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Article 112 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 12:05:06
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 112

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 112
अनुच्छेद 112 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) से संबंधित है, जिसे आमतौर पर बजट के रूप में जाना जाता है। यह प्रावधान भारत सरकार के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में आय और व्यय का विवरण संसद के समक्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है।
अनुच्छेद 112 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार: "(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में भारत सरकार के अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का एक विवरण, इस अनुच्छेद में इसके पश्चात् 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा जाएगा, संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगा।
(2) उपखंड (1) में निर्दिष्ट अनुमान उन अनुमानों में से उन व्ययों को छोड़कर, जो भारत की संचित निधि पर भारित हैं, प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग दिखाए जाएँगे और उन अनुमानों से भिन्न होंगे, जो मत द्वारा अनुमोदित किए जाने हैं।
(3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होंगे—
(क) राष्ट्रपति का पारिश्रमिक और अन्य व्यय और उनके कार्यालय से संबंधित व्यय;
(ख) लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, और राज्यसभा के सभापति और उपसभापति का पारिश्रमिक और अन्य व्यय;
(ग) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का पारिश्रमिक और अन्य व्यय;
(घ) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का पारिश्रमिक और अन्य व्यय;
(ङ) भारत की संचित निधि पर ब्याज, डूबता निधि शुल्क, और ऋणों के परिशोधन के लिए व्यय और अन्य पूंजीगत व्यय;
(च) इस संविधान के अधीन या संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन भारत की संचित निधि पर भारित कोई अन्य व्यय।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 112 भारत सरकार के वार्षिक बजट को संसद के समक्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार की आय और व्यय की पारदर्शी और संवैधानिक प्रक्रिया हो। यह लोकतांत्रिक जवाबदेही को बढ़ावा देता है, क्योंकि संसद (विशेष रूप से लोकसभा) बजट को मंजूरी देती है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ वार्षिक बजट हाउस ऑफ कॉमन्स के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। भारतीय संदर्भ: भारत में, बजट सरकार की आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं को दर्शाता है, और लोकसभा की मंजूरी इसे लोकतांत्रिक बनाती है। प्रासंगिकता: यह वित्तीय प्रबंधन और संसदीय निगरानी का आधार है।
3. अनुच्छेद 112 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): वार्षिक वित्तीय विवरण राष्ट्रपति की भूमिका: राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए अनुमानित आय और व्यय का विवरण संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के समक्ष रखवाते हैं। वित्तीय विवरण: इसे बजट कहा जाता है, जो वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें राजस्व, पूंजीगत व्यय, और उधार जैसे सभी वित्तीय पहलू शामिल होते हैं। उदाहरण: 2025 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट 2025-26 प्रस्तुत किया।
खंड (2): व्यय का वर्गीकरण वार्षिक वित्तीय विवरण में व्यय को दो श्रेणियों में दिखाया जाता है
(क) संचित निधि पर भारित व्यय: ये व्यय लोकसभा द्वारा मतदान के अधीन नहीं होते। इन्हें स्वतः मंजूरी मिलती है।
(ख) अन्य व्यय: ये व्यय लोकसभा द्वारा मतदान के माध्यम से मंजूर किए जाते हैं। इसमें राजस्व और पूंजीगत व्यय शामिल हैं।
वर्गीकरण: राजस्व व्यय: नियमित खर्चे, जैसे वेतन, सब्सिडी।
पूंजीगत व्यय: बुनियादी ढांचा, परिसंपत्ति निर्माण।
खंड (3): संचित निधि पर भारित व्यय निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर स्वतः भारित होते हैं
(क) राष्ट्रपति का पारिश्रमिक और कार्यालय व्यय।
(ख) लोकसभा अध्यक्ष/उपाध्यक्ष और राज्यसभा सभापति/उपसभापति का पारिश्रमिक।
(ग) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) का पारिश्रमिक और पेंशन।
(घ) न्यायालयों के निर्णय, डिक्री, या मध्यस्थता पुरस्कार।
(ङ) ऋण पर ब्याज, डूबता निधि शुल्क, और परिशोधन।
(च) संसद या संविधान द्वारा भारित अन्य व्यय। उद्देश्य: ये व्यय संवैधानिक पदों और वित्तीय दायित्वों की रक्षा करते हैं।
4. महत्व: वित्तीय पारदर्शिता: बजट संसद के समक्ष प्रस्तुत कर सरकार की आय-व्यय की जवाबदेही सुनिश्चित होती है। लोकसभा की प्राथमिकता: मतदान योग्य व्यय पर लोकसभा का नियंत्रण जनता की जवाबदेही को दर्शाता है।
संवैधानिक संतुलन: संचित निधि पर भारित व्यय महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों की रक्षा करते हैं। आर्थिक नीति: बजट सरकार की प्राथमिकताओं और विकास योजनाओं को दर्शाता है।
5. प्रमुख विशेषताएँ: बजट: वार्षिक वित्तीय विवरण। लोकसभा की मंजूरी: मतदान योग्य व्यय के लिए। संचित निधि: स्वतः भारित व्यय। राष्ट्रपति की भूमिका: बजट प्रस्तुति।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 का पहला बजट: स्वतंत्र भारत का पहला बजट आर.के. शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया। 1991 का बजट: मनमोहन सिंह द्वारा आर्थिक उदारीकरण का बजट। 2020 कोविड बजट: महामारी के कारण विशेष प्रावधान।
7. चुनौतियाँ और विवाद: बजट में देरी: कुछ मामलों में अंतरिम बजट प्रस्तुत किया जाता है। लोकसभा बनाम राज्यसभा: राज्यसभा की सलाहकारी भूमिका पर विपक्ष की आपत्तियाँ। न्यायिक समीक्षा: बजट प्रक्रिया सामान्य रूप से न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संसद की वित्तीय प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। आधार मामले (2018): धन विधेयक और बजट प्रक्रिया पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, बजट 2025-26 फरवरी में प्रस्तुत, जिसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा पर जोर।
प्रासंगिकता: विपक्ष ने बजट में सामाजिक कल्याण योजनाओं की कमी पर सवाल उठाए। डिजिटल संसद पहल के तहत बजट प्रक्रिया रिकॉर्ड की जा रही है। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच बजट प्राथमिकताओं पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 109: धन विधेयकों की प्रक्रिया। अनुच्छेद 110: धन विधेयक की परिभाषा। अनुच्छेद 113: विनियोग विधेयक।
11. विशेष तथ्य: 2025 बजट: डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था पर फोकस। 1991 उदारीकरण: ऐतिहासिक बजट। संचित निधि: स्वतः मंजूर व्यय। विपक्ष की आपत्ति: बजट प्रक्रिया पर।
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