Article 73 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-06-30 14:28:11
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 73
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 73
अनुच्छेद 73 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के तहत आता है और यह केंद्र सरकार की कार्यपालिका शक्ति के दायरे को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद यह निर्धारित करता है कि केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्तियां किन मामलों तक विस्तारित होती हैं।
अनुच्छेद 73(1) के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति निम्नलिखित मामलों तक विस्तारित है:
संघ सूची (Union List): सातवीं अनुसूची में उल्लिखित संघ सूची (List I) के तहत आने वाले सभी विषय, जैसे रक्षा, विदेशी मामले, रेलवे, डाक, संचार, आदि।
संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियां: संविधान द्वारा केंद्र सरकार को दी गई शक्तियां या कर्तव्य। संधियों और समझौतों का कार्यान्वयन: अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों को लागू करने के लिए आवश्यक कार्यकारी शक्तियां।
समान सूची (Concurrent List) पर कानून: समान सूची (List III) के तहत संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के कार्यान्वयन के लिए।
अवशिष्ट शक्तियां: वे मामले जो सातवीं अनुसूची की किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं, केंद्र सरकार के कार्यकारी क्षेत्र में आते हैं। यदि कोई विषय राज्य सूची (List II) में आता है और संसद को उस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है, तो केंद्र की कार्यकारी शक्ति उस तक विस्तारित नहीं होगी।
यदि संविधान में स्पष्ट रूप से किसी अन्य प्राधिकारी (जैसे राज्य सरकार) को कार्यकारी शक्ति दी गई हो।
अनुच्छेद 73 की मुख्य विशेषताएं
संघ की प्राथमिकता: यदि केंद्र और राज्य के बीच कार्यकारी शक्ति को लेकर टकराव होता है, तो केंद्र की शक्ति को प्राथमिकता दी जाती है, खासकर समान सूची के मामलों में।
संधियों का कार्यान्वयन: अनुच्छेद 73 केंद्र को अंतरराष्ट्रीय संधियों को लागू करने की शक्ति देता है, भले ही विषय राज्य सूची में हो। यह भारत के संघीय ढांचे में केंद्र की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
न्यायिक समीक्षा: केंद्र की कार्यकारी शक्तियां संवैधानिक सीमाओं के अधीन हैं और न्यायिक समीक्षा के दायरे में आती हैं।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
राम जवाया कपूर बनाम पंजाब राज्य (1955)
पृष्ठभूमि: इस मामले में पंजाब सरकार द्वारा स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन और वितरण को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया था, जिसे केंद्र सरकार के कार्यकारी क्षेत्र में हस्तक्षेप माना गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 73 के तहत केंद्र की कार्यकारी शक्ति संसद की विधायी शक्ति के समानांतर होती है। यदि कोई विषय संघ सूची में आता है, तो केंद्र की कार्यकारी शक्ति उस पर पूर्ण रूप से लागू होती है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 73 के तहत केंद्र की कार्यकारी शक्ति की सीमा को स्पष्ट किया और संघीय ढांचे में केंद्र की प्राथमिकता को रेखांकित किया।
भारत सरकार बनाम जॉर्ज व्हीलर (1979)
पृष्ठभूमि: इस मामले में केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति के दायरे और अंतरराष्ट्रीय संधियों के कार्यान्वयन पर सवालठा।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 73 केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय संधियों को लागू करने की पूरी शक्ति देता है, भले ही विषय राज्य सूची में हो। हालांकि, यह कार्यकारी शक्ति संवैधानिक प्रावधानों और मौलिक अधिकारों के अधीन है।
प्रभाव: इसने केंद्र की कार्यकारी शक्ति को अंतरराष्ट्रीय मामलों में मजबूत किया।
टी.एम.ए. पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य (2002)
पृष्ठभूमि: यह मामला अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के प्रशासन और केंद्र-राज्य शक्तियों के टकराव से संबंधित था।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 73 के तहत केंद्र की कार्यकारी शक्ति उन मामलों तक सीमित है जो संसद की विधायी शक्ति के दायरे में आते हैं। यदि कोई विषय राज्य सूची में है, तो केंद्र की कार्यकारी शक्ति वहां हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
प्रभाव: इसने केंद्र और राज्य के बीच कार्यकारी शक्तियों के बंटवारे को और स्पष्ट किया।
यूनियन ऑफ इंडिया बनाम धरम पाल (2018)
पृष्ठभूमि: इस मामले में केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति और दया याचिका (अनुच्छेद 72 के साथ संयोजन में) के दायरे पर विचार किया गया।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अनुच्छेद 73 के तहत केंद्र की कार्यकारी शक्ति व्यापक है, लेकिन यह संवैधानिक सीमाओं और न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
प्रभाव: इसने केंद्र की कार्यकारी शक्ति की संवैधानिक जवाबदेही को रेखांकित किया।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781