Article 98 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-01 12:42:06
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 98
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 98
अनुच्छेद 98 का पूर्ण विवरण
अनुच्छेद 98 के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं
अनुच्छेद 98(1): लोकसभा और राज्यसभा का अपना-अपना सचिवालय होगा। प्रत्येक सदन के लिए अलग-अलग सचिवालय की व्यवस्था की जाएगी, जो संसद की कार्यवाही को सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
जब तक संसद द्वारा ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जाता, तब तक राष्ट्रपति, लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति (जैसा भी मामला हो) के परामर्श से, नियम बनाकर इन मामलों को विनियमित कर सकता अनुच्छेद 98(2): संसद को कानून बनाकर प्रत्येक सदन के सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्तों, और कार्यों को विनियमित करने का अधिकार है। है। राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियम तब तक प्रभावी रहेंगे, जब तक संसद द्वारा कोई कानून नहीं बनाया जाता।
अनुच्छेद 98 की मुख्य विशेषताएं
संसद की स्वायत्तता: अनुच्छेद 98 यह सुनिश्चित करता है कि लोकसभा और राज्यसभा के अपने स्वतंत्र सचिवालय हों, जो कार्यपालिका के हस्तक्षेप के बिना संसद की कार्यवाही को सहायता प्रदान करते हैं।
सचिवालय की भूमिका: सचिवालय संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें प्रशासनिक सहायता, रिकॉर्ड रखरखाव, विधायी प्रक्रियाओं का प्रबंधन, और अन्य तकनीकी कार्य शामिल हैं
संसद की विधायी शक्ति: संसद को सचिवालय के कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने का अधिकार है, जो विधायी स्वायत्तता को दर्शाता है।
राष्ट्रपति की अंतरिम शक्ति: संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक राष्ट्रपति को नियम बनाने का अधिकार है, जो अध्यक्ष या सभापति के परामर्श से किया जाता है, ताकि सचिवालय का कार्य बिना रुकावट चल सके। निष्पक्षता और कार्यकुशलता: सचिवालय के कर्मचारी निष्पक्ष और पेशेवर रूप से कार्य करते हैं, जो संसद की कार्यवाही में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करता है।
संबंधित कानून लोकसभा सचिवालय (नियुक्ति और सेवा शर्तें) नियम: ये नियम लोकसभा सचिवालय के कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करते हैं। राज्यसभा सचिवालय (नियुक्ति और सेवा शर्तें) नियम: ये नियम राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारियों के लिए लागू होते हैं। संसद ने समय-समय पर इन नियमों को संशोधित किया है ताकि सचिवालय के कार्यों को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
पृष्ठभूमि: यह मामला संविधान की मूल संरचना सिद्धांत से संबंधित था, जिसमें संसद की स्वायत्तता और कार्यवाही पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 98 जैसे प्रावधान, जो संसद के सचिवालय की स्वायत्तता सुनिश्चित करते हैं, संसदीय शासन प्रणाली का हिस्सा हैं और संविधान की मूल संरचना के अधीन हैं।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 98 की संवैधानिक अखंडता और संसद की स्वायत्तता को मजबूत किया।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (1993) (दूसरा जजेज केस):
पृष्ठभूमि: इस मामले में संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता पर विचार किया गया, जिसमें संसद की स्वायत्तता शामिल थी।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 98 के तहत संसद के सचिवालय की स्वतंत्रता संसद की कार्यवाही की निष्पक्षता और दक्षता के लिए आवश्यक है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 98 के तहत सचिवालय की स्वायत्तता और महत्व को रेखांकित किया।
किहोतो होलोहन बनाम जचिल्हु (1992)
पृष्ठभूमि: इस मामले में दसवीं अनुसूची और संसद की कार्यवाही पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि संसद के सचिवालय (अनुच्छेद 98) की भूमिका दलबदल जैसे मामलों में प्रक्रियात्मक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण है, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 98 के तहत सचिवालय की सहायक भूमिका को मजबूत किया।
राजा राम पाल बनाम लोकसभा अध्यक्ष (2007) (नकद के बदले सवाल मामला):
पृष्ठभूमि: इस मामले में संसद के विशेषाधिकार और सचिवालय की भूमिका पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद का सचिवालय (अनुच्छेद 98) संसद की कार्यवाही और विशेषाधिकारों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सचिवालय की स्वायत्तता संसद की स्वतंत्रता का हिस्सा है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 98 के तहत सचिवालय की स्वायत्तता और कार्यकुशलता को रेखांकित किया।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781