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Article 106 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-01 13:57:33
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 106

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 106
अनुच्छेद 106 का सार अनुच्छेद 106 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत आता है। यह अनुच्छेद संसद के सदस्यों (लोकसभा और राज्यसभा) के वेतन, भत्ते, और पेंशन से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करता है। इसका उद्देश्य संसद के सदस्यों को उनकी विधायी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उचित वित्तीय सहायता प्रदान करना और उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।
मुख्य प्रावधान
अनुच्छेद 106 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं
वेतन और भत्ते: संसद के प्रत्येक सदन के सदस्यों को ऐसे वेतन और भत्ते प्राप्त करने का अधिकार होगा, जैसा कि संसद समय-समय पर कानून द्वारा निर्धारित करे।
पेंशन: संसद के सदस्यों को ऐसी पेंशन प्राप्त करने का अधिकार होगा, जैसा कि संसद द्वारा कानून के माध्यम से निर्धारित किया जाए।
कानून बनाने की शक्ति: संसद को अपने सदस्यों के वेतन, भत्तों, और पेंशन को निर्धारित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार है।
लागू होने का दायरा: यह प्रावधान लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्यों पर लागू होता है।
उद्देश्य: संसद के सदस्यों को उनकी विधायी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। सदस्यों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना, ताकि वे बाहरी वित्तीय दबावों से मुक्त रहें। संसद की कार्यवाही में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना। सदस्यों के लिए सम्मानजनक जीवन स्तर सुनिश्चित करना, विशेष रूप से उनके कार्यकाल के बाद पेंशन के माध्यम से।
अनुच्छेद 106 की विशेषताएँ
संसदीय स्वायत्तता: यह संसद को अपने सदस्यों के वेतन और भत्तों को निर्धारित करने का पूर्ण अधिकार देता है, जिससे विधायिका की स्वतंत्रता बनी रहती है।
कानूनी ढांचा: वेतन, भत्ते, और पेंशन को कानून द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है।
लचीलापन: संसद को समय-समय पर बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार वेतन और भत्तों को संशोधित करने का अधिकार है।
न्यायिक समीक्षा की सीमा: अनुच्छेद 106 के तहत बनाए गए कानून सीमित न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं, जब तक कि वे संवैधानिक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन न करें।
सार्वजनिक जवाबदेही: वेतन और भत्तों के निर्धारण में संसद की जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है, क्योंकि यह कानून के माध्यम से होता है।
अनुच्छेद 106 का महत्व
सदस्यों की स्वतंत्रता: उचित वेतन और भत्ते संसद के सदस्यों को वित्तीय दबावों से मुक्त रखते हैं, जिससे वे निष्पक्ष रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया: यह संसद की कार्यवाही में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का आधार है।
सामाजिक सम्मान: पेंशन और भत्ते संसद के सदस्यों को उनके कार्यकाल के बाद सम्मानजनक जीवन प्रदान करते हैं।
संवैधानिक संतुलन: यह विधायिका की स्वायत्तता को बनाए रखता है और कार्यपालिका या न्यायपालिका के हस्तक्षेप को सीमित करता है।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
कॉमन कॉज बनाम भारत सरकार (1996)
मामला: इस लोकहित याचिका में संसद के सदस्यों के वेतन, भत्तों, और पेंशन में वृद्धि को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह अनुच्छेद 106 के तहत संसद की शक्ति का दुरुपयोग है और सार्वजनिक धन का अनुचित उपयोग है।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 106 संसद को अपने सदस्यों के वेतन और भत्तों को निर्धारित करने का पूर्ण अधिकार देता है, और यह कानून के माध्यम से किया गया है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन संसद से पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने का आग्रह किया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 106 को संसद की स्वायत्तता और वेतन निर्धारण की शक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना।
अलागापुरम आर. मोहनराज बनाम तमिलनाडु विधानसभा (2016)
मामला: इस मामले में तमिलनाडु विधानसभा के सदस्यों के वेतन और भत्तों में वृद्धि को चुनौती दी गई, जिसे अनुच्छेद 106 (और समकक्ष अनुच्छेद 195) के तहत अनुचित माना गया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह वृद्धि सार्वजनिक हित के खिलाफ थी।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 106 (और 195) विधानमंडलों को अपने सदस्यों के वेतन और भत्तों को निर्धारित करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन यह भी कहा कि वेतन वृद्धि उचित और पारदर्शी होनी चाहिए।
महत्व: इसने अनुच्छेद 106 को वेतन निर्धारण में संसद की स्वायत्तता के लिए प्रासंगिक माना।
लोक प्रहरी बनाम भारत सरकार (2007)
मामला: इस लोकहित याचिका में संसद के सदस्यों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को अनुच्छेद 106 के तहत चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह सुविधाएँ अनुचित थीं और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग थीं।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 106 के तहत संसद को पेंशन और भत्तों को निर्धारित करने का अधिकार है, और यह संसद सदस्य (वेतन, भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1954 के अनुरूप है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
महत्व: इसने अनुच्छेद 106 को पेंशन और भत्तों के लिए संसद की कानून बनाने की शक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना।
संघ लोक सेवा संगठन बनाम भारत सरकार (2011)
मामला: इस मामले में संसद के सदस्यों के लिए आवास, यात्रा भत्ते, और अन्य सुविधाओं को अनुच्छेद 106 के तहत अनुचित माना गया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये सुविधाएँ अत्यधिक थीं।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 106 संसद को अपने सदस्यों के लिए भत्तों और सुविधाओं को निर्धारित करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन संसद से सार्वजनिक हित को ध्यान में रखने का आग्रह किया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 106 को संसद की स्वायत्तता और भत्तों के निर्धारण में महत्वपूर्ण माना।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम भारत सरकार (2003)
मामला: इस मामले में संसद के सदस्यों के वेतन और सुविधाओं की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र तंत्र की मांग की गई, जिसे अनुच्छेद 106 के तहत उठाया गया।
निर्णय: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 106 के तहत वेतन और भत्तों का निर्धारण संसद का विशेषाधिकार है। कोर्ट ने स्वतंत्र तंत्र की मांग को अस्वीकार कर दिया, लेकिन संसद से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया।
महत्व: इसने अनुच्छेद 106 को संसद की स्वायत्तता और वेतन निर्धारण की शक्ति के लिए प्रासंगिक माना।
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