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or the Munda rebellion
jp Singh 2025-05-28 12:30:59
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हो या मुण्डा का विद्रोह

हो या मुण्डा का विद्रोह
हो या मुंडा विद्रोह (1899-1900) भारत के छोटानागपुर क्षेत्र (वर्तमान झारखंड) में मुंडा आदिवासी समुदाय द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह था। इसे मुंडा विद्रोह या उलगुलान (महान हंगामा) के नाम से भी जाना जाता है, और इसका नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया।
प्रमुख बिंदु: पृष्ठभूमि: औपनिवेशिक शोषण: ब्रिटिश शासन ने मुंडा आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लिया और जमींदारी प्रथा लागू की, जिससे उनकी पारंपरिक भूमि व्यवस्था (खूंटकट्टी) नष्ट हो गई। धर्म और संस्कृति पर हमला: ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन और आदिवासी संस्कृति का दमन। आर्थिक शोषण: जमींदारों और साहूकारों द्वारा भारी कर और सूदखोरी।
बिरसा मुंडा का उदय: बिरसा मुंडा (1875-1900) एक युवा आदिवासी नेता थे, जिन्होंने मुंडा समुदाय को एकजुट किया। उन्होंने बिरसाइट आंदोलन शुरू किया, जिसमें आदिवासियों को उनके अधिकारों, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया। बिरसा ने स्वयं को धरती आबा (पृथ्वी का पिता) घोषित किया और एक धार्मिक-सामाजिक सुधार आंदोलन चलाया। विद्रोह का स्वरूप: उलगुलान: 1899 में शुरू हुआ यह विद्रोह हिंसक रूप ले लिया, जिसमें मुंडाओं ने जमींदारों, ब्रिटिश अधिकारियों और मिशनरियों पर हमले किए। विद्रोह का लक्ष्य था "अबुआ दिशोम रे अबुआ राज" (हमारा देश, हमारा राज), यानी स्वशासन की स्थापना। मुंडाओं ने तीर-कमान और पारंपरिक हथियारों का उपयोग किया।
दमन और परिणाम: ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिए भारी सैन्य बल का उपयोग किया। 1900 में बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया और रांची जेल में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई (संभवतः जहर देने या बीमारी के कारण)। विद्रोह को दबा दिया गया, लेकिन इसने आदिवासी अस्मिता और अधिकारों के लिए एक मजबूत नींव रखी। महत्व: मुंडा विद्रोह ने आदिवासी समुदायों में स्वतंत्रता और स्वशासन की चेतना जगाई। यह भारत में आदिवासी आंदोलनों का प्रतीक बन गया और बिरसा मुंडा को एक महान नायक के रूप में याद किया जाता है।
इसने बाद के स्वतंत्रता संग्राम और आदिवासी अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। वर्तमान प्रासंगिकता: बिरसा मुंडा को आज भी झारखंड और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में एक प्रेरणास्रोत के रूप में पूजा जाता है। उनकी जयंती (15 नवंबर) को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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