Article 80 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-01 11:14:26
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80: राज्यसभा की संरचना
अनुच्छेद 80 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के तहत आता है और यह राज्यसभा (Council of States) की संरचना को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद भारत की संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा, के गठन और इसके सदस्यों की संख्या और चयन प्रक्रिया को विस्तार से बताता है। यह भारत के संघीय ढांचे में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 80 के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं
अनुच्छेद 80(1): राज्यसभा में 250 से अधिक सदस्य नहीं होंगे, जिनमें शामिल हैं
238 सदस्य: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, जो निर्वाचित होंगे।
12 सदस्य: राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत (नॉमिनेटेड) किए जाएंगे, जो साहित्य, विज्ञान, कला, और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखते हों।
अनुच्छेद 80(2): राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए राज्यसभा में सीटों का आवंटन संविधान की चौथी अनुसूची में दिया गया है। यह आवंटन मुख्य रूप से प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की जनसंख्या के आधार पर होता है।
अनुच्छेद 80(3): केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों का चयन उस तरीके से होगा, जो संसद द्वारा कानून बनाकर निर्धारित किया जाए।
अनुच्छेद 80(4): राज्यों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) के माध्यम से किया जाएगा।
अनुच्छेद 80(5): केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उस तरीके से होगा, जो संसद द्वारा कानून बनाकर निर्धारित किया गया हो। उदाहरण के लिए, दिल्ली और पुडुचेरी जैसे केंद्रशासित प्रदेशों के लिए यह प्रक्रिया प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत परिभाषित है।
अनुच्छेद 80 की मुख्य विशेषताएं
संघीय प्रतिनिधित्व: राज्यसभा भारत के संघीय ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशोंको केंद्र में प्रतिनिधित्व प्रदान करता है। यह संघ और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है।
मनोनीत सदस्य: राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य विशेषज्ञता और विविधता को संसद में लाते हैं, जिससे विधायी चर्चाओं में गुणवत्ता बढ़ती है।
स्थायी सदन: राज्यसभा एक स्थायी सदन (Permanent House) है, जो कभी भंग नहीं होता। इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं, और उनकी जगह नए सदस्य निर्वाचित होते हैं (अनुच्छेद 83)।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व: राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों को उनकी ताकत के आधार पर प्रतिनिधित्व मिले।
केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व अनुच्छेद 80 केंद्रशासित प्रदेशों को भी सीमित प्रतिनिधित्व देता है, जो भारत के संघीय ढांचे में उनकी स्थिति को दर्शाता है।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 80(4) के तहत राज्यसभा के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व
प्रणाली और खुला मतदान संवैधानिक है। यह प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यसभा के सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि हैं, लेकिन उनकी भूमिका राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देना भी है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 80(4) के तहत निर्वाचन प्रक्रिया की वैधता को स्थापित किया और खुले मतदान की प्रणाली को बरकरार रखा।
रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (2006): पृष्ठभूमि: इस मामले में बिहार विधानसभा के विघटन और संसद की भूमिका पर विचार किया गया, जिसमें राज्यसभा की संरचना और कार्यवाही पर अप्रत्यक्ष रूप से चर्चा हुई।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा की संरचना भारत के संघीय ढांचे का हिस्सा है, और यह संसद की विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रभाव: इसने राज्यसभा की संवैधानिक स्थिति और उसके संघीय महत्व को रेखांकित किया।
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): पृष्ठभूमि: यह मामला संविधान की मूल संरचना सिद्धांत से संबंधित था, जिसमें संसद की संरचना और शक्तियों पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा की संरचना संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है, क्योंकि यह भारत के संघीय ढांचे को बनाए रखता है। संसद की शक्तियां इस मूल संरचना के अधीन हैं।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 80 की संवैधानिक अखंडता को मजबूत किया।
इंदु नेहरू बनाम भारत संघ (1978): पृष्ठभूमि: इस मामले में संसद की संरचना और उसकी शक्तियों पर विचार किया गया, जिसमें अनुच्छेद 80 की भूमिका शामिल थी।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा की संरचना भारत के संघीय और लोकतांत्रिक ढांचे का आधार है। यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करता है।
प्रभाव: इसने राज्यसभा की संघीय भूमिका को और स्पष्ट किया।
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jp Singh
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