Article 58 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-06-28 14:29:37
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 58
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 58
अनुच्छेद 58 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय I (कार्यपालिका) में आता है। यह राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए योग्यता (Qualifications for Election as President) और संबंधित शर्तों को परिभाषित करता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य और उपयुक्त व्यक्ति ही भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जा सकें।
अनुच्छेद 58 का पाठ
संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन के लिए तभी पात्र होगा, जब वह—
(क) भारत का नागरिक हो;
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो; और
(ग) लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए पात्र हो।
(2) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन के लिए पात्र नहीं होगा, यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या उक्त किसी सरकार के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता हो।
परंतु, कोई व्यक्ति जो संसद या किसी राज्य की विधानमंडल का सदस्य हो, वह राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन के लिए पात्र होगा।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 58 यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद, जो भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद है, केवल उन व्यक्तियों द्वारा धारण किया जाए जो संवैधानिक और नैतिक रूप से उपयुक्त हों। यह प्रावधान राष्ट्रपति के लिए न्यूनतम योग्यता मानदंड निर्धारित करता है, ताकि यह पद योग्य, परिपक्व, और निष्पक्ष व्यक्तियों को सौंपा जाए। यह राष्ट्रपति को किसी भी सरकारी प्रभाव या हितों के टकराव से मुक्त रखने के लिए लाभ के पद (office of profit) पर प्रतिबंध लगाता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक बहस: संविधान सभा में राष्ट्रपति की योग्यता पर चर्चा के दौरान यह तय किया गया कि योग्यता मानदंड सरल, समावेशी, और लोकतांत्रिक होने चाहिए। आयु सीमा और नागरिकता जैसे मानदंड अमेरिकी और आयरिश संविधानों से प्रेरित थे। लाभ का पद: यह प्रावधान ब्रिटिश संवैधानिक परंपराओं से लिया गया, जहाँ सरकारी प्रभाव से स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए लाभ के पद पर प्रतिबंध लगाया जाता है। लोकसभा की योग्यता: राष्ट्रपति के लिए लोकसभा की योग्यता को शामिल करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि उम्मीदवार लोकतांत्रिक प्रक्रिया से परिचित हो।
3. अनुच्छेद 58 के प्रमुख उपखंड: अनुच्छेद 58 दो मुख्य भागों में विभा
खंड (1): राष्ट्रपति की योग्यता कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के लिए तभी पात्र होगा, जब वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता हो
(क) भारत का नागरिक: उम्मीदवार को जन्म से या अन्य वैध तरीके से भारत का नागरिक होना चाहिए। यह भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय निष्ठा को सुनिश्चित करता है। उदाहरण: विदेशी नागरिक या प्रवासी भारतीय (जो भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं) राष्ट्रपति के लिए पात्र नहीं हैं।
(ख) 35 वर्ष की आयु: उम्मीदवार को कम से कम 35 वर्ष की आयु पूरी करनी होगी। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति के पास परिपक्वता और अनुभव हो। तुलना: यह आयु सीमा लोकसभा (25 वर्ष, अनुच्छेद 84) और राज्यसभा (30 वर्ष, अनुच्छेद 84) की तुलना में अधिक है, जो राष्ट्रपति की भूमिका के महत्व को दर्शाता है।
(ग) लोकसभा के लिए पात्रता: उम्मीदवार को लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखनी होगी, जैसा कि अनुच्छेद 84 में वर्णित है। लोकसभा की योग्यता (अनुच्छेद 84): भारत का नागरिक होना। 25 वर्ष की आयु पूरी करना। मानसिक रूप से स्वस्थ होना। दिवालिया न होना। किसी कानून के तहत अयोग्य घोषित न होना। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए उपयुक्त होना चाहिए।
खंड (2): लाभ का पद पर प्रतिबंध कोई व्यक्ति जो लाभ का पद धारण करता हो, वह राष्ट्रपति के लिए पात्र नहीं होगा।
लाभ का पद: यह कोई ऐसा पद है जो भारत सरकार, किसी राज्य सरकार, या उनके नियंत्रण में किसी स्थानीय/अन्य प्राधिकारी के अधीन हो और जिसमें वेतन, भत्ते, या अन्य आर्थिक लाभ हों। उदाहरण: सरकारी कर्मचारी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारी, या सरकारी नियंत्रण वाले संगठनों के पदाधिकारी।
परंतुक: संसद (लोकसभा/राज्यसभा) या किसी राज्य की विधानमंडल के सदस्य राष्ट्रपति के लिए पात्र हैं, भले ही ये पद तकनीकी रूप से लाभ के पद माने जा सकते हैं। यह अपवाद यह सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित प्रतिनिधि, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बन सकें। उद्देश्य: यह प्रावधान राष्ट्रपति को सरकारी प्रभाव या वित्तीय हितों के टकराव से मुक्त रखता है।
4. महत्व: संवैधानिक निष्पक्षता: योग्यता मानदंड यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्ट्रपति निष्पक्ष, स्वतंत्र, और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हो। लोकतांत्रिक सिद्धांत: लोकसभा की योग्यता को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि उम्मीदवार लोकतांत्रिक प्रक्रिया से परिचित हो। स्वतंत्रता: लाभ के पद पर प्रतिबंध राष्ट्रपति को सरकारी प्रभाव से मुक्त रखता है, जो उनकी संवैधानिक भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रपति, जो देश का प्रथम नागरिक और एकता का प्रतीक है, इन योग्यताओं के माध्यम से सभी नागरिकों के लिए एक आदर्श बनता है।
5. लाभ का पद (Office of Profit): परिभाषा: लाभ का पद वह है जिसमें वेतन, भत्ते, या अन्य आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं।
न्यायिक व्याख्या: जया बच्चन बनाम भारत संघ (2006): सर्वोच्च न्यायालय ने लाभ के पद की परिभाषा को स्पष्ट किया और कहा कि यह वह पद है जिसमें आर्थिक लाभ के साथ-साथ कार्यकारी शक्ति या प्रभाव हो सकता है। गुरु गोबिंद बसु बनाम संकरी प्रसाद (1964): न्यायालय ने कहा कि लाभ का पद सरकारी नियंत्रण और प्रभाव से संबंधित होता है। उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति सरकारी विश्वविद्यालय का कुलपति या सरकारी निगम का अध्यक्ष है, तो वह राष्ट्रपति पद के लिए पात्र नहीं होगा, जब तक कि वह उस पद से त्यागपत्र न दे। हालांकि, संसद या विधानमंडल के सदस्य इस प्रतिबंध से मुक्त हैं।
6. चुनौतियाँ और विवाद: लाभ का पद की अस्पष्टता: लाभ के पद की परिभाषा पर कई बार विवाद हुआ है, क्योंकि यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि कौन सा पद इस श्रेणी में आता है।
राजनीतिक प्रभाव: यद्यपि योग्यता मानदंड सरल हैं, लेकिन राष्ट्रपति का चयन अक्सर राजनीतिक गठजोड़ों और दलों के समर्थन पर निर्भर करता है।
आयु सीमा: 35 वर्ष की आयु सीमा को कुछ आलोचकों ने बहुत कम माना है, क्योंकि राष्ट्रपति का पद उच्च स्तर की परिपक्वता और अनुभव की माँग करता है।
सीमित जांच: राष्ट्रपति उम्मीदवारों की योग्यता की जाँच की प्रक्रिया सीमित है, और यह मुख्य रूप से निर्वाचन आयोग पर निर्भर करती है।
7. न्यायिक व्याख्या: शिव किरपाल सिंह बनाम वी.वी. गिरि (1970): 1969 के राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 58 की योग्यताओं को संवैधानिक ढांचे का हिस्सा माना और उनकी वैधता की पुष्टि की। लाभ का पद: लाभ के पद से संबंधित मामलों (जैसे, जया बच्चन केस) ने राष्ट्रपति के निर्वाचन में इस शर्त की महत्ता को रेखांकित किया। नारायणन बनाम भारत संघ (1971): न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति का निर्वाचन और योग्यता संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप होनी चाहिए।
8. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू, जो 25 जुलाई 2022 को पद ग्रहण कीं, अनुच्छेद 58 की सभी योग्यताओं को पूरा करती हैं। वह भारत की नागरिक हैं, 35 वर्ष से अधिक आयु की हैं, और लोकसभा के लिए पात्र थीं। 2022 का चुनाव: द्रौपदी मुर्मू के निर्वाचन में उनकी योग्यता पर कोई विवाद नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने सभी संवैधानिक मानदंडों को पूरा किया। प्रासंगिकता: अनुच्छेद 58 यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का पद केवल उन व्यक्तियों को मिले जो संवैधानिक और नैतिक रूप से उपयुक्त हों। राजनीतिक परिदृश्य: राष्ट्रपति उम्मीदवारों का चयन अक्सर राजनीतिक गठजोड़ों पर आधारित होता है, लेकिन अनुच्छेद 58 की शर्तें एक न्यूनतम मानक प्रदान करती हैं।
9. संबंधित प्रावधान
अनुच्छेद 52: राष्ट्रपति के पद की स्थापना।
अनुच्छेद 54: निर्वाचक मंडल की संरचना।
अनुच्छेद 55: निर्वाचन की प्रक्रिया और मतों की गणना।
अनुच्छेद 56: कार्यकाल और समाप्ति।
अनुच्छेद 61: महाभियोग की प्रक्रिया।
अनुच्छेद 84: लोकसभा की योग्यता।
10. विशेष तथ्य: पहला राष्ट्रपति: डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1950-1962) ने अनुच्छेद 58 की सभी योग्यताओं को पूरा किया और दो कार्यकाल तक सेवा की। महिला राष्ट्रपति: प्रतिभा पाटिल (2007-2012) और द्रौपदी मुर्मू (2022-वर्तमान) ने इन योग्यताओं को पूरा कर राष्ट्रपति पद हासिल किया। लाभ का पद: यह शर्त सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति सरकारी प्रभाव से मुक्त रहे, जो उनकी निष्पक्षता के लिए महत्वपूर्ण है।
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