Article 118 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 12:24:58
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 118
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 118
अनुच्छेद 118 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह संसद के प्रत्येक सदन द्वारा प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए नियम बनाने की शक्ति (Rules of procedure) से संबंधित है। यह प्रावधान लोकसभा और राज्यसभा को अपनी कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 118 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) संसद का प्रत्येक सदन अपनी प्रक्रिया और कार्य संचालन को विनियमित करने के लिए नियम बना सकता है।
(2) राष्ट्रपति, दोनों सदनों के सभापति और अध्यक्ष के साथ परामर्श करने के बाद, इस संविधान के अधीन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक और संयुक्त समितियों की प्रक्रिया और कार्य संचालन को विनियमित करने के लिए नियम बना सकता है।
(3) जब तक उपखंड (2) के अधीन नियम नहीं बनाए जाते, तब तक लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा बनाए गए नियम, जैसा कि राष्ट्रपति समय-समय पर अनुमोदन करें, ऐसी संयुक्त बैठक और संयुक्त समितियों पर लागू होंगे।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 118 संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—को अपनी कार्यवाही को विनियमित करने के लिए नियम बनाने की स्वायत्तता प्रदान करता है। यह संयुक्त बैठकों और संयुक्त समितियों की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति को नियम बनाने की शक्ति देता है। यह संसदीय स्वायत्तता, प्रक्रियात्मक व्यवस्था, और संवैधानिक संतुलन सुनिश्चित करता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स अपनी प्रक्रिया के लिए नियम बनाते हैं। भारतीय संदर्भ: भारत में, यह संसद की स्वायत्तता को मजबूत करता है, जिससे प्रत्येक सदन अपनी कार्यवाही को प्रभावी ढंग से संचालित कर सके। प्रासंगिकता: यह संसदीय प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाता है।
3. अनुच्छेद 118 के प्रमुख उपखंड
खंड (1): सदनों की स्वायत्तता लोकसभा और राज्यसभा को अपनी प्रक्रिया और कार्य संचालन के लिए नियम बनाने का अधिकार है। ये नियम संविधान के प्रावधानों के अधीन होते हैं। उदाहरण: लोकसभा और राज्यसभा की नियमावलियाँ (Rules of Procedure and Conduct of Business) इस खंड के तहत बनाई गई हैं। जैसे, लोकसभा में प्रश्नकाल, शून्यकाल, और प्रस्तावों की प्रक्रिया।
खंड (2): संयुक्त बैठक और समितियाँ राष्ट्रपति को, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति के परामर्श से, संयुक्त बैठकों और संयुक्त समितियों की प्रक्रिया के लिए नियम बनाने का अधिकार है। यह अनुच्छेद 108 (संयुक्त बैठक) के तहत प्रासंगिक है। उदाहरण: 2002 में POTA (आतंकवाद निवारण अधिनियम) के लिए संयुक्त बैठक में नियम लागू।
खंड (3): अस्थायी नियम जब तक खंड (2) के तहत नियम नहीं बनाए जाते, तब तक लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बनाए गए नियम, राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ, संयुक्त बैठकों और समितियों पर लागू होंगे। उदाहरण: 1961 में दहेज निषेध विधेयक की संयुक्त बैठक में लोकसभा के नियम लागू।
4. महत्व: संसदीय स्वायत्तता: प्रत्येक सदन अपनी प्रक्रिया को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित कर सकता है। प्रक्रियात्मक व्यवस्था: नियमों से संसद की कार्यवाही सुचारु और व्यवस्थित रहती है। संयुक्त बैठकों का नियमन: संयुक्त बैठकों में एकरूपता और स्पष्टता। लोकतांत्रिक जवाबदेही: नियमों से संसद की कार्यवाही पारदर्शी रहती है।
5. प्रमुख विशेषताएँ: सदनों के नियम: लोकसभा और राज्यसभा की स्वायत्तता। राष्ट्रपति की भूमिका: संयुक्त बैठकों के लिए नियम। लोकसभा अध्यक्ष: अस्थायी नियमों का प्रावधान। संविधान के अधीन: नियम संवैधानिक ढांचे के तहत।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1961 दहेज निषेध विधेयक: संयुक्त बैठक में लोकसभा के नियम लागू। 2002 POTA: संयुक्त बैठक में नियमों का उपयोग। लोकसभा नियमावली: प्रश्नकाल, शून्यकाल, और प्रस्तावों के लिए नियम।
7. चुनौतियाँ और विवाद: नियमों का दुरुपयोग: विपक्ष अक्सर नियमों के दुरुपयोग की शिकायत करता है, जैसे शून्यकाल में समय की कमी। संयुक्त बैठकों की दुर्लभता: संयुक्त बैठकों के नियमों का उपयोग कम होने से अनुभव सीमित। न्यायिक समीक्षा: संसद की आंतरिक प्रक्रिया सामान्य रूप से समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संसद की प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। रमेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (2006): संसद की आंतरिक कार्रवाइयों पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, डिजिटल संसद पहल के तहत नियमों को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड किया जा रहा है। प्रासंगिकता: विपक्ष ने नियमों में संशोधन की माँग की, जैसे शून्यकाल में अधिक समय। संयुक्त बैठकों की संभावना पर चर्चा, जैसे चुनाव सुधार विधेयक। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच नियमों और प्रक्रिया पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 108: संयुक्त बैठक। अनुच्छेद 119: वित्तीय प्रक्रिया के नियम। अनुच्छेद 110: धन विधेयक।
11. विशेष तथ्य: 2002 POTA: संयुक्त बैठक में नियम। 2025 डिजिटल संसद: नियमों का डिजिटलीकरण। विपक्ष की माँग: अधिक चर्चा समय। लोकसभा नियम: प्रश्नकाल, शून्यकाल।
Conclusion
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