Article 124 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 12:55:22
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124
अनुच्छेद 124 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन (Establishment and Constitution of Supreme Court) से संबंधित है। यह प्रावधान भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना, न्यायाधीशों की नियुक्ति, योग्यता, और सेवा शर्तों को नियंत्रित करता है।
अनुच्छेद 124 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और, जब तक संसद विधि द्वारा अधिक संख्या निर्धारित न करे, सात से अधिक अन्य न्यायाधीश नहीं होंगे।
(2) प्रत्येक न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करने के बाद, और उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों के साथ परामर्श करने के बाद, जैसा कि राष्ट्रपति आवश्यक समझे, नियुक्त किया जाएगा।
परंतु यह कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में, उपरोक्त परामर्श की आवश्यकता नहीं होगी।
(3) कोई व्यक्ति तब तक सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह—
(क) भारत का नागरिक हो; और
(ख) किसी उच्च न्यायालय में कम से कम पाँच वर्ष तक न्यायाधीश रहा हो या किसी उच्च न्यायालय में कम से कम दस वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो; या
(ग) राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो।
(4) सर्वोच्च न्यायालय का कोई न्यायाधीश तब तक अपने पद से हटाया नहीं जाएगा, सिवाय इसके कि राष्ट्रपति द्वारा, संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपने कुल सदस्यों के बहुमत से और उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से समर्थित, उस सत्र में प्रस्तुत अभ्यावेदन के आधार पर, सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर आदेश दिया जाए।
परंतु यह कि ऐसा कोई अभ्यावेदन तब तक प्रस्तुत नहीं किया जाएगा, जब तक कि इस संविधान के अधीन संसद द्वारा बनाई गई प्रक्रिया का पालन न किया जाए।
(5) संसद विधि द्वारा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया और उनकी सेवा की शर्तों को विनियमित कर सकती है।
(6) प्रत्येक व्यक्ति, जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है, अपने कर्तव्यों का पालन शुरू करने से पहले, राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में दी गई प्रारूप के अनुसार शपथ या प्रतिज्ञान करेगा।
(7) कोई व्यक्ति, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो, भारत के किसी भी न्यायालय में या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष वकालत या कार्य नहीं करेगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 124 भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना, गठन, और कार्यप्रणाली को स्थापित करता है। यह न्यायाधीशों की नियुक्ति, योग्यता, हटाने की प्रक्रिया (महाभियोग), और सेवा शर्तों को नियंत्रित करता है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, शक्ति पृथक्करण, और लोकतांत्रिक जवाबदेही को सुनिश्चित करता है।
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 124 भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना, गठन, और कार्यप्रणाली को स्थापित करता है। यह न्यायाधीशों की नियुक्ति, योग्यता, हटाने की प्रक्रिया (महाभियोग), और सेवा शर्तों को नियंत्रित करता है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, शक्ति पृथक्करण, और लोकतांत्रिक जवाबदेही को सुनिश्चित करता है।
3. अनुच्छेद 124 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): सर्वोच्च न्यायालय का गठन भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश (CJI) और अधिकतम 7 अन्य न्यायाधीश होंगे (जब तक संसद विधि द्वारा संख्या न बढ़ाए)। वर्तमान स्थिति: संसद ने सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) अधिनियम, 1956 (और बाद के संशोधन) के तहत न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 34 (1 CJI + 33 अन्य) की। उदाहरण: 2019 में, न्यायाधीशों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 की गई।
खंड (2): न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति न्यायाधीशों को नियुक्त करते हैं, मुख्य न्यायाधीश और आवश्यकता अनुसार उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के परामर्श से। परंतुक: मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में अन्य परामर्श की आवश्यकता नहीं, लेकिन अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में CJI का परामर्श अनिवार्य। विकास: कोलेजियम प्रणाली: सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों (विशेष रूप से दूसरा न्यायाधीश मामला, 1993) ने नियुक्तियों में कोलेजियम (CJI और वरिष्ठ न्यायाधीशों की समिति) को प्राथमिकता दी। NJAC विवाद (2015): राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया, कोलेजियम प्रणाली को बरकरार रखा। उदाहरण: 2023 में, CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ की सिफारिश पर नए न्यायाधीश नियुक्त।
खंड (3): योग्यता सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए: भारत का नागरिक होना चाहिए। 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का अधिवक्ता या प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए। उदाहरण: जस्टिस फली नरीमन (प्रतिष्ठित विधिवेत्ता) को सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया।
खंड (4): महाभियोग न्यायाधीश को केवल सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर, संसद के दोनों सदनों के कुल सदस्यों के बहुमत और उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से हटाया जा सकता है। प्रक्रिया: संसद द्वारा अभ्यावेदन प्रस्तुत, राष्ट्रपति द्वारा आदेश। उदाहरण: 1993 में, जस्टिस वी. रामास्वामी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव असफल।
खंड (5): संसद की शक्ति संसद विधि द्वारा नियुक्ति, हटाने की प्रक्रिया, और सेवा शर्तों को विनियमित कर सकती है। उदाहरण: न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 महाभियोग प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
खंड (6): शपथ नियुक्त न्यायाधीश को तीसरी अनुसूची के प्रारूप में राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेनी होगी। उदाहरण: 2023 में, नए नियुक्त न्यायाधीशों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष शपथ ली।
खंड (7): सेवानिवृत्ति के बाद प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश भारत में किसी न्यायालय या प्राधिकारी के समक्ष वकालत या कार्य नहीं कर सकते। उदाहरण: सेवानिवृत्त CJI भारत में वकालत नहीं कर सकते, लेकिन मध्यस्थता या समितियों में भाग ले सकते हैं।
4. महत्व: न्यायपालिका की स्वतंत्रता: कोलेजियम और महाभियोग प्रक्रिया से स्वतंत्रता की रक्षा। शक्ति पृथक्करण: कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्रता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: महाभियोग के माध्यम से सीमित जवाबदेही। संवैधानिक संरक्षक: सर्वोच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या और मौलिक अधिकारों का रक्षक।
5. प्रमुख विशेषताएँ: सर्वोच्च न्यायालय का गठन: 1 CJI + 33 अन्य न्यायाधीश। कोलेजियम प्रणाली: नियुक्ति में प्राथमिकता। महाभियोग: कदाचार या अक्षमता पर। सेवानिवृत्ति प्रतिबंध: वकालत पर रोक।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1993: जस्टिस वी. रामास्वामी: महाभियोग प्रस्ताव असफल। 2015: NJAC: सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को असंवैधानिक ठहराया। 2023: नियुक्तियाँ: कोलेजियम की सिफारिश पर नए न्यायाधीश।
7. चुनौतियाँ और विवाद: कोलेजियम प्रणाली: पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी पर सवाल। महाभियोग की जटिलता: प्रक्रिया की दुर्लभता और जटिलता। न्यायिक स्वतंत्रता: कार्यपालिका के साथ तनाव, जैसे NJAC विवाद।
8. न्यायिक व्याख्या: दूसरा न्यायाधीश मामला (1993): कोलेजियम प्रणाली की स्थापना। NJAC मामला (2015): कोलेजियम की प्राथमिकता बरकरार। केशवानंद भारती (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, कोलेजियम ने नए न्यायाधीशों की सिफारिश की। प्रासंगिकता: कोलेजियम प्रणाली पर पारदर्शिता की माँग। डिजिटल संसद पहल के तहत नियुक्ति प्रक्रिया रिकॉर्ड। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियुक्ति प्रक्रिया पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 125: न्यायाधीशों का वेतन। अनुच्छेद 121: वेतन पर चर्चा प्रतिबंध। अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश।
11. विशेष तथ्य: 34 न्यायाधीश: वर्तमान संख्या। NJAC 2015: असंवैधानिक घोषित। महाभियोग: दुर्लभ उपयोग। कोलेजियम: नियुक्ति का आधार।
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