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Article 250 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 10:32:38
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 250

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 250
अनुच्छेद 250 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंध) में आता है। यह आपातकाल के दौरान संसद को राज्य सूची के विषयों पर विधि बनाने की शक्ति(Power of Parliament to legislate with respect to any matter in the State List if a Proclamation of Emergency is in operation) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को राष्ट्रीय आपातकाल(अनुच्छेद 356) की उद्घोषणा के दौरान सातवीं अनुसूची की राज्य सूची के विषयों पर विधि बनाने का अधिकार देता है। यह केंद्र की विधायी शक्ति को असाधारण परिस्थितियों में सुदृढ़ करता है।
"(1) यदि राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा प्रभावी है, तो अनुच्छेद 246 में किसी बात के होते हुए भी, संसद को सातवीं अनुसूची की द्वितीय सूची(राज्य सूची) में विनिर्दिष्ट किसी भी विषय के संबंध में भारत के पूरे क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने का अधिकार होगा।
(2) इस अनुच्छेद के तहत बनाई गई कोई विधि उस समय से छह महीने तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि वह निरसन या संशोधन न हो, जब राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा समाप्त हो जाए।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 250 संसद को राष्ट्रीय आपातकाल(अनुच्छेद 352 के तहत) की उद्घोषणा के दौरान सातवीं अनुसूची की राज्य सूची के विषयों(जैसे, कृषि, पुलिस, स्थानीय शासन) पर विधि बनाने का अधिकार देता है। यह प्रावधान राष्ट्रीय संकट(जैसे, युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह) के दौरान राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक एकरूपता सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र को आपातकाल में असाधारण शक्तियाँ देना है ताकि राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 250 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र को आपातकाल में प्रांतीय विषयों पर हस्तक्षेप की शक्ति थी। भारतीय संदर्भ: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल(1962, 1971, 1975) के दौरान केंद्र को राज्य सूची के विषयों पर विधायी शक्ति की आवश्यकता थी। प्रासंगिकता: यह प्रावधान आपातकाल में केंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत और प्रशासनिक नियंत्रण प्रदान करता है।
अनुच्छेद 250 के प्रमुख तत्व
खंड(1): आपातकाल में संसद की शक्ति: यदि राष्ट्रीय आपातकाल(अनुच्छेद 352) की उद्घोषणा प्रभावी है, तो संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय पर भारत के पूरे क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने का अधिकार होगा। यह शक्ति अनुच्छेद 246 के अधीन है, जो सामान्य परिस्थितियों में राज्य सूची पर राज्यों को विशेष शक्ति देता है। उदाहरण: 1975 के आपातकाल में, संसद ने पुलिस प्रशासन(राज्य सूची, प्रविष्टि 2) पर विधि बनाई।
खंड(2): विधि की अवधि: इस अनुच्छेद के तहत बनाई गई कोई विधि आपातकाल की समाप्ति के बाद छह महीने तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि उसे निरसन या संशोधन न किया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि केंद्र की शक्ति अस्थायी हो। उदाहरण: 2025 में, एक काल्पनिक आपातकाल के दौरान संसद ने स्वास्थ्य नीति(राज्य सूची) पर विधि बनाई, जो आपातकाल समाप्त होने के छह महीने बाद तक प्रभावी रही।
महत्व: राष्ट्रीय एकता: आपातकाल में नीतिगत एकरूपता। केंद्र की प्रभुता: असाधारण परिस्थितियों में नियंत्रण। संघीय संतुलन: अस्थायी हस्तक्षेप के साथ राज्यों की स्वायत्तता। न्यायिक समीक्षा: विधियों की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: राष्ट्रीय आपातकाल: संसद की शक्ति। राज्य सूची: अस्थायी हस्तक्षेप। अवधि: छह महीने(आपातकाल समाप्ति के बाद)। संघीय ढांचा: केंद्र की प्राथमिकता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1962(भारत-चीन युद्ध): संसद ने रक्षा-संबंधी राज्य विषयों पर विधियाँ बनाईं। 1975(आपातकाल): संसद ने पुलिस और स्थानीय शासन पर विधियाँ बनाईं। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में काल्पनिक स्वास्थ्य संकट के लिए संसद की विधियाँ।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: आपातकाल में केंद्र के हस्तक्षेप पर राज्यों की आपत्ति। आपातकाल का दुरुपयोग: 1975 के आपातकाल में अनुच्छेद 250 के उपयोग पर विवाद। न्यायिक समीक्षा: आपातकालीन विधियों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 246: विधायी शक्तियों का बंटवारा। अनुच्छेद 248: अवशिष्ट शक्तियाँ। अनुच्छेद 352: राष्ट्रीय आपातकाल। सातवीं अनुसूची: तीन सूचियाँ।
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