Article 77 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-07-01 10:24:57
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 77
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 77
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 77: भारत सरकार के कार्यों का संचालन
अनुच्छेद 77 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के तहत आता है और यह भारत सरकार के कार्यों के संचालन (Conduct of Business of the Government of India) से संबंधित नियमों को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि केंद्र सरकार के कार्यकारी कार्य संवैधानिक ढांचे के भीतर व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से किए जाएं।
अनुच्छेद 77 के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं
अनुच्छेद 77(1): भारत सरकार के सभी कार्यकारी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाएंगे। इसका अर्थ है कि केंद्र सरकार की सभी कार्रवाइयां, आदेश, और दस्तावेज राष्ट्रपति के नाम पर जारी किए जाएंगे।
अनुच्छेद 77(2): राष्ट्रपति के नाम पर जारी आदेशों और अन्य लिखतों को प्रमाणित (authenticated) करने का तरीका निर्धारित किया जाएगा। ऐसे आदेश और लिखत, जो निर्धारित तरीके से प्रमाणित होते हैं, वैध माने जाएंगे, और उनकी वैधता को केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि वे राष्ट्रपति द्वारा जारी नहीं किए गए।
अनुच्छेद 77(3): राष्ट्रपति कार्य संचालन नियम (Rules of Business) बनाएंगे, जो भारत सरकार के कार्यों के संचालन और मंत्रियों के बीच कार्यों के आवंटन को नियंत्रित करेंगे। ये नियम कार्य आवंटन नियम (Allocation of Business Rules) और कार्य संचालन नियम (Transaction of Business Rules) के रूप में जाने जाते हैं।
अनुच्छेद 77 की मुख्य विशेषताएं
राष्ट्रपति के नाम पर कार्य
अनुच्छेद 77(1) यह सुनिश्चित करता है कि भारत सरकार की सभी कार्रवाइयां राष्ट्रपति के नाम पर होती हैं, जो संवैधानिक प्रमुख के रूप में उनकी स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद के पास होती है (अनुच्छेद 74 के तहत)।
प्रमाणीकरण की प्रक्रिया: अनुच्छेद 77(2) यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी आदेश और लिखत वैध हों और उनकी प्रमाणिकता को लेकर कोई विवाद न हो। यह प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
कार्य संचालन नियम: अनुच्छेद 77(3) के तहत बनाए गए नियम केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रियों और विभागों के बीच कार्यों के आवंटन और उनके संचालन को व्यवस्थित करते हैं। ये नियम केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाते हैं।
न्यायिक समीक्षा: अनुच्छेद 77 के तहत जारी आदेशों की वैधता को चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक प्रावधानो या मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। हालांकि, केवल यह तर्क कि आदेश राष्ट्रपति द्वारा व्यक्तिगत रूप से जारी नहीं किया गया, स्वीकार्य नहीं है।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदम
डी.के. भट्टाचार्य बनाम भारत संघ (1953): पृष्ठभूमि: इस मामले में एक सरकारी आदेश की वैधता पर सवाल उठा, जिसे अनुच्छेद 77 के तहत प्रमाणित नहीं किया गया था।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 77(1) और 77(2) के तहत आदेशों का राष्ट्रपति के नाम पर होना और निर्धारित तरीके से प्रमाणित होना आवश्यक है। यदि आदेश अनुच्छेद 77 के प्रावधानों का पालन नहीं करता, तो वह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हो सकता। प्रभाव: इसने अनुच्छेद 77 के तहत प्रमाणीकरण की अनिवार्यता को रेखांकित किया।
शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974): पृष्ठभूमि: इस मामले में अनुच्छेद 74 और अनुच्छेद 77 के तहत राष्ट्रपति की भूमिका पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 77 के त राष्ट्रपति के नाम पर जारी आदेश वास्तव में मंत्रिपरिषद की सलाह पर आधारित होते हैं। राष्ट्रपति की भूमिका केवल संवैधानिक होती है, और वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद के पास होती है। प्रभाव: इसने अनुच्छेद 77 और अनुच्छेद 74 के बीच संबंध को स्पष्ट किया।
बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य (1982): पृष्ठभूमि: इस मामले में एक सरकारी आदेश की वैधता पर सवाल उठा, जो अनुच्छेद 77 के तहत ठीक तरह से प्रमाणित नहीं था।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 77(2) के तहत प्रमाणीकरण एक औपचारिक आवश्यकता है, लेकिन यदि आदेश की सारत संघ (1993): पृष्ठभूमि: इस मामले में सिक्किम के संदर्भ में केंद्र सरकार के कार्यकारी आदेशों की वैधता पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अनुच्छेद 77 के तहत जारी आदेशों को मंत्रिपरिषद की सलाह पर और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए। यदि आदेश संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन करता है, तो वह न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 77 की संवैधानिक जवाबदेही को रेखांकित किया।
कॉमन कॉज बनाम भारत संघ (1996): पृष्ठभूमि: इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार के कार्यों के संचालन और आदेशों की पारदर्शिता पर सवाल उठा।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 77(3) के तहत बनाए गए कार्य संचालन नियम सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं। इन नियमों का पालन अनिवार्य है। प्रभाव: इसने कार्य संचालन नियमों के महत्व को उजागर किया।
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jp Singh
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