Article 55 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-06-28 12:58:17
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 55
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 55
अनुच्छेद 55 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय I (कार्यपालिका) में आता है। यह राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया (Manner of Election of President) और निर्वाचक मंडल के मतों की गणना से संबंधित है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का चुनाव एक निष्पक्ष, संतुलित, और संघीय ढांचे के अनुरूप हो, जिसमें केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों की भागीदारी समान रूप से संतुलित हो।
अनुच्छेद 55 का पाठ
संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) यथासंभव, राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व में एकरूपता होगी।
(2) खंड (1) में उपबंधित उद्देश्य की पूर्ति के लिए—
(क) प्रत्येक राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के मतों का मूल्य उस राज्य की जनसंख्या को उसकी विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग देकर प्राप्त भागफल को एक हजार से गुणा करके और यदि शेष पांच सौ से अधिक हो तो उसमें एक जोड़कर निर्धारित किया जाएगा; और
(ख) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के मतों का मूल्य सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मतों के कुल मूल्य को संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देकर प्राप्त भागफल के बराबर होगा।
(3) राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा होगा और मतदान गुप्त होगा।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 55 का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में एकरूपता सुनिश्चित करना है, ताकि विभिन्न राज्यों और केंद्र के प्रतिनिधियों का योगदान संतुलित हो। यह प्रावधान भारत के संघीय ढांचे को मजबूत करता है, जिसमें केंद्र (संसद) और राज्यों (विधानसभाएँ) की भागीदारी लगभग समान होती है। यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व और गुप्त मतदान के माध्यम से निष्पक्ष और लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक बहस: संविधान सभा में राष्ट्रपति के निर्वाचन को लेकर यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया कि प्रक्रिया संघीय सिद्धांतों के अनुरूप हो। बड़े और छोटे राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए मतों के भार (weightage) की प्रणाली अपनाई गई।
प्रेरणा: यह प्रावधान अमेरिकी संविधान के इलेक्टोरल कॉलेज और आयरलैंड के संविधान (1937) से प्रभावित है, लेकिन भारत के संदर्भ में अनुकूलित है। जनसंख्या आधार: शुरू में, जनसंख्या की गणना नवीनतम जनगणना पर आधारित थी, लेकिन 61वां संशोधन (1988) ने इसे 1971 की जनगणना पर स्थिर कर दिया, ताकि जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों को दंडित न किया जाए।
3. अनुच्छेद 55 के प्रमुख उपखण्ड
अनुच्छेद 55 तीन मुख्य भागों में विभाजित है
खंड (1): राज्यों के प्रतिनिधित्व में एकरूपता यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का निर्वाचन विभिन्न राज्यों के बीच प्रतिनिधित्व में समानता बनाए रखे। इसका उद्देश्य यह है कि बड़े राज्य (जैसे, उत्तर प्रदेश) और छोटे राज्य (जैसे, सिक्किम) दोनों की भूमिका संतुलित हो।
खंड (2): मतों का मूल्य निर्धारण यह खंड मतों के भार (value of votes) की गणना के लिए सूत्र प्रदान करता है: (क) राज्य विधायकों के मत का मूल्य: प्रत्येक राज्य के एक विधायक का मत मूल्य निम्न सूत्र से निकाला जाता है
राज्य की जनसंख्या (1971 की जनगणना) मत मूल्य = राज्य की जनसंख्या (1971 की जनगणना)/ निर्वाचित विधायकों की संख्या X 1000
यदि इस गणना में शेष (remainder) 500 से अधिक हो, तो भागफल में 1 जोड़ा जाता है। उदाहरण: उत्तर प्रदेश की 1971 की जनसंख्या लगभग 8.83 करोड़ थी, और विधानसभा में 403 निर्वाचित सदस्य हैं।
(ख) सांसदों के मत का मूल्य: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों का मत मूल्य एक समान होता है। यह निम्न सूत्र से निकाला जाता है
सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य सांसद का मत मूल्य = / लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या
संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या (लोकसभा: 543 + राज्यसभा: 233 = 776) - 5,43,200
सांसद का मत मूल्य = ---------- X 700 - 776
इसलिए, प्रत्येक सांसद का मत मूल्य 700 था।
उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि संसद और राज्यों के मतों का योगदान लगभग 50:50 हो, जो संघीय संतुलन को दर्शाता है।
खंड (3): निर्वाचन की पद्धति राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) प्रणाली द्वारा होता है।
प्रक्रिया: प्रत्येक मतदाता (सांसद या विधायक) अपनी प्राथमिकता के क्रम में उम्मीदवारों को वोट देता है। जीत उम्मीमदवार को 50% से अधिक मत (कोटा) प्राप्त करना होता है।
Total valid votes कोटा सूत्र: Quota = Number of seats (1) + 1 /+ 1
यदि कोई उम्मीदवार पहली गिनती में कोटा प्राप्त नहीं करता, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीपदवारी को हटाकर उनके वोटों की दूसरी प्राथमिकता को स्थानांतरित किया जाता है। गुप्त मतदान: मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित की जाती है, ताकि कोई दबाव या प्रभाव न हो।
4. महत्व
संघीय संतुलन: मतों के भार की गणना केंद्र और राज्यों के बीच समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
निष्पक्षता: आनुपातिक प्रतिनिधित्व और गुप्त मतदान प्रक्रिया को लोकतांत्रिक और निष्पक्ष बनाते हैं।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया: यह अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता की इच्छा को परोक्ष रूप से प्रतिबिंबित करती है।
राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रपति, जो देश का प्रथम नागरिक है, इस प्रक्रिया के माध्यम से केंद्र और राज्यों की एकता का प्रतीक बनता है।
5. चुनौतियाँ और विवाद
1971 जनगणना का आधार: 1971 की जनगणना को आधार बनाने का निर्णय जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया, लेकिन यह आलोचना का विषय है, क्योंकि यह वर्तमान जनसंख्या वास्तविकताओं को नहीं दर्शाता। बड़े राज्यों का प्रभाव कम हो सकता है, क्योंकि उनकी जनसंख्या में वृद्धि को गणना में शामिल नहीं किया जाता।
जटिल गणना: मतों के मूल्य की गणना और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली आम जनता के लिए जटिल है। राजनीतिक प्रभाव: यद्यपि प्रक्रिया निष्पक्ष है, राजनीतिक दलों के गठबंधन और प्रभाव उम्मीदवार चयन को प्रभावित कर सकते हैं। अंतःकरण का मत: कुछ मामलों में, जैसे 1969 का राष्ट्रपति चुनाव, विधायकों और सांसदों ने अपने दल की व्हिप के खिलाफ "अंतःकरण के मत" (conscience vote) डाले, जिससे विवाद हुआ।
6. न्यायिक व्याख्या
नारायणन बनाम भारत संघ (1971): सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 55 की प्रक्रिया को संवैधानिक और संघीय सिद्धांतों के अनुरूप माना।
शिव किरपाल सिंह बनाम वी.वी. गिरि (1970): 1969 के राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित एक याचिका में, न्यायालय ने मतदान प्रक्रिया की वैधता की पुष्टि की और कहा कि यह संवैधानिक ढांचे के अनुरूप है।
बाबूराव पटेल बनाम भारत संघ (1980): न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग की भूमिका प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
7. वर्तमान संदर्भ (2025)
वर्तमान राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू, जो 2022 में निर्वाचित हुईं, भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। उनके निर्वाचन में अनुच्छेद 55 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया।
2022 का चुनाव
द्रौपदी मुर्मू ने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। कुल मत मूल्य: लगभग 10,86,400 (संसद: ~5,43,200 + विधानसभाएँ: ~5,43,200)। सांसद का मत मूल्य: 700; विधायकों का मत मूल्य राज्य-वार्या भिन्न (उदाहरण: उत्तर प्रदेश-208, मिज़ोरम-8)
प्रासंगिकता: राष्ट्रपति का निर्वाचन आज भी भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो केंद्र-राज्य संबंधों और राजनीतिक गठजोड़ों को दर्शाता है।
निर्वाचन आयोग: प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए आयोग ने डिजिटल ट्रैकिंग और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा दिया है।
8. संखंधित प्रावधान
अनुच्छेद 52: राष्ट्रपति के पद की स्थापना।
अनुच्छेद 53: निर्वाचक मंडल की संरचना।
अनुच्छेद 58: राष्ट्रपति की योग्यता।
अनुच्छेद 61: महाभियोग प्रक्रिया।
अनुच्छेद 71: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवाद।
9. विशेष तथ्य
1971 की जनगणना: यह आधार 2025 तक लागू है, क्योंकि जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहन देने के लिए नवीनतम जनगणना को अपडेट नहीं किया गया।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1969 का चुनाव (वी.वी. गिरि बनाम नीलम संजीव रेड्डी) सबसे विवादास्पद रहा, जिसमें इंदिरा गांधी के समर्थन और "अंतःकरण के मत" ने निर्णायक भूमिका निभाई।
महिलाएँ राष्ट्रपति: प्रतिभा पाटिल (2007-2012) और द्रौपदी मुर्मू (2022-वर्तमान)।
निर्वाचन आयोग की भूमिका: यह सुनिश्चित करना कि गुप्त मतदान और प्रक्रिया निष्पक्ष हो।
Conclusion
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