढांचे को मजबूत करना। संवैधानिक प्रमुख: राज्यपाल का संवैधानिक नेतृत्व। केंद्र-राज्य संतुलन: केंद्र की शक्तियों का सम्मान। लोकतांत्रिक जवाबदेही: मंत्रिपरिषद के माध्यम से जनता के प्रति जवाबदेही।
5. प्रमुख विशेषताएँ: कार्यपालिका शक्ति: राज्यपाल में निहित। प्रयोग: स्वयं या अधीनस्थों के माध्यम से। केंद्र की शक्ति: अप्रभावित। मंत्रिपरिषद: सलाह की भूमिका।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों में मंत्रिपरिषद के माध्यम से कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग। एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994): राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति की सीमाएँ और मंत्रिपरिषद की भूमिका पर स्पष्टता। 2025 स्थिति: डिजिटल और पर्यावरण नीतियों में राज्यपाल की स्वीकृति।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राज्यपाल का दुरुपयोग: केंद्र के प्रभाव में कार्य करने की आलोचना। मंत्रिपरिषद के साथ तनाव: सलाह को अनदेखा करने पर विवाद। केंद्र-राज्य संबंध: कार्यपालिका शक्तियों में टकराव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई (1994): राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति पर सीमाएँ।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, डिजिटल और पर्यावरण नीतियों में मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्यपाल की भूमिका। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत कार्यपालिका निर्णयों का डिजिटल रिकॉर्ड। साइबर और पर्यावरण नीतियों पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच राज्यपाल की भूमिका पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 153: राज्यपाल की नियुक्ति। अनुच्छेद 163: मंत्रिपरिषद की सलाह। अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन।
11. विशेष तथ्य: एस.आर. बोम्मई (1994): राज्यपाल की सीमाएँ। 2025 नीतियाँ: डिजिटल, पर्यावरण। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। मंत्रिपरिषद: जवाबदेही।
Conclusion
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jp Singh
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