Article 149 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 14:06:19
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 149
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 149
अनुच्छेद 149 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय V (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) में आता है। यह नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के कर्तव्यों और शक्तियों (Duties and powers of the Comptroller and Auditor-General) से संबंधित है। यह प्रावधान CAG के कर्तव्यों को परिभाषित करता है और संसद को इन कर्तव्यों को विस्तार देने की शक्ति देता है।
अनुच्छेद 149 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"नियंत्रक और महालेखा परीक्षक भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य की संचित निधि, साथ ही भारत सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार के सभी खातों की लेखापरीक्षा करेगा और ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करेगा और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा, जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत उसके संबंध में निर्धारित किए जाएँ।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 149 नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) को भारत और राज्यों की वित्तीय लेखापरीक्षा का दायित्व सौंपता है। यह संसद को CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को विस्तार देने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य वित्तीय पारदर्शिता, जवाबदेही, और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 166 से प्रेरित है, जो ऑडिटर-जनरल के कर्तव्यों को परिभाषित करता था। यह ब्रिटिश प्रणाली के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की भूमिका से प्रभावित है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, CAG को एक स्वतंत्र प्राधिकारी के रूप में स्थापित किया गया ताकि केंद्र और राज्यों के वित्तीय लेखा-जोखा की निगरानी हो। प्रासंगिकता: डिजिटल युग और जटिल सरकारी परियोजनाओं में CAG की भूमिका वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
3. अनुच्छेद 149 के प्रमुख तत्व: (i) लेखापरीक्षा का दायित्व: CAG को निम्नलिखित की लेखापरीक्षा का दायित्व सौंपा गया है: भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India)। प्रत्येक राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund of States)। भारत सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार के सभी खाते। लेखापरीक्षा का प्रकार: वित्तीय लेखापरीक्षा: खातों की सटीकता। अनुपालन लेखापरीक्षा: कानूनी और नियामक अनुपालन। प्रदर्शन लेखापरीक्षा: सरकारी योजनाओं की दक्षता। उदाहरण: CAG की रिपोर्ट में सरकारी योजनाओं में अनियमितताएँ उजागर करना।
(ii) संसद द्वारा कर्तव्यों का विस्तार: संसद को कानून द्वारा CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को विस्तार देने का अधिकार है। उदाहरण: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 CAG के कार्यों को परिभाषित करता है। इस अधिनियम के तहत CAG को सार्वजनिक उपक्रमों और स्थानीय निकायों की लेखापरीक्षा का अधिकार है।
(iii) स्वतंत्रता: CAG की स्वतंत्रता अनुच्छेद 148 द्वारा सुनिश्चित की जाती है, जो इस अनुच्छेद के कर्तव्यों को प्रभावी बनाती है। उदाहरण: CAG ने 2G स्पेक्ट्रम और कोयला खदान आवंटन जैसे मामलों में स्वतंत्र लेखापरीक्षा की।
4. महत्व: वित्तीय जवाबदेही: सरकारी खर्चों की निगरानी। पारदर्शिता: सार्वजनिक धन के उपयोग पर नजर। लोकतांत्रिक जवाबदेही: CAG की रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत होती है। भ्रष्टाचार रोकथाम: अनियमितताओं को उजागर करना।
5. प्रमुख विशेषताएँ: लेखापरीक्षा: संचित निधि और सरकारी खाते। संसद की शक्ति: कर्तव्यों का विस्तार। स्वतंत्रता: प्रभावी कार्यान्वयन। रिपोर्ट: संसद के समक्ष प्रस्तुति।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2010): CAG की रिपोर्ट ने ₹1.76 लाख करोड़ के नुकसान की ओर ध्यान दिलाया। कोयला खदान आवंटन (2012): CAG ने आवंटन प्रक्रिया में अनियमितताएँ उजागर कीं। 2025 स्थिति: डिजिटल परियोजनाओं (जैसे डिजिटल इंडिया) और पर्यावरण निधियों की लेखापरीक्षा।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित शक्ति: CAG की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं। कार्यपालिका का दबाव: स्वतंत्रता पर प्रभाव की आशंका। जटिल लेखा-जोखा: डिजिटल और तकनीकी परियोजनाओं की जाँच में चुनौतियाँ।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): CAG की स्वतंत्रता मूल ढांचे का हिस्सा। अरविंद गुप्ता बनाम भारत संघ (2013): CAG की लेखापरीक्षा शक्तियों की पुष्टि।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, डिजिटल परियोजनाओं और जलवायु परिवर्तन निधियों की लेखापरीक्षा। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत लेखा-जोखा का डिजिटल रिकॉर्ड। साइबर और पर्यावरण निधियों पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच वित्तीय पारदर्शिता पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 148: CAG की नियुक्ति। अनुच्छेद 150: लेखा प्रपत्र। अनुच्छेद 151: CAG की रिपोर्ट।
11. विशेष तथ्य: 2G घोटाला (2010): CAG की भूमिका। 2025 जाँच: डिजिटल, पर्यावरण। स्वतंत्रता: मूल ढांचा। 1971 अधिनियम: कर्तव्यों का विस्तार।
Conclusion
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