Article 116 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 12:18:48
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 116
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 116
अनुच्छेद 116 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह अनुदानों पर मत और लेखानुदान (Votes on account, votes of credit, and exceptional grants) से संबंधित है। यह प्रावधान सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान धन की निकासी के लिए अस्थायी मंजूरी प्रदान करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, विशेष रूप से तब जब पूर्ण बजट या विनियोग विधेयक पारित नहीं हुआ हो।
अनुच्छेद 116 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) इस संविधान के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, लोकसभा को यह शक्ति होगी कि वह—
(क) किसी वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिए, उस वर्ष के लिए अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदानों की माँगों पर विचार और अनुमोदन होने तक, भारत की संचित निधि से व्यय के लिए लेखानुदान (vote on account) दे;
(ख) किसी असाधारण परिस्थिति के कारण उत्पन्न होने वाली अप्रत्याशित माँग को पूरा करने के लिए, भारत की संचित निधि से लेखानुदान (vote of credit) दे;
(ग) किसी विशेष सेवा के लिए असाधारण अनुदान दे।
(2) उपखंड (1) में निर्दिष्ट किसी भी अनुदान के लिए कोई माँग तब तक प्रस्तावित नहीं की जाएगी, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो।
(3) अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध उपखंड (1) में निर्दिष्ट किसी भी अनुदान के संबंध में लागू होंगे, जैसे कि वे अनुच्छेद 112 के अधीन वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल अनुदानों की माँगों के लिए लागू होते हैं।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 116 सरकार को अस्थायी वित्तीय मंजूरी प्रदान करता है ताकि वह वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यक व्यय कर सके, जब पूर्ण बजट प्रक्रिया पूरी नहीं हुई हो। यह लोकसभा को तीन प्रकार के अनुदान देने की शक्ति देता है: लेखानुदान (vote on account), लेखानुदान (क्रेडिट) (vote of credit), और असाधारण अनुदान (exceptional grant)। यह वित्तीय निरंतरता और लोकतांत्रिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ अस्थायी वित्तीय मंजूरी के लिए विशेष प्रावधान हैं। भारतीय संदर्भ: भारत में, यह प्रावधान सरकार को अप्रत्याशित परिस्थितियों या देरी के दौरान कार्य करने की अनुमति देता है। प्रासंगिकता: यह बजट प्रक्रिया में लचीलापन और आपातकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करता है।
3. अनुच्छेद 116 के प्रमुख उपखंड
खंड (1): अनुदानों के प्रकार
लोकसभा को निम्नलिखित अनुदान देने की शक्ति है
(क) लेखानुदान (Vote on Account): वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिए अस्थायी अनुदान, जब तक कि पूर्ण बजट प्रक्रिया (अनुच्छेद 113 और 114) पूरी न हो। यह सामान्यतः कुछ महीनों (जैसे, 2-4 महीने) के लिए होता है। उदाहरण: 2024 में, लोकसभा चुनावों के कारण लेखानुदान पारित किया गया।
(ख) लेखानुदान (क्रेडिट) (Vote of Credit): अप्रत्याशित माँग के लिए, जब व्यय की प्रकृति या राशि अनिश्चित हो। यह आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे, युद्ध, प्राकृतिक आपदा) के लिए होता है। उदाहरण: 2004 में सुनामी राहत के लिए लेखानुदान (क्रेडिट)।
(ग) असाधारण अनुदान (Exceptional Grant): ऐसी सेवा के लिए जो वित्तीय वर्ष की नियमित सेवाओं का हिस्सा नहीं है। उदाहरण: विशेष परियोजनाओं के लिए। संसद को इन अनुदानों के लिए संचित निधि से धन निकासी की मंजूरी देने का अधिकार है।
खंड (2): राष्ट्रपति की सिफारिश कोई भी अनुदान माँग तब तक प्रस्तुत नहीं की जा सकती, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो। उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि अनुदान सरकार की नीतियों के अनुरूप हों। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं (अनुच्छेद 74)। उदाहरण: 2025 में लेखानुदान के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश।
खंड (3): अनुच्छेद 113 और 114 का अनुपालन इन अनुदानों पर अनुच्छेद 113 (मांगों की प्रक्रिया) और अनुच्छेद 114 (विनियोग विधेयक) के प्रावधान लागू होते हैं।
इसका मतलब: अनुदान लोकसभा में मतदान के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं।
स्वीकृत अनुदानों को विनियोग विधेयक में शामिल किया जाता है। उदाहरण: 2020 में कोविड-19 के लिए लेखानुदान विनियोग विधेयक में शामिल।
4. महत्व: वित्तीय लचीलापन: सरकार को अप्रत्याशित या अस्थायी व्यय के लिए धन उपलब्ध कराता है। लोकसभा की प्राथमिकता: वित्तीय नियंत्रण जनता के प्रतिनिधियों के पास। संवैधानिक संतुलन: राष्ट्रपति की सिफारिश से कार्यपालिका और विधायिका में संतुलन। पारदर्शिता: अनुदानों की संसदीय मंजूरी से जवाबदेही।
5. प्रमुख विशेषताएँ: लेखानुदान: अस्थायी व्यय के लिए। लेखानुदान (क्रेडिट): अप्रत्याशित माँग के लिए। असाधारण अनुदान: विशेष सेवाओं के लिए। राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 2020 कोविड-19: लेखानुदान (क्रेडिट) महामारी राहत के लिए। 2004 सुनामी: असाधारण अनुदान राहत कार्यों के लिए। 2024 चुनाव: लेखानुदान बजट देरी के लिए।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित चर्चा: विपक्ष अक्सर लेखानुदान पर पर्याप्त चर्चा की कमी की शिकायत करता है। अप्रत्याशित माँगें: लेखानुदान (क्रेडिट) की अनिश्चित प्रकृति पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: प्रक्रिया सामान्य रूप से समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): वित्तीय प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। आधार मामले (2018): वित्तीय अनुदानों पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, डिजिटल और हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए लेखानुदान प्रस्तुत।
प्रासंगिकता: विपक्ष ने सामाजिक कल्याण के लिए अधिक अनुदानों की माँग की। डिजिटल संसद पहल के तहत प्रक्रिया रिकॉर्ड की जा रही है। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच अनुदानों पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान:
अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण।
अनुच्छेद 113: मांगों की प्रक्रिया।
अनुच्छेद 114: विनियोग विधेयक।
11. विशेष तथ्य: 2020 कोविड: लेखानुदान (क्रेडिट)। 2025 लेखानुदान: डिजिटल और हरित ऊर्जा। विपक्ष की शिकायत: चर्चा की कमी। राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य।
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