Article 51A of the Indian Constitution
jp Singh
2025-06-28 12:31:29
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A
अनुच्छेद 51A भारतीय संविधान के भाग IVA (मूल कर्तव्य) के अंतर्गत आता है। यह नागरिकों के मूल कर्तव्यों (Fundamental Duties) को परिभाषित करता है। यह प्रावधान 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया था, जिसे स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया। मूल कर्तव्यों का उद्देश्य नागरिकों में देश के प्रति जिम्मेदारी और अनुशासन की भावना को बढ़ावा देना है। ये कर्तव्य न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन नागरिकों के लिए नैतिक और संवैधानिक दिशानिर्देश के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
अनुच्छेद 51A का पाठ
संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 51A में 11 मूल कर्तव्य सूचीबद्ध हैं (2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा 11वाँ कर्तव्य जोड़ा गया)। हिंदी में इसका सारांश निम्नलिखित है:
"प्रत्येक नागरिक का यह मूल कर्तव्य होगा कि वह—
(a) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे;
(b) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए और उनका पालन करे;
(c) भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
(d) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
(e) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और क्षेत्र या वर्ग के आधार पर सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों;
(f) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे;
(g) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दया भाव रखे;
(h) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
(i) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
(j) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले;
(k) यदि वह माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बच्चे या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करे।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 51A का मुख्य उद्देश्य नागरिकों और राष्ट्र के बीच संतुलन स्थापित करना है। संविधान के भाग III में नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए गए हैं, और अनुच्छेद 51A इन अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को जोड़ता है। यह नागरिकों में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देता है। मूल कर्तव्य नागरिकता की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं, ताकि लोकतंत्र मजबूत हो।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्वर्ण सिंह समिति: 1976 में, आपातकाल के दौरान, इंदिरा गांधी सरकार ने स्वर्ण सिंह समिति का गठन किया, जिसने नागरिकों के लिए मूल कर्तव्यों को शामिल करने की सिफारिश की। यह प्रावधान जापान, सोवियत संघ (तत्कालीन), और अन्य देशों के संविधानों से प्रेरित था। 42वाँ संशोधन: इस संशोधन ने संविधान में भाग IVA और अनुच्छेद 51A को जोड़ा। शुरू में 10 कर्तव्य थे, जिनमें 11वाँ कर्तव्य (शिक्षा से संबंधित) 86वें संशोधन (2002) द्वारा जोड़ा गया। दर्शन: यह प्रावधान गांधीवादी सिद्धांतों (अहिंसा, पर्यावरण संरक्षण), राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्शों, और भारतीय संस्कृति के मूल्यों से प्रभावित है।
3. 11 मूल कर्तव्यों का विस्तार: प्रत्येक कर्तव्य का अर्थ और महत्व निम्नलिखित है
(a) संविधान का पालन और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रगान का सम्मान: नागरिकों को संविधान के मूल्यों (न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) का पालन करना चाहिए। उदाहरण: राष्ट्र ध्वज का अपमान न करना (जैसे, झंडा उल्टा न लहराना), राष्ट्रगान का सम्मान करना (जैसे, "जन गण मन" के दौरान खड़े होना)। न्यायिक व्याख्या: बिजोए इम्मानुएल बनाम केरल राज्य (1986) में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रगान का सम्मान करना कर्तव्य है, लेकिन जबरदस्ती नहीं की जा सकती।
(b) स्वतंत्रता संग्राम के उच्च आदर्शों को हृदय में संजोना और पालन करना: स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्य जैसे अहिंसा, स्वराज, और बलिदान को याद रखना और जीवन में अपनाना। उदाहरण: नागरिकों को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों या सामाजिक सुधारों में भाग लेकर इन आदर्शों को जीवित रखना चाहिए।
(c) भारत की संप्रभुता, एकता, और अखंडता की रक्षा करना: नागरिकों को देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में योगदान देना चाहिए। उदाहरण: अलगाववादी गतिविधियों का विरोध करना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना। कानूनी प्रावधान: राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 इस कर्तव्य को लागू करने में सहायक है।
(d) देश की रक्षा और राष्ट्र की सेवा: युद्ध या संकट के समय देश की सेवा करना, जैसे सैन्य सेवा या स्वैच्छिक सहायता। उदाहरण: आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवक के रूप में काम करना, रक्तदान करना। संदर्भ: भारत में अनिवार्य सैन्य सेवा नहीं है, लेकिन यह कर्तव्य नागरिकों को प्रेरित करता है।
(e) समरसता और भ्रातृत्व की भावना का निर्माण, महिलाओं के सम्मान की रक्षा: धर्म, भाषा, क्षेत्र, या वर्ग के आधार पर भेदभाव से बचना और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना। महिलाओं के खिलाफ प्रथाओं (जैसे, दहेज, लिंग भेद) का त्याग करना। उदाहरण: अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन, सामाजिक समावेशी गतिविधियाँ।
(f) सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का परिरक्षण: भारत की सांस्कृतिक विरासत (कला, साहित्य, स्मारक) को संरक्षित करना। उदाहरण: ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा, स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देना। संदर्भ: पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) इस कर्तव्य को लागू करने में सहायक है।
(g) प्राकृतिक पर्यावरण और प्राणिमात्र की रक्षा: पर्यावरण संरक्षण (वन, नदियाँ, वन्यजीव) और जीवों के प्रति दया भाव रखना। उदाहरण: पेड़ लगाना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, पशु क्रूरता रोकना। कानूनी प्रावधान: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 इस कर्तव्य से संबंधित हैं।
(h) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, और सुधार की भावना का विकास: अंधविश्वास और रूढ़ियों से बचना, तर्कसंगत सोच को अपनाना। उदाहरण: वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन, सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देना।
(i) सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा और हिंसा से बचना: सरकारी संपत्ति (जैसे, रेलवे, स्कूल) को नुकसान न पहुँचाना। उदाहरण: विरोध प्रदर्शनों में हिंसा से बचना, सार्वजनिक स्थानों को साफ रखना। कानूनी प्रावधान: सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984।
(j) उत्कर्ष की ओर सतत प्रयास: व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना। उदाहरण: शिक्षा, खेल, या व्यवसाय में बेहतरीन प्रदर्शन करना।
(k) शिक्षा प्रदान करना: माता-पिता या संरक्षकों को 6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उदाहरण: बच्चों को स्कूल भेजना, शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देना। कानूनी प्रावधान: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 इस कर्तव्य को लागू करता है।
4. महत्व:
नागरिक और राज्य के बीच संतुलन: मौलिक अधिकारों के साथ कर्तव्यों का निर्वहन लोकतंत्र को मजबूत करता है।
राष्ट्रीय एकता: ये कर्तव्य सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ाते हैं।
नैतिक दिशानिर्देश: ये नागरिकों को नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी सिखाते हैं।
पर्यावरण और संस्कृति: पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा पर जोर।
वैश्विक प्रासंगिकता: ये कर्तव्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे वैश्विक आदर्शों से मेल खाते हैं।
5. चुनौतियाँ
जागरूकता की कमी: कई नागरिकों को इन कर्तव्यों की जानकारी नहीं है।
गैर-प्रवशर्तनीयता: ये कर्तन की कानूनी बाध्यता न होने से कार्यान्वयन कमजोर है।
सामाजिक बाधाएँ: अशिक्षा, गरीबी, और सामाजिक रूढ़ियाँ कुछ कर्तव्यों (जैसे, पर्यावरण संरक्षण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण) को लागू करने में बाधक हैं।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान: विरोध प्रदर्शनों या लापरवाही से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान एक बड़ी समस्या है।
6. न्यायिक व्याख्या
सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में मूल कर्तव्यों के महत्व को रेखांकित किया है: एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (1983): पर्यावरण संरक्षण (51A-g) को लागू करने के लिए जनहित याचिका पर जोर। श्याम नारायण चौकसी बनाम भारत संघ (2002): राष्ट्रगान के सम्मान से संबंधित। रंगनाथ मिश्रा बनाम भारत संघ (2003): न्यायालय ने सुझाव दिया कि मूल कर्तव्यों को लागू करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएँ।
न्यायालय ने कहा कि मौलिक अधिकारों की व्याख्या मूल कर्तव्यों के संदर्भ में की जानी चाहिए।
7. वर्तमान संदर्भ (2025)
जागरूकता अभियान: स्कूलों में मूल कर्तव्यों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में और प्रयास चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण: स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम 51A(g) को लागू करने में सहायक हैं।
डिजिटल युग: साइबर अपराध और फेक न्यूज के खिलाफ जागरूकता वैज्ञानिक दृष्टिकोण (51A-h) को बढ़ावा देती है।
शिक्षा: RTE और नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने 51A(k) को मजबूत किया। सामाजिक समरसता: सरकार और NGOs द्वारा सामाजिक समावेशन के प्रयास।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781