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Employment and development schemes of the Central Government between 1950-1960
jp Singh 2025-06-20 17:53:06
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1950-1960 के बीच केंद्र सरकार की रोजगार और विकास योजनाएं

1950-1960 के बीच केंद्र सरकार की रोजगार और विकास योजनाएं
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956)
प्रारंभ तिथि: 1 अप्रैल 1951
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: योजना आयोग (अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरू)
उद्देश्य: कृषि उत्पादन बढ़ाना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, और ग्रामीण रोजगार सृजन।
विस्तार: पूरे देश में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और सिंचाई परियोजनाओं पर ध्यान।
उद्देश्य: कृषि उत्पादन बढ़ाना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, और ग्रामीण रोजगार सृजन।
महत्व: स्वतंत्रता के बाद भारत की पहली नियोजित आर्थिक योजना, जो देश के आर्थिक आधार को मजबूत करने की दिशा में पहला कदम थी।
लक्ष्य: 2.1% वार्षिक जीडीपी वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, और ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास। परिणाम: 3.6% जीडीपी वृद्धि हासिल, भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, और हीराकुंड जैसी परियोजनाएं शुरू, 15% शुद्ध घरेलू उत्पाद वृद्धि।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम (Community Development Programme)
प्रारंभ तिथि: 2 अक्टूबर 1952
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: योजना आयोग और ग्रामीण विकास मंत्रालय
विस्तार: 55 सामुदायिक विकास खंड, प्रत्येक में लगभग 100 गांव और 60,000-70,000 की आबादी।
उद्देश्य: ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से विकास।
महत्व: ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक सुधार का पहला बड़ा प्रयास।
लक्ष्य: 2,500 सामुदायिक विकास खंड स्थापित करना, ग्रामीण बुनियादी ढांचा और रोजगार सृजन।
परिणाम: 1956 तक 1,000 खंड स्थापित, लाखों ग्रामीणों को रोजगार, स्कूल, और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण।
राष्ट्रीय विस्तार सेवा (National Extension Service)
प्रारंभ तिथि: 2 अक्टूबर 1953
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: ग्रामीण विकास मंत्रालय
विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और सामुदायिक विकास के लिए तकनीकी सहायता।
उद्देश्य: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना।
महत्व: ग्रामीण उत्पादकता और रोजगार में वृद्धि के लिए तकनीकी नवाचार।
लक्ष्य: 50,000 गांवों को कवर करना, 10 लाख किसानों को प्रशिक्षण।
परिणाम: 1956 तक 20,000 गांव कवर, 5 लाख किसानों को प्रशिक्षण, ग्रामीण रोजगार में सुधार।
भाखड़ा नंगल परियोजना
प्रारंभ तिथि: 1951
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: जल शक्ति मंत्रालय और योजना आयोग
विस्तार: पंजाब और हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी पर बहुउद्देशीय बांध।
उद्देश्य: सिंचाई, बिजली उत्पादन, और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना, जो आर्थिक विकास का प्रतीक बनी।
लक्ष्य: 15 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, 1,000 मेगावाट बिजली उत्पादन, 50,000 रोजगार।
परिणाम: 1950 के दशक के अंत तक निर्माण प्रगति पर, हजारों श्रमिकों को रोजगार, 1960 तक आंशिक परिचालन।
सिन्दरी उर्वरक कारखाना
प्रारंभ तिथि: 1951
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय
विस्तार: बिहार (वर्तमान झारखंड) में उर्वरक उत्पादन इकाई।
उद्देश्य: कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरक उत्पादन और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत में उर्वरक आत्मनिर्भरता की शुरुआत।
लक्ष्य: 3 लाख टन उर्वरक उत्पादन, 5,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार।
परिणाम: 1952 में उत्पादन शुरू, 2 लाख टन उर्वरक उत्पादन, 3,000 रोजगार सृजित।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961)
प्रारंभ तिथि: 1 अप्रैल 1956
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: योजना आयोग (अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरू)
विस्तार: भारी उद्योगों और बुनियादी ढांचे पर ध्यान, पूरे देश में लागू।
उद्देश्य: औद्योगीकरण को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन, और आर्थिक आत्मनिर्भरता।
महत्व: महालानोबिस मॉडल पर आधारित, जिसने भारी उद्योगों को प्राथमिकता दी।
लक्ष्य: 5% वार्षिक जीडीपी वृद्धि, 3 इस्पात संयंत्र स्थापित, 20 लाख रोजगार।
परिणाम: 4.2% जीडीपी वृद्धि, भिलाई, राउरकेला, और दुर्गापुर इस्पात संयंत्र शुरू, 15 लाख रोजगार सृजित।
भिलाई इस्पात संयंत्र
प्रारंभ तिथि: 1955 (निर्माण शुरू), 1959 (उत्पादन शुरू)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय (सोवियत सहायता)
विस्तार: मध्य प्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) में इस्पात उत्पादन इकाई।
उद्देश्य: औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत के औद्योगीकरण की आधारशिला।
लक्ष्य: 10 लाख टन इस्पात उत्पादन, 10,000 प्रत्यक्ष रोजगार।
परिणाम: 1959 में उत्पादन शुरू, 8,000 रोजगार सृजित, 5 लाख टन इस्पात उत्पादन।
राउरकेला इस्पात संयंत्र
प्रारंभ तिथि: 1956 (निर्माण शुरू), 1960 (उत्पादन शुरू)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय (जर्मन सहायता)
विस्तार: उड़ीसा (वर्तमान ओडिशा) में इस्पात उत्पादन इकाई।
उद्देश्य: इस्पात उत्पादन बढ़ाना और औद्योगिक रोजगार सृजन।
महत्व: भारत की औद्योगिक क्षमता में वृद्धि।
लक्ष्य: 10 लाख टन इस्पात उत्पादन, 8,000 रोजगार।
परिणाम: 1960 में उत्पादन शुरू, 6,000 रोजगार, 4 लाख टन इस्पात उत्पादन।
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र
प्रारंभ तिथि: 1957 (निर्माण शुरू), 1960 (उत्पादन शुरू)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय (ब्रिटिश सहायता)
विस्तार: पश्चिम बंगाल में इस्पात उत्पादन इकाई।
उद्देश्य: औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन।
महत्व: क्षेत्रीय औद्योगिक संतुलन और तकनीकी प्रगति।
लक्ष्य: 10 लाख टन इस्पात उत्पादन, 8,000 रोजगार
परिणाम: 1960 में उत्पादन शुरू, 5,500 रोजगार, 3 लाख टन इस्पात उत्पादन।
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC)
प्रारंभ तिथि: 1955
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
विस्तार: पूरे देश में लघु उद्योगों को समर्थन।
उद्देश्य: लघु उद्योगों को वित्त, प्रौद्योगिकी, और विपणन सहायता प्रदान करना।
महत्व: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार और आर्थिक समावेश।
लक्ष्य: 50,000 लघु इकाइयों को सहायता, 2 लाख रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 20,000 इकाइयों को सहायता, 1 लाख रोजगार सृजित।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC)
प्रारंभ तिथि: 1957 (1956 का अधिनियम)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और हस्तशिल्प उद्योगों का प्रचार।
उद्देश्य: ग्रामीण स्वरोजगार और पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देना।
महत्व: गांधीवादी आत्मनिर्भरता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार।
लक्ष्य: 10 लाख कारीगरों को रोजगार, 1,000 खादी केंद्र स्थापित।
परिणाम: 1960 तक 5 लाख कारीगरों को रोजगार, 500 खादी केंद्र स्थापित।
कुटीर उद्योग बोर्ड
प्रारंभ तिथि: 1948 (1950 में पुनर्गठन)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
विस्तार: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों का समर्थन।
उद्देश्य: हस्तशिल्प और लघु उद्योगों के माध्यम से रोजगार सृजन।
महत्व: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और शहरीकरण को कम करना।
लक्ष्य: 1 लाख कुटीर इकाइयां, 5 लाख रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 50,000 इकाइयां, 2 लाख रोजगार।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation, DVC)
प्रारंभ तिथि: 7 जुलाई 1948 (1950 में पूर्ण परिचालन)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: जल शक्ति मंत्रालय और योजना आयोग
विस्तार: पश्चिम बंगाल और बिहार (वर्तमान झारखंड) में दामोदर नदी पर बहुउद्देशीय परियोजना।
उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, बिजली उत्पादन, और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत की पहली नदी घाटी परियोजना, जो अमेरिका की TVA से प्रेरित थी।
लक्ष्य: 4 लाख हेक्टेयर की सिंचाई, 250 मेगावाट बिजली, 20,000 रोजगार।
परिणाम: 1950 के दशक के अंत तक 2 लाख हेक्टेयर की सिंचाई, 150 मेगावाट बिजली, 15,000 रोजगार सृजित।
उर्वरक और रसायन त्रावणकोर लिमिटेड (FACT)
प्रारंभ तिथि: 1943 (1950 में विस्तार)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय
विस्तार: केरल में उर्वरक उत्पादन इकाई का विस्तार।
उद्देश्य: कृषि के लिए उर्वरक उत्पादन बढ़ाना और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत में उर्वरक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम।
लक्ष्य: 1 लाख टन उर्वरक उत्पादन, 2,000 रोजगार।
परिणाम: 1950 के दशक में 80,000 टन उत्पादन, 1,500 रोजगार सृजित।
हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT)
प्रारंभ तिथि: 1953
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: भारी उद्योग मंत्रालय
विस्तार: बैंगलोर (वर्तमान बेंगलुरु) में मशीन टूल्स निर्माण इकाई।
उद्देश्य: औद्योगिक मशीनरी उत्पादन और तकनीकी रोजगार सृजन।
महत्व: भारत के औद्योगीकरण के लिए स्वदेशी मशीनरी उत्पादन।
लक्ष्य: 1,000 मशीन टूल्स उत्पादन, 3,000 रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 800 मशीन टूल्स उत्पादन, 2,500 रोजगार सृजित।
हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL)
प्रारंभ तिथि: 1954
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: स्वास्थ्य मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय
विस्तार: बैंगलोर (वर्तमान बेंगलुरु) में मशीन टूल्स निर्माण इकाई।
उद्देश्य: दवाओं की स्वदेशी आपूर्ति और रोजगार सृजन।
महत्व: भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग की शुरुआत।
लक्ष्य: 10 टन पेनिसिलिन उत्पादन, 1,000 रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 8 टन उत्पादन, 800 रोजगार सृजित।
ग्राम सेवा योजना (Village Service Scheme)
प्रारंभ तिथि: 1952
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: ग्रामीण विकास मंत्रालय
विस्तार: सामुदायिक विकास कार्यक्रम के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में लागू।
उद्देश्य: ग्रामीण स्वयंसेवकों के माध्यम से विकास और रोजगार सृजन।
महत्व: ग्रामीण समुदायों में सामाजिक जागरूकता और आत्मनिर्भरता।
लक्ष्य: 10,000 गांवों में स्वयंसेवक, 50,000 रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 5,000 गांव कवर, 20,000 रोजगार सृजित।
ग्रामीण औद्योगीकरण कार्यक्रम
प्रारंभ तिथि: 1955
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में लघु और कुटीर उद्योगों का प्रचार।
उद्देश्य: ग्रामीण बेरोजगारी कम करना और स्वरोजगार को बढ़ावा देना।
महत्व: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को औद्योगिक विकास से जोड़ना।
लक्ष्य: 20,000 ग्रामीण उद्योग इकाइयां, 1 लाख रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 10,000 इकाइयां स्थापित, 50,000 रोजगार सृजित।
हीराकुंड बांध परियोजना
प्रारंभ तिथि: 1948 (1950 में पूर्ण गति से निर्माण)
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: जल शक्ति मंत्रालय
विस्तार: उड़ीसा (वर्तमान ओडिशा) में महानदी पर बहुउद्देशीय बांध।
उद्देश्य: सिंचाई, बिजली उत्पादन, और निर्माण रोजगार।
महत्व: भारत की सबसे लंबी बांध परियोजनाओं में से एक।
लक्ष्य: 3 लाख हेक्टेयर की सिंचाई, 270 मेगावाट बिजली, 15,000 रोजगार।
परिणाम: 1957 में आंशिक परिचालन, 1.5 लाख हेक्टेयर की सिंचाई, 10,000 रोजगार।
नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (NLC)
प्रारंभ तिथि: 1956
शासन: जवाहरलाल नेहरू सरकार
प्रारंभकर्ता: ऊर्जा मंत्रालय
विस्तार: तमिलनाडु में लिग्नाइट खनन और बिजली उत्पादन।
उद्देश्य: ऊर्जा उत्पादन और औद्योगिक रोजगार सृजन।
महत्व: दक्षिण भारत में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की शुरुआत।
लक्ष्य: 250 मेगावाट बिजली, 5,000 रोजगार।
परिणाम: 1960 तक 100 मेगावाट उत्पादन, 3,000 रोजगार सृजित।
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