Article 49 of the Indian Constitution
jp Singh
2025-06-28 12:10:44
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 49
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 49
अनुच्छेद 49 का पाठ
अनुच्छेद 49 का शीर्षक है "राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों और कलात्मक या ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं का संरक्षण"। यह संविधान के भाग IV (नीति निदेशक तत्व) में शामिल है।
"राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रीय महत्व के प्रत्येक स्मारक या स्थान और ऐसी प्रत्येक वस्तु या स्थान का, जो कलात्मक या ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो, संरक्षण करे और उसे विनाश, विरूपण, अपवित्रीकरण, हटाए जाने, निपटान या निर्यात से, जैसा भी मामला हो, बचाए।"
उद्देश्य
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: अनुच्छेद 49 भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, जैसे स्मारक, मंदिर, मस्जिद, और पुरातात्विक स्थल, को संरक्षित करने का निर्देश देता है।
राष्ट्रीय पहचान: यह राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और वस्तुओं को संरक्षित करके भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखने का लक्ष्य रखता है।
विनाश और अपवित्रीकरण से सुरक्षा: यह स्मारकों और वस्तुओं को विनाश, विरूपण, चोरी, अवैध व्यापार, या निर्यात से बचाने का निर्देश देता है।
सार्वजनिक कल्याण: सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सामाजिक एकता, शिक्षा, और पर्यटन को बढ़ावा देता है, जो राष्ट्रीय हित में है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ: यह यूनेस्को की विश्व धरोहर संधि (1972) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अनुरूप भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की जिम्मेदारी को दर्शाता है।
ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि
औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश शासन में भारतीय स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों की उपेक्षा की गई। कई वस्तुएँ चोरी हुईं या विदेशों में ले जाई गईं, जैसे कोहिनूर हीरा और अमरावती स्तूप की मूर्तियाँ।
स्वतंत्रता आंदोलन: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीय नेताओं, जैसे महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर, ने सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय पहचान के महत्व पर जोर दिया।
संविधान सभा: अनुच्छेद 49 (मसौदा अनुच्छेद 39) पर संविधान सभा में चर्चा हुई। डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने तर्क दिया कि सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण राष्ट्रीय एकता और गौरव के लिए आवश्यक है। इसे नीति निदेशक तत्व के रूप में शामिल किया गया ताकि यह गैर-बाध्यकारी रहे, लेकिन राज्य नीतियों को मार्गदर्शन दे।
सामाजिक संदर्भ: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जिसमें ताजमहल, अजंता-एलोरा, और खजुराहो जैसे स्मारक शामिल हैं, राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। हालांकि, उपेक्षा, शहरीकरण, और अवैध व्यापार ने इनकी सुरक्षा को चुनौती दी।
पोस्ट-स्वतंत्रता: स्वतंत्रता के बाद, भारत ने पुरातत्व सर्वेक्षण और संरक्षण कानूनों को मजबूत किया, जिसे अनुच्छेद 49 ने प्रोत्साहित किया।
प्रमुख प्रावधान राष्ट्रीय महत्व के स्मारक और स्थान: इसमें पुरातात्विक स्थल, मंदिर, मस्जिद, किले, और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएँ शामिल हैं जो राष्ट्रीय महत्व की हैं। उदाहरण: ताजमहल, कुतुब मीनार, सanchi stupa।
कलात्मक और ऐतिहासिक वस्तुएँ: इसमें मूर्तियाँ, पेंटिंग, हस्तलिखित ग्रंथ, और अन्य पुरावस्तुएँ शामिल हैं। उदाहरण: कोणार्क सूर्य मंदिर की मूर्तियाँ, गीत गोविंद की पांडुलिपियाँ।
संरक्षण की जिम्मेदारी: राज्य को इन स्मारकों और वस्तुओं को विनाश (जैसे ध्वस्त करना), विरूपण (जैसे भित्तिचित्र), अपवित्रीकरण (जैसे अनुचित उपयोग), हटाए जाने (जैसे चोरी), निपटान (जैसे बिक्री), या निर्यात (जैसे अवैध तस्करी) से बचाने का निर्देश।
गैर-बाध्यकारी प्रकृति: नीति निदेशक तत्व के रूप में, अनुच्छेद 49 कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह राज्य नीतियों को मार्गदर्शन देता है और न्यायिक व्याख्या में उपयोग होता है।
लागू होने का दायरा: यह केंद्र और राज्य सरकारों दोनों पर लागू होता है। यह सभी स्मारकों और वस्तुओं पर लागू है, जो राष्ट्रीय या सांस्कृतिक महत्व के हैं।
संबंधित कानून अनुच्छेद 49 के सिद्धांतों को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कानून और नीतियाँ बनाई हैं
प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act): राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के लिए।
पुरावस्तु और कला खजाना अधिनियम, 1972: पुरावस्तुओं और कला वस्तुओं की चोरी, अवैध व्यापार, और निर्यात को रोकने के लिए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) नियम: स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के रखरखाव और संरक्षण के लिए।
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) नियम: संरक्षित स्मारकों के आसपास निर्माण को नियंत्रित करने के लिए।
यूनेस्को विश्व धरोहर संधि, 1972: भारत ने इस संधि को अपनाया, जिसके तहत ताजमहल, हम्पी, और अजंता-एलोरा जैसे स्थल विश्व धरोहर हैं।
राष्ट्रीय संस्कृति नीति: सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार के लिए।
संबंधित मुकदमे
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (1987) (ताजमहल संरक्षण मामला)
पृष्ठभूमि: ताजमहल के आसपास प्रदूषण (विशेष रूप से मथुरा रिफाइनरी से) के कारण इसके संगमरमर को नुकसान पहुंच रहा था। इसे अनुच्छेद 49 और 21 के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई।
मुद्दा: क्या ताजमहल का प्रदूषण से नुकसान अनुच्छेद 49 और 21 का उल्लंघन करता है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 49 राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, जैसे ताजमहल, के संरक्षण का निर्देश देता है।
कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का हिस्सा है।
कोर्ट ने प्रदूषणकारी उद्योगों को स्थानांतरित करने, ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू करने, और ताजमहल के संरक्षण के लिए निर्देश जारी किए।
महत्व: इस मामले ने अनुच्छेद 49 को पर्यावरण संरक्षण और जीवन के अधिकार के साथ जोड़ा और स्मारकों के संरक्षण को प्राथमिकता दी।
सरला मुद्गल बनाम भारत संघ (1995)
पृष्ठभूमि: इस मामले में, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के संरक्षण के संदर्भ में अनुच्छेद 49 का उल्लेख किया गया, हालांकि मुख्य मुद्दा एकसमान सिविल संहिता था।
मुद्दा: क्या सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण अनुच्छेद 49 के तहत राष्ट्रीय एकता से जुड़ा है?
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि अनुच्छेद 49 सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को राष्ट्रीय एकता और पहचान के हिस्से के रूप में देखता है। कोर्ट ने कहा कि सांस्कृतिक स्थल सभी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनका संरक्षण धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को मजबूत करता है।
महत्व: इस मामले ने अनुच्छेद 49 को राष्ट्रीय एकता और धर्मनिरपेक्षता के व्यापक संदर्भ से जोड़ा।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामला (एम. इस्माइल फारुकी बनाम भारत संघ, 1994)
पृष्ठभूमि: अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में, सरकार द्वारा विवादित स्थल के अधिग्रहण को अनुच्छेद 49 और 25 के आधार पर चुनौती दी गई।
मुद्दा: क्या विवादित स्थल का अधिग्रहण अनुच्छेद 49 के तहत ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण के अनुरूप है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 49 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण का निर्देश देता है, लेकिन यह धार्मिक स्थलों के उपयोग पर मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 25) के साथ संतुलन बनाए रखना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि सरकार का अधिग्रहण सांस्कृतिक स्थल के संरक्षण और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए था, जो अनुच्छेद 49 के अनुरूप है।
हालांकि, कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को भी प्राथमिकता दी।
महत्व: इस मामले ने अनुच्छेद 49 को धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के संदर्भ में व्याख्या किया और मौलिक अधिकारों के साथ संतुलन पर जोर दिया।
यूनियन ऑफ इंडिया बनाम सुभाष चंद्र (2004)
पृष्ठभूमि: पुरातात्विक स्थलों के पास अवैध निर्माण को अनुच्छेद 49 और AMASR अधिनियम, 1958 के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई।
मुद्दा: क्या अवैध निर्माण राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण में बाधा डालता है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 49 राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण का निर्देश देता है, और अवैध निर्माण इस उद्देश्य को कमजोर करता है।
कोर्ट ने संरक्षित स्मारकों के आसपास निर्माण पर सख्त नियम लागू करने और अवैध संरचनाओं को हटाने का निर्देश दिया। महत्व: इस मामले ने अनुच्छेद 49 के तहत स्मारकों के संरक्षण को लागू करने के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत किया।
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (2008) (हुमायूँ का मकबरा और अन्य स्मारक)
पृष्ठभूमि: दिल्ली में हुमायूँ के मकबरे और अन्य स्मारकों के आसपास अवैध निर्माण और पर्यावरणीय नुकसान को अनुच्छेद 49 और 48A के आधार पर चुनौती दी गई।
मुद्दा: क्या स्मारकों के आसपास अवैध निर्माण और प्रदूषण अनुच्छेद 49 का उल्लंघन करता है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 49 स्मारकों के संरक्षण और उनके आसपास के पर्यावरण की सुरक्षा का निर्देश देता है। कोर्ट ने ASI और NMA को स्मारकों के आसपास निर्माण को नियंत्रित करने और संरक्षण उपाय लागू करने का निर्देश दिया।
महत्व: इस मामले ने अनुच्छेद 49 को पर्यावरण संरक्षण और स्मारक संरक्षण के बीच संबंध से जोड़ा।
Conclusion
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