Article 146 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 13:59:35
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 146
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 146
अनुच्छेद 146 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों (Officers and servants of the Supreme Court) से संबंधित है। यह प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्तों, और प्रशासनिक व्यवस्था को नियंत्रित करता है।
अनुच्छेद 146 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा अधिकृत किसी अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा की जाएगी।
(2) संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून और इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तें ऐसे नियमों द्वारा नियंत्रित होंगी जो सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति की स्वीकृति से, समय-समय पर बना सकता है।
(3) सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासकीय व्यय, जिसमें इसके अधिकारियों और कर्मचारियों को देय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 146 सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक ढांचे को व्यवस्थित करता है, जिसमें इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवा शर्तें शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता और कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए इसका प्रशासन मुख्य न्यायाधीश (CJI) के नियंत्रण में हो। इसका लक्ष्य न्यायिक स्वायत्तता, प्रशासकीय स्वतंत्रता, और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान सामान्य कानून प्रणालियों से प्रेरित है, जहाँ उच्चतम न्यायालय अपने प्रशासन को स्वयं नियंत्रित करते हैं। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 की व्यवस्था को दर्शाता है, जो संघीय न्यायालय के लिए समान प्रावधान करता था। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, सर्वोच्च न्यायालय को एक स्वतंत्र और शक्तिशाली संस्था के रूप में स्थापित किया गया। अनुच्छेद 146 इसकी प्रशासकीय स्वायत्तता को सुनिश्चित करता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान डिजिटल युग में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ प्रशासकीय प्रक्रियाएँ डिजिटल हो रही हैं, और कर्मचारियों की नई भूमिकाएँ उभर रही हैं।
3. अनुच्छेद 146 के प्रमुख तत्व: खंड (1): नियुक्ति की शक्ति: सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी (जैसे रजिस्ट्रार, क्लर्क, स्टेनोग्राफर) की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश (CJI) या उनके द्वारा अधिकृत किसी अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि नियुक्तियाँ न्यायिक नियंत्रण में हों, न कि कार्यपालिका के। उदाहरण: CJI द्वारा रजिस्ट्रार जनरल की नियुक्ति।
खंड (2): सेवा शर्तें: सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तें (वेतन, अवकाश, पेंशन, अनुशासन) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा नियंत्रित होती हैं। ये नियम राष्ट्रपति की स्वीकृति और संसद के कानूनों के अधीन होते हैं। उदाहरण: सर्वोच्च न्यायालय कर्मचारी सेवा नियम के तहत वेतन संरचना।
खंड (3): वित्तीय व्यवस्था: सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासकीय व्यय (वेतन, भत्ते, पेंशन) भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) पर भारित होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि न्यायालय की वित्तीय आवश्यकताएँ बिना कार्यपालिका के हस्तक्षेप के पूरी हों। उदाहरण: कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान संचित निधि से।
4. महत्व: न्यायिक स्वायत्तता: CJI के नियंत्रण में नियुक्तियाँ और सेवा शर्तें। प्रशासकीय स्वतंत्रता: कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्ति। वित्तीय जवाबदेही: संचित निधि से व्यय का प्रावधान। कुशल प्रशासन: न्यायिक कार्यवाही को सुचारु बनाने के लिए।
5. प्रमुख विशेषताएँ: नियुक्ति: CJI का नियंत्रण। सेवा शर्तें: नियमों द्वारा विनियमन। वित्तीय व्यवस्था: संचित निधि। स्वायत्तता: प्रशासकीय स्वतंत्रता।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कर्मचारियों के लिए नियम स्थापित किए। 1990s: प्रशासकीय सुधारों के लिए नए नियम। 2025 स्थिति: डिजिटल प्रशासन और कर्मचारियों के लिए नियम।
7. चुनौतियाँ और विवाद: प्रशासकीय बोझ: कर्मचारी प्रबंधन से समय की बर्बादी। नियमों की जटिलता: सेवा शर्तों में असंगति की आशंका। वित्तीय सीमाएँ: संचित निधि पर बढ़ता बोझ
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचा। सर्वोच्च न्यायालय कर्मचारी संघ मामले (1998): सेवा शर्तों की व्याख्या।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, डिजिटल प्रशासन के लिए कर्मचारी प्रशिक्षण। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत प्रशासकीय प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण। साइबर और तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच न्यायिक प्रशासन सुधारों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 145: सर्वोच्च न्यायालय के नियम। अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय का गठन। अनुच्छेद 142: पूर्ण न्याय।
11. विशेष तथ्य: CJI की भूमिका: नियुक्ति में नियंत्रण। 2025 नियम: डिजिटल प्रशासन। संचित निधि: वित्तीय स्वायत्तता। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
Conclusion
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