Recent Blogs

Article 65 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-06-28 16:08:14
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 65

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 65
अनुच्छेद 65 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय I (कार्यपालिका) में आता है। यह उपराष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन (Vice-President to Act as President or to Discharge His Functions During Casual Vacancies in the Office, or During the Absence of President) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति या उनकी अनुपस्थिति में संवैधानिक निरंतरता बनी रहे।
अनुच्छेद 65 का पाठ
संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार: "(1) राष्ट्रपति के पद में रिक्ति होने पर, जो उनकी मृत्यु, त्यागपत्र या हटाए जाने, या अन्य कारण से हो, उपराष्ट्रपति तब तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा, जब तक कि नया राष्ट्रपति अपने पद पर प्रवेश न कर ले।
(2) जब राष्ट्रपति बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, तब उपराष्ट्रपति तब तक उनके कर्तव्यों का निर्वहन करेगा, जब तक कि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों का निर्वहन फिर से शुरू न कर दे।
(3) उपराष्ट्रपति को, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने या उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने के दौरान, राष्ट्रपति के समान वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 65 यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति या उनकी अनुपस्थिति/अक्षमता की स्थिति में संवैधानिक निरंतरता बनी रहे। यह उपराष्ट्रपति को अस्थायी रूप से राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने की जिम्मेदारी सौंपता है, ताकि कार्यकारी शक्ति (अनुच्छेद 53) रिक्त न हो। यह उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के समान शक्तियाँ, विशेषाधिकार, और वेतन प्रदान करता है, जिससे वह प्रभावी ढंग से कर्तव्यों का पालन कर सके।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: संविधान सभा ने उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में एक संवैधानिक बैकअप के रूप में परिभाषित किया, ताकि शासन में कोई रिक्ति न आए। प्रेरणा: यह प्रावधान अमेरिकी संविधान (अनुच्छेद II) से प्रभावित है, जहाँ उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की रिक्ति या अक्षमता में उनकी जगह लेता है। भारत में, यह संसदीय प्रणाली के अनुरूप है, जहाँ राष्ट्रपति की शक्तियाँ मंत्रिपरिषद की सलाह पर आधारित होती हैं (अनुच्छेद 74)。 संवैधानिक संतुलन: यह प्रावधान कार्यपालिका और विधायिका (उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा का सभापति) के बीच संतुलन बनाए रखता है।
3. अनुच्छेद 65 के प्रमुख उपखंड: अनुच्छेद 65 तीन मुख्य भागों में विभाजित है
खंड (1): रिक्ति की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना यदि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति होती है, जो निम्न कारणों से हो सकती है
मृत्यु: राष्ट्रपति की मृत्यु।
त्यागपत्र: राष्ट्रपति द्वारा स्वेच्छा से पद छोड़ना।
हटाना: महाभियोग (अनुच्छेद 61) के माध्यम से।
अन्य कारण: जैसे, अयोग्यता या कानूनी अक्षमता।
इस स्थिति में, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, जब तक कि नया राष्ट्रपति पद ग्रहण न कर ले।
निर्वाचन की समय सीमा: अनुच्छेद 62 के अनुसार, आकस्मिक रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन रिक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर होना चाहिए।
उदाहरण: 1969 में, राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद, उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। 1977 में, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद, उपराष्ट्रपति बी.डी. जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
खंड (2): राष्ट्रपति की अक्षमता/अनुपस्थिति में कर्तव्यों का निर्वहन यदि राष्ट्रपति बीमारी, अनुपस्थिति, या अन्य कारणों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ होता है, तो उपराष्ट्रपति उनके कर्तव्यों का निर्वहन करता है। यह व्यवस्था तब तक लागू रहती है, जब तक राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू न कर दे।
उदाहरण: जब राष्ट्रपति विदेश यात्रा पर होते हैं या बीमारी के कारण अक्षम होते हैं, तो उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से उनके कर्तव्यों का पालन करता है। 1984 में, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की सर्जरी के दौरान उपराष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने उनके कर्तव्यों का निर्वहन किया। लचीलापन: यह खंड विभिन्न परिस्थितियों (जैसे, अस्थायी अनुपस्थिति या दीर्घकालिक अक्षमता) को कवर करता है।
खंड (3): वेतन, भत्ते, और विशेषाधिकार उपराष्ट्रपति को, जब वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या उनके कर्तव्यों का निर्वहन करता है, राष्ट्रपति के समान वेतन, भत्ते, और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। ये सुविधाएँ संसद द्वारा बनाए गए कानून या दूसरी अनुसूची के अनुसार निर्धारित होती हैं।
वर्तमान स्थिति (2025): राष्ट्रपति का मासिक वेतन लगभग 5 लाख रुपये है, साथ ही अन्य विशेषाधिकार जैसे राष्ट्रपति भवन में आवास, यात्रा सुविधाएँ, और चिकित्सा देखभाल। उपराष्ट्रपति को सामान्य रूप से कम वेतन (लगभग 4 लाख रुपये मासिक) मिलता है, लेकिन राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करते समय वह राष्ट्रपति के समान सुविधाएँ प्राप्त करता है।
उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की भूमिका को गरिमा और प्रभावशीलता के साथ निभा सके।
4. महत्व: संवैधानिक निरंतरता: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति या अक्षमता की स्थिति में कार्यकारी शक्ति रिक्त न रहे। संघीय ढांचा: उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा का सभापति (अनुच्छेद 64) भी है, इस भूमिका के माध्यम से केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है।
निष्पक्षता: उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की तरह निष्पक्ष और संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना होता है। लोकतांत्रिक सिद्धांत: यह प्रावधान संवैधानिक जवाबदेही और शक्ति हस्तांतरण की व्यवस्था को दर्शाता है।
5. ऐतिहासिक उदाहरण: 1969: राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद, उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। बाद में, गिरि ने उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र देकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा और जीता।
1977: राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद, उपराष्ट्रपति बी.डी. जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
1984: राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की बीमारी के दौरान, उपराष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने उनके कर्तव्यों का निर्वहन किया।
विदेश यात्राएँ: कई बार, राष्ट्रपति की विदेश यात्राओं के दौरान उपराष्ट्रपति ने उनके कर्तव्यों का अस्थायी रूप से निर्वहन किया है।
6. चुनौतियाँ और विवाद
अस्थायी शक्ति: उपराष्ट्रपति की अस्थायी भूमिका कभी-कभी जटिल हो सकती है, खासकर यदि राष्ट्रपति की अक्षमता लंबे समय तक बनी रहे।
अस्पष्टता: "अन्य कारण" या "अक्षमता" की परिभाषा अस्पष्ट है, जिसके कारण व्याख्या पर विवाद हो सकता है।
राजनीतिक दबाव: उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में निष्पक्ष रहना होता है, लेकिन राजनीतिक गठजोड़ों का दबाव प्रभावी हो सकता है।
संवैधानिक संकट: यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपलब्ध हो, तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जो संवैधानिक संकट पैदा कर सकता है।
7. न्यायिक व्याख्या
शिव किरपाल सिंह बनाम वी.वी. गिरि (1970): 1969 के राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति की कार्यवाहक भूमिका से संबंधित मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 65 की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की।
रामस्वामी बनाम भारत संघ (1977): न्यायालय ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिकाओं पर टिप्पणी की, जिसमें अनुच्छेद 65 की प्रासंगिकता शामिल थी।
न्यायिक समीक्षा: उपराष्ट्रपति के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में निर्णय सीमित रूप से न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकते हैं, यदि वे संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।
8. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान उपराष्ट्रपति: जगदीप धनखड़, जो 11 अगस्त 2022 से उपराष्ट्रपति हैं, अनुच्छेद 65 के तहत राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए तैयार हैं, यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। वर्तमान राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू, जो 25 जुलाई 2022 से कार्यरत हैं, स्वस्थ हैं और सक्रिय रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं। प्रासंगिकता: 2025 में, अनुच्छेद 65 संवैधानिक निरंतरता और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। राजनीतिक परिदृश्य: मजबूत राजनीतिक गठजोड़ और स्थिर शासन के कारण, उपराष्ट्रपति की कार्यवाहक भूमिका की आवश्यकता अभी तक नहीं पड़ी है।
9. संबंधित प्रावधान
अनुच्छेद 63: उपराष्ट्रपति के पद की स्थापना।
अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का सभापति होना।
अनुच्छेद 66: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन और योग्यता।
अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति का कार्यकाल।
अनुच्छेद 62: राष्ट्रपति के पद में रिक्ति की पूर्ति।
दूसरी अनुसूची: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के वेतन और भत्ते।
10. विशेष तथ्य: ऐतिहासिक उपयोग: अनुच्छेद 65 का उपयोग मुख्य रूप से राष्ट्रपति की मृत्यु (1969, 1977) या बीमारी/अनुपस्थिति (1984) के मामलों में हुआ है।
कोई स्थायी रिक्ति: भारत में अब तक उपराष्ट्रपति को लंबे समय तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं करना पड़ा, क्योंकि रिक्तियों को जल्दी भरा गया।
वेतन समानता: उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति के समान सुविधाएँ मिलती हैं, जो उनके पद की गरिमा को दर्शाता है।
संवैधानिक बैकअप: उपराष्ट्रपति की भूमिका भारत के संवैधानिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer