Article 110 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-01 14:13:56
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110
अनुच्छेद 110 का सार अनुच्छेद 110 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत आता है। यह अनुच्छेद धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा को निर्धारित करता है और यह स्पष्ट करता है कि किन परिस्थितियों में एक विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा। इसका उद्देश्य वित्तीय मामलों में लोकसभा की प्राथमिकता को सुनिश्चित करना और धन विधेयकों की प्रक्रिया को स्पष्ट करना है। यह अनुच्छेद 109 के साथ मिलकर धन विधेयकों की विधायी प्रक्रिया को पूर्णता प्रदान करता है।
मुख्य प्रावधान
अनुच्छेद 110 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं
धन विधेयक की परिभाषा: एक विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा यदि वह केवल निम्नलिखित विषयों से संबंधित है या उनमें से किसी एक से संबंधित है:
करों का अधिरोपण (imposition), उन्मूलन (abolition), छूट (remission), परिवर्तन (alteration), या विनियमन (regulation)।
भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) या आकस्मिक निधि (Contingency Fund) से धन का विनियोजन (appropriation)।
भारत की संचित निधि में धन का भुगतान, निकासी, या संरक्षण।
सार्वजनिक लेखा (public accounts) या भारत की संचित निधि पर कोई प्रभार (charge) या प्रभार में परिवर्तन।
किसी ऋण की प्राप्ति, भारत सरकार द्वारा गारंटी, या ऋण के भुगतान से संबंधित मामले।
उपरोक्त किसी भी मामले से संबंधित कोई आनुषंगिक (incidental) मामला।
लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय: यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, तो लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।
प्रमाणन: धन विधेयक को लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद, अध्यक्ष द्वारा इसे धन विधेयक के रूप में प्रमाणित किया जाता है, और यह प्रमाणन राज्यसभा को भेजे जाने वाले विधेयक के साथ शामिल होता है।
राज्यसभा की सीमित भूमिका: धन विधेयक पर अनुच्छेद 109 के तहत प्रक्रिया लागू होती है, जिसमें राज्यसभा केवल सिफारिशें दे सकती है, जो बाध्यकारी नहीं हैं।
उद्देश्य: धन विधेयकों की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करना ताकि वित्तीय मामलों में प्रक्रियात्मक स्पष्टता बनी रहे। लोकसभा की वित्तीय मामलों में प्राथमिकता सुनिश्चित करना, क्योंकि यह प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होती है। राज्यसभा की सलाहकारी भूमिका को परिभाषित करना। वित्तीय नीतियों और बजट प्रक्रिया को सुचारु और समयबद्ध बनाना।
अनुच्छेद 110 की विशेषताएँ
स्पष्ट परिभाषा: यह धन विधेयक के लिए विशिष्ट और सीमित विषयों को परिभाषित करता है, जिससे प्रक्रिया में अस्पष्टता कम होती है।
लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका: अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होने से धन विधेयक की पहचान में एकरूपता सुनिश्चित होती है।
लोकसभा का प्रभुत्व: यह वित्तीय मामलों में लोकसभा की सर्वोच्चता को रेखांकित करता है।
न्यायिक समीक्षा की सीमा: अनुच्छेद 122 के साथ मिलकर यह लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय की सीमित न्यायिक समीक्षा सुनिश्चित करता है।
प्रक्रियात्मक दक्षता: धन विधेयकों की परिभाषा और प्रक्रिया वित्तीय नीतियों को शीघ्र लागू करने में मदद करती है।
अनुच्छेद 110 का महत्व
लोकतांत्रिक जवाबदेही: यह वित्तीय मामलों में प्रत्यक्ष निर्वाचित लोकसभा को प्राथमिकता देकर जनता की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
वित्तीय स्थिरता: धन विधेयकों की स्पष्ट परिभाषा और प्रक्रिया सरकारी वित्तीय योजनाओं और बजट को समय पर लागू करने में मदद करती है।
द्विसदनीय संतुलन: यह लोकसभा और राज्यसभा के बीच संतुलन बनाए रखता है, जहाँ राज्यसभा की भूमिका सलाहकारी होती है।
संवैधानिक स्पष्टता: यह धन विधेयक की प्रक्रिया को स्पष्ट और व्यवस्थित करता है, जिससे विवाद कम होते हैं।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
जयराम रमेश बनाम भारत सरकार (2016) (आधार विधेयक मामला)
मामला: आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) विधेयक, 2016 को धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत और पारित किया गया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक की परिभाषा को पूरा नहीं करता, क्योंकि इसमें गैर-वित्तीय प्रावधान शामिल थे, और इसे धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत करना राज्यसभा की भूमिका को कमजोर करता था।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 110 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय कि कोई विधेयक धन विधेयक है, अंतिम है और सामान्य रूप से न्यायिक समीक्षा के लिए खुला नहीं है, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से संवैधानिक उल्लंघन न हो। कोर्ट ने आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में वैध ठहराया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 110 को धन विधेयक की परिभाषा और लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय की अंतिमता के लिए महत्वपूर्ण माना।
केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार (2018) (आधार मामला)
मामला: आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते समय याचिकाकर्ताओं ने फिर से तर्क दिया कि इसे धन विधेयक के रूप में पारित करना अनुच्छेद 110 का उल्लंघन था, क्योंकि यह केवल वित्तीय मामलों तक सीमित नहीं था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि गैर-वित्तीय प्रावधानों को धन विधेयक में शामिल करना संवैधानिक धोखा था।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने अपने 2016 के निर्णय को दोहराया और कहा कि अनुच्छेद 110 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम है। कोर्ट ने आधार अधिनियम को धन विधेयक के रूप में वैध ठहराया, लेकिन कुछ गैर-वित्तीय प्रावधानों को हटाया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 110 को धन विधेयक की परिभाषा और प्रक्रिया में लोकसभा की प्राथमिकता के लिए प्रासंगिक माना, लेकिन गैर-वित्तीय प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की।
यशवंत सिन्हा बनाम भारत सरकार (2019) (वित्त विधेयक मामला)
मामला: वित्त विधेयक, 2017 को धन विधेयक के रूप में पारित करने को चुनौती दी गई, यह दावा करते हुए कि इसमें गैर-वित्तीय प्रावधान शामिल थे, जो अनुच्छेद 110 की परिभाषा का उल्लंघन था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह राज्यसभा की भूमिका को दरकिनार करने का प्रयास था।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 110 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय सामान्य रूप से अंतिम होता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन यह सुझाव दिया कि भविष्य में धन विधेयक में गैर-वित्तीय प्रावधानों को शामिल करने की प्रथा की समीक्षा की जा सकती है।
महत्व: इसने अनुच्छेद 110 को धन विधेयक की परिभाषा और लोकसभा की प्राथमिकता के लिए महत्वपूर्ण माना, लेकिन दुरुपयोग की संभावना पर चेतावनी दी।
मंगल सिंह बनाम भारत सरकार (1967)
मामला: इस मामले में एक वित्त विधेयक को धन विधेयक के रूप में पारित करने की प्रक्रिया को अनुच्छेद 110 के तहत चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विधेयक में गैर-वित्तीय प्रावधान शामिल थे।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक की परिभाषा स्पष्ट है, और लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय कि विधेयक धन विधेयक है, अंतिम है। कोर्ट ने प्रक्रिया को वैध ठहराया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 110 को धन विधेयक की परिभाषा और प्रक्रिया की वैधता के लिए प्रासंगिक माना।
रामदास अठावले बनाम भारत सरकार (2010)
मामला: इस मामले में एक विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत करने को चुनौती दी गई, यह दावा करते हुए कि यह अनुच्छेद 110 की परिभाषा को पूरा नहीं करता।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 110 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम है, और यह अनुच्छेद 122 के तहत सीमित न्यायिक समीक्षा के अधीन है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
महत्व: इसने अनुच्छेद 110 को धन विधेयक की परिभाषा और लोकसभा की स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण माना।
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