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Definition of Agricultural Diversification
jp Singh 2025-06-03 13:55:46
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कृषि विविधीकरण की परिभाषा/Agricultural Diversification

कृषि विविधीकरण की परिभाषा/Agricultural Diversification
परिभाषा: कृषि विविधीकरण में फसल चक्र, मिश्रित खेती, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, और मूल्यवर्धित गतिविधियों (जैसे, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण) को अपनाकर कृषि आय और उत्पादकता को बढ़ाना शामिल है।
प्रकार
फसल विविधीकरण: धान-गेहूँ चक्र से हटकर उच्च-मूल्य वाली फसलें (जैसे, दालें, तिलहन, मसाले)। गैर-फसल विविधीकरण: पशुपालन (डेयरी, मुर्गीपालन), मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन। मूल्यवर्धन: खाद्य प्रसंस्करण, जैविक उत्पाद, और निर्यात-उन्मुख कृषि।
उद्देश्य
जोखिम में कमी (मौसम, कीट, बाजार मूल्य पर निर्भरता)। आय स्थिरता और वृद्धि। मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्थिरता। ग्रामीण रोजगार सृजन।
भारत में कृषि विविधीकरण की स्थिति (2025 तक)
भारत में कृषि विविधीकरण की स्थिति (2025 तक): भारत में कृषि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो GDP का ~17% और 45% रोजगार प्रदान करता है (2024, NITI Aayog)।
विविधीकरण की स्थिति
फसल विविधीकरण
उच्च-मूल्य फसलें: 2024 में दालों (25 मिलियन टन) और तिलहन (40 मिलियन टन) का उत्पादन बढ़ा (कृषि मंत्रालय)। बागवानी: फल, सब्जियाँ, और मसाले 2024 में 350 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पादन तक पहुँचे। जैविक खेती: 2.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती, विशेष रूप से सिक्किम और उत्तराखंड में।
गैर-फसल विविधीकरण
डेयरी: भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक (2024 में 230 मिलियन टन, NDDB)। मत्स्य पालन: 15 मिलियन टन मछली उत्पादन, जिसमें 70% अंतर्देशीय मत्स्य पालन (कृषि मंत्रालय)। मधुमक्खी पालन: शहद निर्यात में 20% वृद्धि (2024 में $200 मिलियन)।
नीतिगत समर्थन
PM-KISAN: 11 करोड़ किसानों को ₹6,000/वर्ष, जिसने विविधीकरण के लिए निवेश को बढ़ाया। FPO (Farmer Producer Organizations): 10,000 FPO ने छोटे किसानों को बाजार और तकनीक से जोड़ा। कृषि निर्यात नीति: 2024 में कृषि निर्यात $50 बिलियन, जिसमें मसाले, बासमती चावल, और जैविक उत्पाद शामिल।
प्रभाव
आय वृद्धि: विविधीकरण से छोटे किसानों की आय में 15-20% वृद्धि (ICAR)। रोजगार: ग्रामीण क्षेत्रों में 5 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ (2020-24, NITI Aayog)। सततता: मिश्रित खेती और जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता में सुधार।
भारत में कृषि विविधीकरण की चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन: अनियमित मानसून और सूखा विविधीकरण को प्रभावित करते हैं। बाजार पहुँच: छोटे किसानों को उच्च-मूल्य फसलों के लिए बाजार तक पहुँच की कमी। कौशल और तकनीक: जैविक खेती और बागवानी के लिए प्रशिक्षण और तकनीक की कमी। वित्तीय समर्थन: छोटे किसानों के लिए ऋण की सीमित उपलब्धता। बुनियादी ढांचा: कोल्ड स्टोरेज और परिवहन की कमी।
Conclusion
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