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Article 62 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-06-28 15:54:34
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 62

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 62
अनुच्छेद 62 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय I (कार्यपालिका) में आता है। यह राष्ट्रपति के पद में रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन (Time of Holding Election to Fill Vacancy in the Office of President and the Term of Office of Person Elected to Fill Casual Vacancy) से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद लंबे समय तक रिक्त न रहे और संवैधानिक निरंतरता बनी रहे।
अनुच्छेद 62 का पाठ
संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार: "(1) राष्ट्रपति के पद में रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन उस रिक्ति के होने से पहले या यथाशीघ्र उसके बाद, जैसी भी स्थिति हो, आयोजित किया जाएगा। परंतु, यदि रिक्ति राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के कारण होती है, तो ऐसा निर्वाचन उस कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरा किया जाएगा।
(2) इस प्रकार आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति उस तारीख से, जिस दिन वह अपने पद पर प्रवेश करता है, अगले पांच वर्ष की अवधि तक राष्ट्रपति का पद धारण करेगा।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 62 यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद, जो भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद है, लंबे समय तक रिक्त न रहे। यह संवैधानिक निरंतरता को बनाए रखने के लिए रिक्ति की स्थिति में त्वरित निर्वाचन की व्यवस्था करता है। यह प्रावधान आकस्मिक रिक्ति (मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग) और सामान्य रिक्ति (कार्यकाल समाप्ति) दोनों के लिए नियम निर्धारित करता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक बहस: संविधान सभा ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि राष्ट्रपति का पद कभी भी लंबे समय तक रिक्त न रहे, क्योंकि यह देश की कार्यकारी शक्ति (अनुच्छेद 53) और संवैधानिक ढांचे के लिए महत्वपूर्ण है। प्रेरणा: यह प्रावधान अमेरिकी संविधान (राष्ट्रपति की रिक्ति के लिए प्रावधान) और अन्य लोकतांत्रिक संविधानों से प्रेरित है, लेकिन भारत की संसदीय प्रणाली के अनुरूप बनाया गया। भारतीय संदर्भ: चूंकि राष्ट्रपति की शक्तियाँ मंत्रिपरिषद की सलाह पर निर्भर हैं (अनुच्छेद 74), रिक्ति की स्थिति में उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से कर्तव्यों का निर्वहन करता है (अनुच्छेद 65), लेकिन स्थायी समाधान के लिए निर्वाचन आवश्यक है।
3. अनुच्छेद 62 के प्रमुख उपखंड: अनुच्छेद 62 दो मुख्य भागों में विभाजित है
खंड (1): आकस्मिक रिक्ति की पूर्ति यदि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग, या किसी अन्य कारण से होती है, तो: निर्वाचन यथाशीघ्र और रिक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर आयोजित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि संवैधानिक संकट से बचा जाए।
उदाहरण: यदि कोई राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में मृत्यु हो जाती है, तो नया राष्ट्रपति चुनने के लिए छह महीने के भीतर निर्वाचन होगा। भारत में अब तक त्यागपत्र या महाभियोग के कारण रिक्ति नहीं हुई, लेकिन मृत्यु के मामले में यह प्रावधान लागू हुआ है।
निर्वाचित व्यक्ति का कार्यकाल: आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए चुना गया व्यक्ति पद ग्रहण की तारीख से पूरे पांच वर्ष के लिए राष्ट्रपति रहेगा। यह पिछले राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल को पूरा करने तक सीमित नहीं है।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1969 में, राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद, उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। बाद में, वी.वी. गिरि को पूरे पांच वर्ष के लिए राष्ट्रपति चुना गया।
खंड (2): कार्यकाल समाप्ति के कारण रिक्ति यदि रिक्ति राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के कारण होती है, तो नया निर्वाचन कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि नया राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्ति के तुरंत बाद पद ग्रहण कर सके। उदाहरण: 2022 में, राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को समाप्त हुआ। नया राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) का निर्वाचन जुलाई 2022 में पूरा हुआ, और उन्होंने 25 जुलाई 2022 को पद ग्रहण किया।
4. महत्व: संवैधानिक निरंतरता: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद, जो देश की कार्यकारी शक्ति का प्रतीक है, लंबे समय तक रिक्त न रहे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया: रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखता है। शक्ति संतुलन: यह उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 65) द्वारा अस्थायी व्यवस्था और स्थायी निर्वाचन के बीच संतुलन बनाता है। संघीय ढांचा: निर्वाचन प्रक्रिया (अनुच्छेद 54 और 55) में केंद्र और राज्यों की भागीदारी राष्ट्रपति को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनाती है।
5. निर्वाचन की प्रक्रिया: रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन अनुच्छेद 54 और 55 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होता है: निर्वाचक मंडल: संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य। मतदान प्रणाली: आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote)। मतों का मूल्य: सांसदों और विधायकों के मतों का मूल्य जनसंख्या (1971 की जनगणना) और सदस्यों की संख्या के आधार पर गणना की जाती है।
निर्वाचन आयोग: भारत निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया का प्रबंधन करता है।
6. चुनौतियाँ और विवाद: देरी की संभावना: यद्यपि छह महीने की समय सीमा निर्धारित है, लेकिन राजनीतिक असहमति या अन्य कारणों से निर्वाचन में देरी हो सकती है। राजनीतिक प्रभाव: रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन में राजनीतिक गठजोड़ और दबाव प्रभावी हो सकते हैं। आकस्मिक रिक्ति के मामले: मृत्यु या त्यागपत्र जैसे मामलों में त्वरित निर्वाचन की व्यवस्था चुनौतीपूर्ण हो सकती है। उपराष्ट्रपति की भूमिका: रिक्ति के दौरान उपराष्ट्रपति की अस्थायी भूमिका (अनुच्छेद 65) पर निर्भरता संवैधानिक जटिलताएँ पैदा कर सकती है।
7. न्यायिक व्याख्या: शिव किरपाल सिंह बनाम वी.वी. गिरि (1970): 1969 के राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के निर्वाचन और रिक्ति की पूर्ति की प्रक्रिया को संवैधानिक माना। नारायणन बनाम भारत संघ (1971): न्यायालय ने अनुच्छेद 62 की प्रक्रिया को संवैधानिक निरंतरता का हिस्सा माना। न्यायिक हस्तक्षेप: रिक्ति की पूर्ति में अनियमितता होने पर यह सर्वोच्च न्यायालय की समीक्षा के अधीन हो सकता है (अनुच्छेद 71)।
8. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू, जो 25 जुलाई 2022 को पद ग्रहण कीं, वर्तमान में कार्यरत हैं। उनका कार्यकाल 24 जुलाई 2027 तक है। आकस्मिक रिक्ति: 2025 तक, कोई आकस्मिक रिक्ति (मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग) नहीं हुई है, लेकिन अनुच्छेद 62 ऐसी स्थिति के लिए तैयार है। निर्वाचन की तैयारी: कार्यकाल समाप्ति के लिए निर्वाचन समय से पहले पूरा करने की परंपरा मजबूत है, जैसा कि 2022 में देखा गया। राजनीतिक परिदृश्य: 2025 में, रिक्ति की पूर्ति में राजनीतिक गठजोड़ (जैसे, NDA और विपक्ष) महत्वपूर्ण होंगे।
9. संबंधित प्रावधान
अनुच्छेद 54: निर्वाचक मंडल की संरचना।
अनुच्छेद 55: निर्वाचन की प्रक्रिया और मतों की गणना।
अनुच्छेद 56: कार्यकाल और समाप्ति।
अनुच्छेद 61: महाभियोग की प्रक्रिया।
अनुच्छेद 65: उपराष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन।
अनुच्छेद 71: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवाद।
10. विशेष तथ्य
आकस्मिक रिक्ति के उदाहरण
1967: राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद वी.वी. गिरि को चुना गया।
1977: राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद बी.डी. जत्ती (उपराष्ट्रपति) ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, और बाद में नीलम संजीव रेड्डी चुने गए।
कोई त्यागपत्र नहीं: भारत में अब तक किसी राष्ट्रपति ने त्यागपत्र नहीं दिया।
कोई महाभियोग नहीं: महाभियोग के कारण भी कोई रिक्ति नहीं हुई।
पूर्ण कार्यकाल: आकस्मिक रिक्ति को भरने वाला राष्ट्रपति शेष कार्यकाल के बजाय पूरे पांच वर्ष के लिए चुना जाता है।
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