Article 124C of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 13:03:21
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124C
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124C
अनुच्छेद 124C भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के लिए नियम बनाने की संसद की शक्ति (Power of Parliament to make law for NJAC) से संबंधित है। यह प्रावधान 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 द्वारा जोड़ा गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में असंवैधानिक घोषित किए जाने के कारण वर्तमान में यह प्रभावी नहीं है। फिर भी, इसका ऐतिहासिक और संवैधानिक महत्व है, इसलिए मैं इसका विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।
अनुच्छेद 124C का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"संसद, विधि द्वारा, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कार्यों को विनियमित करने और इस संविधान के अधीन सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रक्रिया और शर्तों को निर्धारित करने के लिए उपबंध कर सकती है।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 124C संसद को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के कार्यों को विनियमित करने और न्यायाधीशों की नियुक्ति व स्थानांतरण की प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए विधि बनाने की शक्ति देता था। इसका लक्ष्य NJAC की प्रक्रिया को पारदर्शी, संरचित, और संवैधानिक बनाना था। यह प्रावधान कोलेजियम प्रणाली को बदलने का हिस्सा था, ताकि कार्यपालिका की भागीदारी बढ़े और नियुक्ति प्रक्रिया में जवाबदेही सुनिश्चित हो।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 का हिस्सा था, जो कोलेजियम प्रणाली (दूसरा न्यायाधीश मामला, 1993 और तीसरा न्यायाधीश मामला, 1998) की आलोचनाओं, जैसे अपारदर्शिता, को संबोधित करने के लिए लाया गया।
2015 में रद्दीकरण: सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2015) में NJAC और संशोधन को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता (संविधान का मूल ढांचा) का उल्लंघन करता था।
प्रासंगिकता: यह प्रावधान ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति संतुलन पर बहस को दर्शाता है।
3. अनुच्छेद 124C का विश्लेषण: संसद की शक्ति: संसद को विधि द्वारा NJAC की प्रक्रिया, जैसे नियुक्ति और स्थानांतरण के मानदंड, प्रक्रिया, और नियम, को विनियमित करने का अधिकार था। यह विधायी शक्ति NJAC को संरचित और जवाबदेह बनाने के लिए थी। उदाहरण: राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 ने NJAC के कार्यों और प्रक्रियाओं को परिभाषित करने का प्रयास किया था। संवैधानिक सीमा: यह शक्ति संविधान के अधीन थी, विशेष रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के सिद्धांत के अधीन।
4. महत्व (ऐतिहासिक संदर्भ में): पारदर्शिता और जवाबदेही: NJAC के लिए संसद द्वारा बनाए गए नियमों का उद्देश्य नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना था। कार्यपालिका-न्यायपालिका संतुलन: विधायी शक्ति ने कार्यपालिका को नियुक्तियों में प्रभाव दिया। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि NJAC और इस प्रावधान ने स्वतंत्रता को कमजोर किया। संवैधानिक संरचना: यह प्रावधान विधायिका को NJAC के कार्यों को नियंत्रित करने का अधिकार देता था।
5. प्रमुख विशेषताएँ: संसद की विधायी शक्ति: NJAC की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए। नियुक्ति और स्थानांतरण: प्रक्रिया और मानदंड। 2015 में रद्द: असंवैधानिक घोषित। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचे का हिस्सा।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 2014: NJAC अधिनियम: संसद ने NJAC की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए अधिनियम पारित किया। 2015: NJAC असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से NJAC और संशोधन को रद्द किया। कोलेजियम की पुनर्स्थापना: NJAC के रद्द होने के बाद कोलेजियम प्रणाली जारी।
7. चुनौतियाँ और विवाद: न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका: NJAC और अनुच्छेद 124C ने कार्यपालिका को नियुक्तियों में अधिक शक्ति दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता के लिए खतरा माना। पारदर्शिता बनाम स्वतंत्रता: कोलेजियम की अपारदर्शिता की आलोचना, लेकिन NJAC को असंवैधानिक ठहराया गया। प्रक्रियात्मक अस्पष्टता: NJAC की प्रक्रिया को लागू करने में अस्पष्टता।
8. न्यायिक व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2015): NJAC और अनुच्छेद 124C को असंवैधानिक घोषित, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता था। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचे का हिस्सा। दूसरा न्यायाधीश मामला (1993): कोलेजियम प्रणाली की स्थापना।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, कोलेजियम प्रणाली के तहत नियुक्तियाँ और स्थानांतरण जारी। प्रासंगिकता: NJAC के रद्द होने के बाद कोलेजियम में पारदर्शिता और सुधार की माँग। डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियुक्ति प्रक्रिया और न्यायिक स्वतंत्रता पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय का गठन। अनुच्छेद 124A: NJAC का गठन। अनुच्छेद 124B: NJAC के कार्य। अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश।
11. विशेष तथ्य: 2015 NJAC रद्द: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय। कोलेजियम प्रणाली: वर्तमान में प्रभावी। 2025 नियुक्तियाँ: कोलेजियम के तहत। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
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