Article 143 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 13:51:11
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143
अनुच्छेद 143 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से परामर्शी राय (Power of President to consult Supreme Court) लेने से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से संवैधानिक या कानूनी प्रश्नों पर परामर्शी राय मांगने की शक्ति देता है।
अनुच्छेद 143 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
"(1) यदि किसी समय यह राष्ट्रपति को प्रतीत हो कि कोई विधि या तथ्य का प्रश्न उत्पन्न हुआ है या होने की संभावना है, जो सामान्य महत्व का है और जिसके संबंध में यह समीचीन हो कि सर्वोच्च न्यायालय की राय प्राप्त की जाए, तो वह उस प्रश्न को सर्वोच्च न्यायालय के विचार के लिए भेज सकता है, और सर्वोच्च न्यायालय उस प्रश्न पर विचार करने के बाद अपनी राय राष्ट्रपति को दे सकता है।
(2) सर्वोच्च न्यायालय, इस अनुच्छेद के खंड (1) के अधीन भेजे गए किसी प्रश्न पर विचार करने से इन्कार कर सकता है, यदि वह यह समझता है कि वह प्रश्न ऐसी प्रकृति का है कि उस पर राय देना उचित नहीं है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह सामान्य महत्व के विधि या तथ्य के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्शी राय (Advisory Opinion) मांग सके। इसका लक्ष्य संवैधानिक और कानूनी स्पष्टता सुनिश्चित करना, विशेष रूप से जटिल या विवादास्पद मुद्दों पर, जो राष्ट्रीय महत्व के हों। यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सहयोग को दर्शाता है, साथ ही सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता को बनाए रखता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान अन्य लोकतांत्रिक प्रणालियों, जैसे कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, से प्रेरित है, जहाँ उच्चतम न्यायालय से परामर्शी राय मांगी जा सकती है। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 213 से प्रभावित है, जो संघीय न्यायालय को परामर्शी भूमिका देती थी। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान कार्यपालिका को संवैधानिक और कानूनी मुद्दों पर स्पष्टता प्राप्त करने का साधन प्रदान करता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान विशेष रूप से तब उपयोगी है जब कोई नया कानून, संवैधानिक संशोधन, या नीतिगत मुद्दा विवादास्पद हो।
3. अनुच्छेद 143 के प्रमुख तत्व: खंड (1): परामर्शी राय की शक्ति: राष्ट्रपति किसी भी विधि या तथ्य के प्रश्न को, जो सामान्य महत्व का हो, सर्वोच्च न्यायालय के विचार के लिए भेज सकता है। यह प्रश्न वर्तमान में उत्पन्न या भविष्य में उत्पन्न होने की संभावना वाला हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय विचार करने के बाद अपनी राय देता है। राय की प्रकृति: यह राय परामर्शी होती है, यानी यह बाध्यकारी नहीं है। राष्ट्रपति इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। उदाहरण: केरल शिक्षा विधेयक (1957): राष्ट्रपति ने विधेयक की संवैधानिकता पर राय मांगी।
खंड (2): इन्कार की शक्ति: सर्वोच्च न्यायालय किसी प्रश्न पर राय देने से इन्कार कर सकता है, यदि वह समझता है कि वह प्रश्न राय देने के लिए उपयुक्त नहीं है। यह इन्कार आमतौर पर तब होता है जब प्रश्न राजनीतिक, काल्पनिक, या अनावश्यक हो। उदाहरण: सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ मामलों में राजनीतिक प्रश्नों पर राय देने से इन्कार किया।
4. महत्व: संवैधानिक स्पष्टता: जटिल संवैधानिक मुद्दों पर मार्गदर्शन। न्यायिक स्वतंत्रता: सर्वोच्च न्यायालय को इन्कार की शक्ति। संघीय संतुलन: कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सहयोग। राष्ट्रीय महत्व: नीतिगत और कानूनी मुद्दों पर स्पष्टता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: परामर्शी राय: गैर-बाध्यकारी। सामान्य महत्व: विधि या तथ्य का प्रश्न। इन्कार की शक्ति: न्यायालय का विवेक। राष्ट्रपति की भूमिका: प्रश्न भेजना।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: दिल्ली कानून अधिनियम (1951): संवैधानिकता पर राय। केरल शिक्षा विधेयक (1957): अल्पसंख्यक अधिकारों पर राय। अयोध्या रेफरेंस (1994): सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक प्रकृति के कारण राय देने से इन्कार किया। 2025 स्थिति: डेटा गोपनीयता और पर्यावरण कानूनों पर राय की संभावना।
7. चुनौतियाँ और विवाद: राजनीतिक दुरुपयोग: सरकार द्वारा विवादास्पद मुद्दों को टालने के लिए उपयोग की आशंका। न्यायिक बोझ: परामर्शी राय से समय और संसाधनों का उपयोग। गैर-बाध्यकारी प्रकृति: राय की अनदेखी की संभावना।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): मूल ढांचे की सीमा। राम जन्मभूमि रेफरेंस (1994): राजनीतिक प्रश्नों पर इन्कार।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, साइबर कानून और जलवायु परिवर्तन नीतियों पर राय की संभावना। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत राय का डिजिटल रिकॉर्ड। आधुनिक कानूनी मुद्दों पर स्पष्टता। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नीतिगत सुधारों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 131: मूल अधिकारिता। अनुच्छेद 142: पूर्ण न्याय। अनुच्छेद 145: सर्वोच्च न्यायालय के नियम।
11. विशेष तथ्य: केरल शिक्षा (1957): संवैधानिक राय। 2025 चर्चा: साइबर, पर्यावरण। परामर्शी राय: गैर-बाध्यकारी। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
Conclusion
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