Article 114 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-02 12:10:50
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 114
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 114
अनुच्छेद 114 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह विनियोग विधेयक (Appropriation Bills) से संबंधित है। यह प्रावधान भारत की संचित निधि से व्यय को मंजूरी देने के लिए विनियोग विधेयक की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जो वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) का हिस्सा है।
अनुच्छेद 114 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) जैसे ही अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदानों की माँगों पर लोकसभा द्वारा विचार और मतदान कर लिया जाता है, राष्ट्रपति एक विधेयक, जो भारत की संचित निधि से उस वित्तीय वर्ष के लिए स्वीकृत सभी अनुमानित व्यय को विनियोजित करने के लिए उपबंध करता हो, लोकसभा में प्रस्तुत करवाएगा।
(2) उपखंड (1) में निर्दिष्ट विधेयक में कोई संशोधन तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह उन अनुदानों की माँगों में स्वीकृत राशियों को विनियोजित करने के लिए आवश्यक न हो।
(3) उपखंड (1) में निर्दिष्ट विधेयक में कोई संशोधन तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की राशि में परिवर्तन हो।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक के माध्यम से भारत की संचित निधि से व्यय को मंजूरी देने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का कोई भी व्यय संसद की विधायी मंजूरी के बिना नहीं हो सकता। यह लोकतांत्रिक जवाबदेही और वित्तीय पारदर्शिता को बनाए रखता है, क्योंकि लोकसभा द्वारा अनुमोदित मांगें और संचित निधि पर भारित व्यय विधेयक में शामिल होते हैं।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा बजट के लिए विनियोग विधेयक पारित किया जाता है। भारतीय संदर्भ: भारत में, विनियोग विधेयक सरकार के वार्षिक खर्च को वैध बनाता है और लोकसभा की वित्तीय प्राथमिकता को दर्शाता है। प्रासंगिकता: यह बजट प्रक्रिया का अंतिम चरण है, जो व्यय को कानूनी रूप देता है।
3. अनुच्छेद 114 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): विनियोग विधेयक की प्रस्तुति अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा द्वारा अनुदानों की मांगों (Demands for Grants) पर मतदान के बाद, राष्ट्रपति एक विनियोग विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत करवाते हैं। यह विधेयक निम्नलिखित को कवर करता है: (क) लोकसभा द्वारा स्वीकृत अनुदान (मतदान योग्य व्यय)। (ख) भारत की संचित निधि पर भारित व्यय (जैसे, राष्ट्रपति का वेतन, ऋण ब्याज)। उदाहरण: 2025 में, विनियोग विधेयक 2025-26 लोकसभा में बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत किया गया।
खंड (2): संशोधन पर प्रतिबंध विनियोग विधेयक में कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जा सकता, जो: लोकसभा द्वारा स्वीकृत अनुदानों की राशि या गंतव्य को बदल दे। संचित निधि पर भारित व्यय की राशि को बदल दे। उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि संसद द्वारा पहले से स्वीकृत मांगों में कोई अनधिकृत बदलाव न हो। उदाहरण: 2023 में, विपक्ष ने विनियोग विधेयक में संशोधन की कोशिश की, लेकिन नियमों के तहत इसे अस्वीकार किया गया।
खंड (3): संचित निधि से निकासी भारत की संचित निधि से कोई भी धन विनियोग विधेयक के बिना नहीं निकाला जा सकता। यह विधेयक इस अनुच्छेद के प्रावधानों के अनुसार पारित होना चाहिए। उद्देश्य: यह सरकार के खर्चों पर संसदीय नियंत्रण सुनिश्चित करता है। उदाहरण: प्रत्येक वर्ष, विनियोग विधेयक के पारित होने के बाद ही सरकार बजट व्यय कर सकती है।
4. महत्व: वित्तीय नियंत्रण: संचित निधि से व्यय को वैध बनाने के लिए संसद की मंजूरी अनिवार्य। लोकसभा की प्राथमिकता: लोकतांत्रिक जवाबदेही को दर्शाता है। संवैधानिक संतुलन: राष्ट्रपति की भूमिका और संसद की शक्ति के बीच संतुलन। पारदर्शिता: विनियोग विधेयक सरकार के खर्चों को पारदर्शी बनाता है।
5. प्रमुख विशेषताएँ: विनियोग विधेयक: संचित निधि से व्यय की मंजूरी। लोकसभा की शक्ति: अनुदानों का अनुमोदन। संशोधन पर प्रतिबंध: राशि या गंतव्य में बदलाव नहीं। राष्ट्रपति की भूमिका: विधेयक प्रस्तुति।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1991 का विनियोग विधेयक: आर्थिक उदारीकरण के लिए महत्वपूर्ण व्यय मंजूरी। 2020 कोविड विनियोग: महामारी से निपटने के लिए विशेष प्रावधान। 2025 विनियोग विधेयक: डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा पर जोर।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित चर्चा: विपक्ष अक्सर विनियोग विधेयक पर पर्याप्त चर्चा की कमी की शिकायत करता है। संशोधन पर प्रतिबंध: संशोधन की सीमा पर विपक्ष की आपत्तियाँ। न्यायिक समीक्षा: विनियोग प्रक्रिया सामान्य रूप से न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संसद की वित्तीय प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। आधार मामले (2018): विनियोग और धन विधेयक पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, विनियोग विधेयक 2025-26 लोकसभा में प्रस्तुत, जिसमें डिजिटल और हरित ऊर्जा पर फोकस। प्रासंगिकता: विपक्ष ने सामाजिक कल्याण और ग्रामीण विकास के लिए अधिक व्यय की माँग की। डिजिटल संसद पहल के तहत विनियोग प्रक्रिया रिकॉर्ड की जा रही है। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच व्यय प्राथमिकताओं पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान
अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण।
अनुच्छेद 113: व्यय की मांगें।
अनुच्छेद 110: धन विधेयक की परिभाषा।
11. विशेष तथ्य: 2025 विनियोग: डिजिटल और हरित ऊर्जा पर जोर। 1991 उदारीकरण: ऐतिहासिक विनियोग। विपक्ष की शिकायत: चर्चा की कमी। संशोधन पर प्रतिबंध: प्रक्रिया की सीमा।
Conclusion
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