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Article 248 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 10:29:42
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 248

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 248
अनुच्छेद 248 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंध) में आता है। यह संसद की अवशिष्ट विधायी शक्तियों(Residuary powers of legislation) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को उन विषयों पर विधि बनाने का अधिकार देता है जो सातवीं अनुसूची की किसी भी सूची(संघ, राज्य, या समवर्ती सूची) में शामिल नहीं हैं। यह केंद्र की विधायी प्रभुता को सुदृढ़ करता है और भारत के संघीय ढांचे में केंद्र को प्रबल स्थिति प्रदान करता है।
"(1) अनुच्छेद 246 और 247 में किसी बात के होते हुए भी, संसद को सातवीं अनुसूची की किसी भी सूची में विनिर्दिष्ट न किए गए किसी विषय के संबंध में विधि बनाने का विशेष अधिकार होगा।
(2) संसद को ऐसी विधि बनाने का अधिकार होगा, जो भारत के पूरे क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए हो।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 248 संसद को अवशिष्ट शक्तियाँ(residuary powers) देता है, जिसके तहत वह उन विषयों पर विधि बना सकती है जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची, राज्य सूची, या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं। यह प्रावधान केंद्र को उन उभरते विषयों पर विधायी शक्ति देता है जो संविधान के समय स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं थे। इसका लक्ष्य संघीय ढांचे में केंद्र की प्रभुता, राष्ट्रीय एकता, और उभरते मुद्दों(जैसे, डिजिटल तकनीक, साइबर सुरक्षा) पर विधायी नियंत्रण सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 248 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 100 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र को अवशिष्ट शक्तियाँ दी गई थीं। भारतीय संदर्भ: भारत के संघीय ढांचे में केंद्र को मजबूत स्थिति देने के लिए अवशिष्ट शक्तियाँ संसद को दी गईं, जो कनाडा जैसे अन्य संघीय संविधानों से प्रेरित है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान नए और अप्रत्याशित विषयों(जैसे, डेटा संरक्षण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पर केंद्र की विधायी शक्ति सुनिश्चित करता है
अनुच्छेद 248 के प्रमुख तत्व
खंड(1): अवशिष्ट शक्तियाँ: संसद को सातवीं अनुसूची की किसी भी सूची में शामिल नहीं किए गए विषयों पर विधि बनाने का विशेष अधिकार है। यह शक्ति अनुच्छेद 246 और 247 के अधीन है। उदाहरण: 2025 में, संसद ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) और डेटा गोपनीयता पर विधि बनाई, जो सातवीं अनुसूची में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं है।
खंड(2): क्षेत्रीय सीमा: संसद की यह शक्ति भारत के पूरे क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए लागू हो सकती है। यह अनुच्छेद 245 के साथ मिलकर कार्य करता है, जो संसद की क्षेत्रीय विधायी शक्ति को परिभाषित करता है। उदाहरण: 2025 में, संसद ने डिजिटल मुद्रा पर राष्ट्रीय स्तर की विधि बनाई।
महत्व: केंद्र की प्रभुता: अवशिष्ट विषयों पर संसद की विशेष शक्ति। लचीलापन: नए और उभरते विषयों पर विधायी नियंत्रण। राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर एकरूपता। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन, जिसमें केंद्र को प्राथमिकता।
प्रमुख विशेषताएँ: अवशिष्ट शक्तियाँ: संसद को विशेष अधिकार। नए विषय: डिजिटल, AI, साइबर सुरक्षा। क्षेत्रीय सीमा: पूरे भारत या भाग। संघीय ढांचा: केंद्र की प्रबलता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के दशक: संसद ने राष्ट्रीय महत्व के नए विषयों(जैसे, परमाणु ऊर्जा) पर विधियाँ बनाईं। 2010 के दशक: डेटा संरक्षण और साइबर अपराध पर विधियाँ। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में AI, ब्लॉकचेन, और डिजिटल मुद्रा पर विधियाँ।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा अवशिष्ट शक्तियों पर केंद्र के एकाधिकार पर सवाल। नए विषयों की व्याख्या: कुछ विषयों(जैसे, पर्यावरण) को समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने पर बहस। न्यायिक समीक्षा: अवशिष्ट शक्तियों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 246: विधायी शक्तियों का बंटवारा। अनुच्छेद 245: क्षेत्रीय विधायी शक्ति। सातवीं अनुसूची: तीन सूचियाँ।
Conclusion
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