Article 120 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 12:29:13
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 120
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 120
अनुच्छेद 120 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह संसद में प्रयुक्त भाषा (Language to be used in Parliament) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद की कार्यवाही में उपयोग की जाने वाली भाषाओं को नियंत्रित करता है, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, और अन्य प्रावधानों का उल्लेख है।
अनुच्छेद 120 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद में कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा:
परंतु यह कि लोकसभा का अध्यक्ष या राज्यसभा का सभापति, जैसा भी मामला हो, किसी सदस्य को, जो हिंदी या अंग्रेजी में अपनी बात को पर्याप्त रूप से व्यक्त करने में असमर्थ हो, भारत की किसी भी अन्य आधिकारिक भाषा में अपनी बात व्यक्त करने की अनुमति दे सकता है।
(2) जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे, तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की समाप्ति के पश्चात् उपखंड (1) में अंग्रेजी के उपयोग के लिए किया गया उल्लेख हटा दिया जाएगा।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 120 संसद की कार्यवाही में उपयोग होने वाली आधिकारिक भाषाओं (हिंदी और अंग्रेजी) को परिभाषित करता है। यह भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देता है, क्योंकि यह उन सदस्यों को अनुमति देता है जो हिंदी या अंग्रेजी में कुशल नहीं हैं, वे भारत की अन्य आधिकारिक भाषाओं में बोल सकते हैं। यह संवैधानिक लचीलापन प्रदान करता है, ताकि संसद भविष्य में भाषा नीति को बदल सके।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत की भाषाई विविधता और औपनिवेशिक अंग्रेजी विरासत को ध्यान में रखकर बनाया गया। संविधान निर्माताओं ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रोत्साहित करने और अंग्रेजी को अस्थायी रूप से बनाए रखने का निर्णय लिया। भारतीय संदर्भ: भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ (8वीं अनुसूची) हैं, और अनुच्छेद 120 संसद में भाषाई समावेशिता को सुनिश्चित करता है। 15 वर्ष की समय-सीमा: संविधान के प्रारंभ (26 जनवरी 1950) से 15 वर्ष बाद (1965) तक अंग्रेजी के उपयोग को समाप्त करने की योजना थी, लेकिन इसे आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 द्वारा बढ़ाया गया।
3. अनुच्छेद 120 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): संसद में भाषा संसद की कार्यवाही हिंदी या अंग्रेजी में होगी। परंतुक: यदि कोई सदस्य हिंदी या अंग्रेजी में अपनी बात प्रभावी ढंग से व्यक्त नहीं कर सकता, तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति उसे 8वीं अनुसूची की किसी अन्य आधिकारिक भाषा (जैसे, तमिल, बंगाली, मराठी) में बोलने की अनुमति दे सकते हैं। उदाहरण: 2023 में, एक तमिलनाडु सांसद ने तमिल में लोकसभा में भाषण दिया, जिसे अध्यक्ष ने अनुमति दी।
खंड (2): अंग्रेजी की समय-सीमा संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष (1965 तक) के बाद अंग्रेजी का उपयोग समाप्त होना था, जब तक कि संसद विधि द्वारा अन्यथा न करे। वास्तविकता: आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 (और बाद में 1967 का संशोधन) ने अंग्रेजी के उपयोग को अनिश्चित काल तक बढ़ा दिया। यह हिंदी और गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों के बीच संतुलन के लिए किया गया। उदाहरण: संसद में आज भी हिंदी और अंग्रेजी दोनों का उपयोग होता है।
4. महत्व: भाषाई समावेशिता: भारत की विविध भाषाओं को संसद में प्रतिनिधित्व। संसदीय स्वायत्तता: अध्यक्ष/सभापति को भाषा अनुमति का अधिकार। संवैधानिक लचीलापन: संसद को भविष्य में भाषा नीति बदलने की शक्ति। लोकतांत्रिक भागीदारी: सांसदों को अपनी भाषा में विचार व्यक्त करने का अवसर।
5. प्रमुख विशेषताएँ: हिंदी और अंग्रेजी: प्राथमिक भाषाएँ। 8वीं अनुसूची की भाषाएँ: अनुमति के अधीन। अध्यक्ष/सभापति की भूमिका: भाषा अनुमति। 1963 अधिनियम: अंग्रेजी की निरंतरता।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1963 भाषा विवाद: 1965 में अंग्रेजी समाप्ति के खिलाफ गैर-हिंदी भाषी राज्यों (जैसे तमिलनाडु) में विरोध। परिणामस्वरूप, आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 पारित। संसद में तमिल: 2019 में, तमिलनाडु के सांसदों ने तमिल में भाषण दिया। 2025 डिजिटल संसद: भाषणों का डिजिटल अनुवाद शुरू।
7. चुनौतियाँ और विवाद: हिंदी बनाम अंग्रेजी: गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रभुत्व की आशंका। अन्य भाषाओं का उपयोग: 8वीं अनुसूची की भाषाओं के उपयोग पर सीमित अनुमति के कारण विवाद। न्यायिक समीक्षा: भाषा नीति सामान्य रूप से समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संसद की प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। भाषा नीति मामले: सुप्रीम कोर्ट ने 1963 अधिनियम को वैध ठहराया।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, डिजिटल संसद पहल के तहत भाषणों का वास्तविक समय अनुवाद (हिंदी, अंग्रेजी, और अन्य भाषाओं में) शुरू। प्रासंगिकता: विपक्ष ने क्षेत्रीय भाषाओं के अधिक उपयोग की माँग की। डिजिटल तकनीक ने भाषाई समावेशिता को बढ़ाया। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग पर चर्चा।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 343: संघ की आधिकारिक भाषा। अनुच्छेद 344: भाषा आयोग और समिति। 8वीं अनुसूची: भारत की आधिकारिक भाषाएँ।
11. विशेष तथ्य: 1963 अधिनियम: अंग्रेजी की निरंतरता। 2025 डिजिटल अनुवाद: वास्तविक समय अनुवाद। विपक्ष की माँग: क्षेत्रीय भाषाएँ। 8वीं अनुसूची: 22 भाषाएँ।
Conclusion
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