Article 140 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 13:43:11
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 140
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 140
अनुच्छेद 140 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह सर्वोच्च न्यायालय को पूरक शक्तियाँ प्रदान करने (Ancillary powers of Supreme Court) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को विधि द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी पूरक शक्तियाँ देने की अनुमति देता है, जो इसकी कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक हों।
अनुच्छेद 140 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार: "संसद, विधि द्वारा, सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी पूरक शक्तियाँ प्रदान कर सकती है, जो इस संविधान के उपबंधों के अधीन इसकी कार्यवाही को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक या उपयुक्त हों।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 140 संसद को यह अधिकार देता है कि वह विधि बनाकर सर्वोच्च न्यायालय को पूरक शक्तियाँ प्रदान करे, जो इसकी कार्यवाही को अधिक प्रभावी बनाएँ। इसका लक्ष्य सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक प्रक्रियाओं को सुचारु रूप से संचालित करने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपकरण प्रदान करना है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रभुता को बनाए रखते हुए कार्यक्षमता बढ़ाता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान अन्य लोकतांत्रिक प्रणालियों से प्रेरित है, जहाँ विधायिका उच्च न्यायालयों को उनकी कार्यवाही के लिए पूरक शक्तियाँ दे सकती है। यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए लचीलापन प्रदान करता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियाँ अनुच्छेद 131-139 में परिभाषित की गईं। अनुच्छेद 140 इन शक्तियों को पूरक करने का प्रावधान करता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान आधुनिक चुनौतियों, जैसे जटिल कानूनी विवाद, डिजिटल प्रक्रियाएँ, या प्रशासकीय सुधारों में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका को बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकता है।
3. अनुच्छेद 140 के प्रमुख तत्व: (i) पूरक शक्तियाँ: संसद, विधि द्वारा, सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी शक्तियाँ दे सकती है जो इसकी कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक हों। ये शक्तियाँ पूरक (ancillary) हैं, यानी वे सर्वोच्च न्यायालय की मौजूदा शक्तियों (जैसे मूल, अपीलीय, रिट, समीक्षा) को समर्थन देती हैं। उदाहरण: संसद कोई कानून बना सकती है जो सर्वोच्च न्यायालय को डिजिटल सुनवाई, विशेष जांच, या नए प्रकार के आदेश जारी करने की शक्ति दे।
(ii) संविधान के अधीन: ये पूरक शक्तियाँ संविधान के उपबंधों के अधीन होंगी। इसका अर्थ है कि ऐसी शक्तियाँ मूल ढांचे (Basic Structure) का उल्लंघन नहीं कर सकतीं। उदाहरण: कोई कानून जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करता हो, अवैध होगा।
(iii) संसद की भूमिका: यह शक्ति संसद को दी गई है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करती है। यह शक्ति कार्यपालिका और विधायिका के साथ संतुलन बनाए रखती है।
4. महत्व: न्यायिक कार्यक्षमता: सर्वोच्च न्यायालय को आधुनिक चुनौतियों (जैसे साइबर अपराध, पर्यावरण) से निपटने के लिए अतिरिक्त शक्तियाँ। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: पूरक शक्तियाँ संविधान के दायरे में रहकर स्वतंत्रता को मजबूत करती हैं। लचीलापन: नए कानूनी क्षेत्रों में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका बढ़ाने की क्षमता। न्याय तक पहुंच: प्रभावी कार्यवाही से नागरिकों को त्वरित न्याय।
5. प्रमुख विशेषताएँ: पूरक शक्तियाँ: कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए। संसद की शक्ति: विधि द्वारा विस्तार। संविधान के अधीन: मूल ढांचे का पालन। लचीलापन: आधुनिक चुनौतियाँ।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: इस प्रावधान का उपयोग सीमित रहा, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ अन्य अनुच्छेदों (131-139, 145) द्वारा परिभाषित। संभावित उपयोग: डिजिटल युग में डिजिटल सुनवाई या जांच के लिए कानून। 2025 स्थिति: साइबर कानून और पर्यावरण मामलों में पूरक शक्तियों पर चर्चा।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित उपयोग: संसद ने इस प्रावधान का व्यापक उपयोग नहीं किया। मूल ढांचा: कोई भी कानून न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं कर सकता। न्यायिक कार्यभार: अतिरिक्त शक्तियों से बोझ की आशंका।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): मूल ढांचे की अवधारणा, जो इस प्रावधान को सीमित करती है। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981): न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, डिजिटल और पर्यावरण कानूनों में पूरक शक्तियों पर विचार। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत नई शक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड। साइबर अपराध और पर्यावरण पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच न्यायिक सुधारों पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 131-139: सर्वोच्च न्यायालय की अन्य शक्तियाँ। अनुच्छेद 145: सर्वोच्च न्यायालय के नियम। अनुच्छेद 32: रिट की शक्ति।
11. विशेष तथ्य: सीमित उपयोग: ऐतिहासिक रूप से कम लागू। 2025 चर्चा: साइबर, पर्यावरण कानून। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा। पूरक शक्तियाँ: कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए।
Conclusion
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