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Article 114 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 12:15:25
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 115

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 115
अनुच्छेद 115 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह पूरक, अतिरिक्त या अधिक माँगें और असाधारण अनुदान (Supplementary, additional or excess grants) से संबंधित है। यह प्रावधान उन परिस्थितियों को नियंत्रित करता है जब सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है, जो वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) में शामिल नहीं थी।
अनुच्छेद 115 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) राष्ट्रपति, यदि यह संतुष्ट हो कि—
(क) किसी वित्तीय वर्ष के लिए अनुच्छेद 112 के अधीन बनाए गए अनुमानों में निर्दिष्ट राशियों से अधिक राशि की आवश्यकता है; या
(ख) उस वित्तीय वर्ष के लिए ऐसी किसी सेवा के लिए धन की आवश्यकता है, जिसके लिए वार्षिक वित्तीय विवरण में कोई उपबंध नहीं किया गया है; या
(ग) उस वित्तीय वर्ष के दौरान पहले से ही व्यय की गई राशि उस वर्ष के लिए स्वीकृत अनुदान से अधिक हो गई है,
तो वह इस प्रकार की पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँगों को लोकसभा के समक्ष प्रस्तुत करवाएगा।
(2) ऐसी पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँगों के संबंध में अनुच्छेद 113 और 114 के उपबंध लागू होंगे जैसे कि वे अनुच्छेद 112 के अधीन वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल अनुदानों की माँगों के लिए लागू होते हैं।
(3) उपखंड (1) में निर्दिष्ट किसी भी माँग के लिए कोई राशि तब तक माँगी नहीं जाएगी, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 115 सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान अतिरिक्त, पूरक, या असाधारण व्यय के लिए धन प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अप्रत्याशित या अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताओं को संसद की मंजूरी के साथ पूरा किया जाए। यह लोकतांत्रिक जवाबदेही और वित्तीय पारदर्शिता को बनाए रखता है, क्योंकि सभी व्यय संसद के नियंत्रण में रहते हैं।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ अप्रत्याशित व्यय के लिए पूरक अनुदान स्वीकृत किए जाते हैं। भारतीय संदर्भ: भारत में, पूरक माँगें सरकार को अप्रत्याशित परिस्थितियों (जैसे, प्राकृतिक आपदा, युद्ध) या नीतिगत आवश्यकताओं के लिए धन उपलब्ध कराती हैं। प्रासंगिकता: यह बजट प्रक्रिया में लचीलापन प्रदान करता है।
3. अनुच्छेद 115 के प्रमुख उपखंड
खंड (1): पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँगें राष्ट्रपति निम्नलिखित परिस्थितियों में लोकसभा के समक्ष पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँगें प्रस्तुत करवाते हैं
(क) अपर्याप्त राशि: यदि बजट में स्वीकृत राशि किसी सेवा के लिए अपर्याप्त हो।
(ख) नई सेवा: यदि ऐसी सेवा के लिए धन की आवश्यकता हो, जो वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल न हो।
(ग) असाधारण व्यय: यदि स्वीकृत अनुदान से अधिक राशि पहले ही खर्च हो चुकी हो।
उदाहरण: 2020 में कोविड-19 महामारी के लिए पूरक माँगें प्रस्तुत की गईं। 2025 में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त माँगें।
खंड (2): अनुच्छेद 113 और 114 का अनुपालन
पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँगों पर अनुच्छेद 113 (मांगों पर प्रक्रिया) और अनुच्छेद 114 (विनियोग विधेयक) के प्रावधान लागू होते हैं।
इसका मतलब: माँगें लोकसभा में मतदान के लिए प्रस्तुत की जाती हैं। स्वीकृत माँगों को विनियोग विधेयक में शामिल किया जाता है।
उदाहरण: 2023 में पूरक माँगें लोकसभा द्वारा स्वीकृत और विनियोग विधेयक में शामिल।
खंड (3): राष्ट्रपति की सिफारिश
कोई भी पूरक, अतिरिक्त या असाधारण माँग तब तक प्रस्तुत नहीं की जा सकती, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो।
उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि माँगें सरकार की नीतियों के अनुरूप हों। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं (अनुच्छेद 74)। उदाहरण: 2025 में पूरक माँगें वित्त मंत्री द्वारा राष्ट्रपति की सिफारिश के साथ प्रस्तुत।
4. महत्व: वित्तीय लचीलापन: अप्रत्याशित या अतिरिक्त व्यय के लिए प्रक्रिया। लोकसभा की प्राथमिकता: जनता के प्रतिनिधियों का वित्तीय नियंत्रण। संवैधानिक संतुलन: राष्ट्रपति की सिफारिश कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन। पारदर्शिता: माँगों की संसदीय मंजूरी से जवाबदेही।
5. प्रमुख विशेषताएँ: पूरक माँगें: अपर्याप्त राशि के लिए। अतिरिक्त माँगें: नई सेवाओं के लिए। असाधारण माँगें: पहले से खर्च राशि के लिए। राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 2020 कोविड-19 माँगें: महामारी के लिए पूरक माँगें स्वीकृत। 2004 सुनामी: राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त माँगें। 2025 बुनियादी ढांचा: डिजिटल और हरित परियोजनाओं के लिए पूरक माँगें।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित चर्चा: विपक्ष अक्सर पूरक माँगों पर पर्याप्त चर्चा की कमी की शिकायत करता है। असाधारण माँगें: पहले से खर्च राशि की मंजूरी पर सवाल। न्यायिक समीक्षा: प्रक्रिया सामान्य रूप से समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): वित्तीय प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। आधार मामले (2018): वित्तीय माँगों पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, डिजिटल और हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पूरक माँगें प्रस्तुत।
प्रासंगिकता: विपक्ष ने सामाजिक कल्याण के लिए अधिक माँगों की जरूरत बताई। डिजिटल संसद पहल के तहत माँगों की प्रक्रिया रिकॉर्ड की जा रही है। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच पूरक माँगों पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान:
अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण।
अनुच्छेद 113: मांगों की प्रक्रिया।
अनुच्छेद 114: विनियोग विधेयक।
11. विशेष तथ्य
2020 कोविड: पूरक माँगें।
2025 माँगें: डिजिटल और हरित ऊर्जा।
विपक्ष की शिकायत: चर्चा की कमी।
राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य।
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