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Article 124B of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 13:01:05
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 B.png

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 B.png
अनुच्छेद 124B भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के कार्य (Functions of the National Judicial Appointments Commission) से संबंधित है। यह प्रावधान 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 द्वारा जोड़ा गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में असंवैधानिक घोषित किए जाने के कारण वर्तमान में यह प्रभावी नहीं है। फिर भी, इसका ऐतिहासिक और संवैधानिक महत्व है, इसलिए मैं इसका विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।
अनुच्छेद 124B का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कार्य निम्नलिखित होंगे—
(क) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए सिफारिश करना;
(ख) यह सुनिश्चित करना कि नियुक्त होने वाला व्यक्ति इस संविधान के अधीन योग्यता और अन्य मानदंडों को पूरा करता हो;
(ग) नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए उपयुक्त प्रक्रिया और मानदंड विकसित करना और उनका अनुपालन सुनिश्चित करना।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 124B राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के कार्यों को परिभाषित करता था, जिसका उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रक्रिया को व्यवस्थित करना था। यह कोलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही, और कार्यपालिका की भागीदारी बढ़े। इसका लक्ष्य संवैधानिक मानदंडों के अनुपालन और प्रक्रियात्मक निष्पक्षता को सुनिश्चित करना था।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: NJAC को 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 के तहत लाया गया, ताकि कोलेजियम प्रणाली (दूसरा न्यायाधीश मामला, 1993 और तीसरा न्यायाधीश मामला, 1998) की कमियों, जैसे अपारदर्शिता, को दूर किया जाए। 2015 में रद्दीकरण: सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2015) मामले में NJAC को असंवैधानिक घोषित किया, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता (संविधान का मूल ढांचा) का उल्लंघन करता था। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति संतुलन पर बहस को दर्शाता है।
3. अनुच्छेद 124B के प्रमुख उपखंड: खंड (क): नियुक्ति और स्थानांतरण की सिफारिश NJAC का प्राथमिक कार्य सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की सिफारिश करना था। यह कार्य कोलेजियम प्रणाली से स्थानांतरित किया गया, जिसमें कार्यपालिका की भागीदारी बढ़ी। उदाहरण: NJAC ने नियुक्तियों के लिए मानदंड विकसित करने की योजना बनाई थी।
खंड (ख): योग्यता और मानदंड NJAC को यह सुनिश्चित करना था कि सिफारिश किया गया व्यक्ति संवैधानिक योग्यता (जैसे, अनुच्छेद 124(3) और 217) और अन्य मानदंडों को पूरा करता हो। उद्देश्य: नियुक्तियों में निष्पक्षता और पात्रता सुनिश्चित करना।
खंड (ग): प्रक्रिया और मानदंड NJAC को नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए उपयुक्त प्रक्रिया और मानदंड विकसित करने और उनका पालन सुनिश्चित करने का दायित्व था। उदाहरण: NJAC अधिनियम, 2014 ने प्रक्रिया को परिभाषित करने का प्रयास किया।
4. महत्व (ऐतिहासिक संदर्भ में): पारदर्शिता और जवाबदेही: NJAC का उद्देश्य कोलेजियम की अपारदर्शिता को दूर करना था। कार्यपालिका की भूमिका: विधि मंत्री और प्रख्यात व्यक्तियों के शामिल होने से कार्यपालिका को नियुक्तियों में प्रभाव मिला। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि NJAC स्वतंत्रता को कमजोर करता है। संवैधानिक संतुलन: कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति संतुलन पर बहस।
5. प्रमुख विशेषताएँ: NJAC के कार्य: नियुक्ति, स्थानांतरण, और मानदंड। कोलेजियम का विकल्प: कार्यपालिका की भागीदारी। 2015 में रद्द: असंवैधानिक घोषित। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचे का हिस्सा।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 2014: NJAC की स्थापना: 99वाँ संशोधन और NJAC अधिनियम पारित। 2015: NJAC असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से NJAC को रद्द किया। कोलेजियम की पुनर्स्थापना: NJAC के रद्द होने के बाद कोलेजियम प्रणाली जारी।
7. चुनौतियाँ और विवाद: न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका: NJAC ने कार्यपालिका को नियुक्तियों में अधिक शक्ति दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता के लिए खतरा माना। पारदर्शिता बनाम स्वतंत्रता: कोलेजियम की अपारदर्शिता की आलोचना, लेकिन NJAC को असंवैधानिक ठहराया गया। प्रक्रियात्मक अस्पष्टता: NJAC की प्रक्रिया और मानदंडों पर अस्पष्टता।
8. न्यायिक व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2015): NJAC को असंवैधानिक घोषित, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता था। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचे का हिस्सा। दूसरा न्यायाधीश मामला (1993): कोलेजियम प्रणाली की स्थापना।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, कोलेजियम प्रणाली के तहत नियुक्तियाँ और स्थानांतरण जारी। प्रासंगिकता: NJAC के रद्द होने के बाद कोलेजियम में पारदर्शिता की माँग। डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियुक्ति प्रक्रिया पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय का गठन। अनुच्छेद 124A: NJAC का गठन। अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश।
11. विशेष तथ्य: 2015 NJAC रद्द: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय। कोलेजियम प्रणाली: वर्तमान में प्रभावी। 2025 नियुक्तियाँ: कोलेजियम के तहत। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
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