Recent Blogs

Blogs View Job Hindi Preparation Job English Preparation
Kooka movement
jp Singh 2025-05-28 13:26:33
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

कूका आंदोलन 1871-72

कूका आंदोलन 1871-72
कूका आंदोलन, जिसे नामधारी सिख आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है, 19वीं सदी में पंजाब में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक धार्मिक-सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन था। यह आंदोलन नामधारी सिख संप्रदाय द्वारा शुरू किया गया था, जो सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को पुनर्जनन करने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध करने के लिए जाना जाता है। यह आंदोलन विशेष रूप से 1857 के बाद और 1871-72 में अपने चरम पर था।
मुख्य बिंदु: स्थान: पंजाब, विशेष रूप से लुधियाना, जालंधर, होशियारपुर, और अमृतसर जिले। समय: 1857 से शुरू, लेकिन 1871-72 में इसका सशस्त्र चरण (मालेरकोटला हमला) सबसे महत्वपूर्ण था। पृष्ठभूमि: कूका आंदोलन की शुरुआत बलक सिंह ने 1840 के दशक में की, जिन्होंने सिख धर्म में शुद्धता और नैतिकता पर जोर दिया। उनके शिष्य राम सिंह ने 1857 में आंदोलन को और संगठित किया। नामधारी सिख: यह समुदाय गुरु नानक के मूल सिद्धांतों, जैसे नाम जपना, नैतिक जीवन, और सामाजिक समानता, पर विश्वास करता था। वे "कूका" कहलाए क्योंकि वे प्रार्थना के दौरान जोर-जोर से चिल्लाते (कूकते) थे।
ब्रिटिश शासन ने सिख साम्राज्य (1849 में दूसरा एंग्लो-सिख युद्ध के बाद) को समाप्त कर दिया, जिससे सिखों में असंतोष बढ़ा। ब्रिटिश नीतियाँ, जैसे भारी कर, सिख परंपराओं पर अंकुश, और पश्चिमी प्रभाव, ने असंतोष को और भड़काया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ने कूका समुदाय को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संगठित होने के लिए प्रेरित किया।
कारण: धार्मिक सुधार: नामधारी सिखों ने सिख धर्म में अंधविश्वास, मूर्तिपूजा, और सामाजिक कुरीतियों (जैसे बाल विवाह, दहेज) का विरोध किया। गुरु राम सिंह ने सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति समर्पण और नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष: सिख साम्राज्य के पतन के बाद ब्रिटिश शासन ने सिखों की सैन्य और सांस्कृतिक शक्ति को कमजोर किया। ब्रिटिश नीतियों, जैसे भारी कर और सिख गुरुद्वारों पर नियंत्रण, ने असंतोष को बढ़ाया।
आर्थिक शोषण: ब्रिटिश राजस्व नीतियों ने पंजाब के किसानों पर भारी कर थोपा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई। साहूकारों और जमींदारों द्वारा कर्ज का शोषण भी आम था। सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे: ब्रिटिश प्रशासन द्वारा गायों की हत्या को संरक्षण देने की धारणा ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई, क्योंकि गाय सिखों और हिंदुओं के लिए पवित्र थी। नामधारी सिखों ने गौ-हत्या के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, जो बाद में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में बदल गया।
घटनाक्रम: शुरुआत: 1857 में, गुरु राम सिंह ने नामधारी संगठन को मजबूत किया और भिखू (लुधियाना) में अपना मुख्यालय स्थापित किया। उन्होंने सिखों को संगठित करने के लिए संत खालसा की स्थापना की और अहिंसक प्रतिरोध के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण पर जोर दिया। मुख्य गतिविधियाँ: कूका सिखों ने सामाजिक सुधारों, जैसे विधवा पुनर्विवाह और सादगीपूर्ण विवाह (आनंद कारज), को बढ़ावा दिया। उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ असहयोग की नीति अपनाई, जैसे ब्रिटिश स्कूलों और अदालतों का बहिष्कार। गुरु राम सिंह ने अपने अनुयायियों को स्वदेशी कपड़े और आत्मनिर्भरता अपनाने के लिए प्रेरित किया। मालेरकोटला हमला (1872): 15 जनवरी 1872 को, कूका सिखों ने मालेरकोटला (पंजाब) में एक हथियार डिपो पर हमला किया, जिसका उद्देश्य हथियार लूटकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह शुरू करना था।
यह हमला गौ-हत्या के खिलाफ विरोध और ब्रिटिश समर्थित स्थानीय शासकों के खिलाफ असंतोष से प्रेरित था। हमला असफल रहा, और ब्रिटिश सेना ने इसे जल्दी दबा दिया। दमन: ब्रिटिश सरकार ने कूका आंदोलन को कुचलने के लिए सख्त कदम उठाए। 17-18 जनवरी 1872 को, मालेरकोटला में 66 कूका सिखों को तोप से उड़ा दिया गया, जिसे कूका नरसंहार के नाम से जाना जाता है। गुरु राम सिंह को 1872 में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें बर्मा (रंगून) निर्वासित कर दिया गया, जहाँ 1885 में उनकी मृत्यु हो गई। हजारों कूका सिखों को गिरफ्तार किया गया, और आंदोलन को कमजोर करने के लिए कठोर दंड दिए गए।
परिणाम: दमन और हानि: मालेरकोटला नरसंहार ने कूका आंदोलन को कमजोर कर दिया, लेकिन इसने सिख समुदाय में ब्रिटिश शासन के खिलाफ और आक्रोश पैदा किया। सैकड़ों नामधारी सिखों को जेल भेजा गया या दंडित किया गया। सामाजिक और धार्मिक प्रभाव: कूका आंदोलन ने सिख धर्म में सुधारों को बढ़ावा दिया, जैसे अंधविश्वासों का विरोध और सामाजिक समानता पर जोर। नामधारी सिख समुदाय आज भी सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और गुरु राम सिंह को एक शहीद के रूप में सम्मान देता है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: कूका आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध की भावना को जीवित रखा, जिसने बाद के आंदोलनों, जैसे गदर आंदोलन और आजाद हिंद फौज, को प्रेरित किया।
इसने सिखों में स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया और स्वदेशी तथा आत्मनिर्भरता के विचार को बढ़ावा दिया। विवाद: कुछ इतिहासकार इसे धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन मानते हैं, जबकि अन्य इसे ब्रिटिश विरोधी सशस्त्र विद्रोह के रूप में देखते हैं। मालेरकोटला हमले को कुछ लोग सांप्रदायिक मानते हैं, क्योंकि यह मुस्लिम शासक के खिलाफ था, लेकिन यह मुख्य रूप से ब्रिटिश समर्थन और गौ-हत्या के मुद्दे से प्रेरित था। तुलना (पाइक, फकीर, रंपा, मुंडा, नील, पाबना, दक्कन, अवध, और मोपला विद्रोह से): पाइक विद्रोह (1817): सैन्य विद्रोह, ब्रिटिश प्रशासन और स्थानीय शक्ति हस्तक्षेप के खिलाफ, जबकि कूका आंदोलन धार्मिक सुधार और सशस्त्र प्रतिरोध का मिश्रण था।
फकीर विद्रोह (1760-1800): धार्मिक समुदायों द्वारा गुरिल्ला युद्ध, कूका आंदोलन की तरह धार्मिक प्रेरणा थी, लेकिन कूका अधिक संगठित और सिख-केंद्रित था। रंपा विद्रोह (1879, 1922-24): आदिवासी विद्रोह, जंगल अधिकारों के लिए, जबकि कूका आंदोलन धार्मिक और राष्ट्रीय स्वतंत्रता पर केंद्रित था। मुंडा विद्रोह (1899-1900): आदिवासी और धार्मिक पुनर्जनन, कूका की तरह, लेकिन कूका सिख धर्म से प्रेरित था। नील आंदोलन (1859-60): नील बागान मालिकों के खिलाफ, आर्थिक और शांतिपूर्ण, जबकि कूका सशस्त्र और धार्मिक था। पाबना विद्रोह (1873-76): जमींदारों के खिलाफ शांतिपूर्ण, जबकि कूका में सशस्त्र चरण (मालेरकोटला हमला) शामिल था।
दक्कन दंगे (1875): साहूकारों के खिलाफ हिंसक, लेकिन कूका में धार्मिक और राष्ट्रीय तत्व अधिक थे। अवध किसान सभा (1918-22): जमींदारों के खिलाफ, गांधीवादी प्रभाव में, जबकि कूका सशस्त्र और सिख-केंद्रित था। मोपला विद्रोह (1921): जमींदारों और ब्रिटिश के खिलाफ, खिलाफत आंदोलन से प्रेरित, कूका की तरह धार्मिक प्रेरणा थी, लेकिन मोपला में सांप्रदायिक रंग अधिक था।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogs

Loan Offer

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer