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Article 371J of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:42:05
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371J

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371J
अनुच्छेद 371J भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह कर्नाटक राज्य के हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए विशेष उपबंध (Special provision with respect to the Hyderabad-Karnataka region of the State of Karnataka) से संबंधित है। यह प्रावधान इस क्षेत्र में विकास, शिक्षा, और लोक सेवाओं में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
(2) इस क्षेत्र के निवासियों को शिक्षा और लोक सेवाओं में समुचित अवसर प्रदान किए जाएँ।
(3) क्षेत्रीय आधार पर आरक्षण और जोन बनाए जा सकते हैं।
(4) राष्ट्रपति द्वारा गठित प्रशासकीय अधिकरण विवादों का निपटारा करेंगे।
उद्देश्य: अनुच्छेद 371J का उद्देश्य कर्नाटक के हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र (जैसे, बीदर, गुलबर्गा, यादगिर, रायचूर, कोप्पल, और बेल्लारी) में विकास, शिक्षा, और लोक सेवाओं में समान अवसर सुनिश्चित करना है। यह प्रावधान क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने और इस क्षेत्र को मुख्यधारा के विकास में शामिल करने के लिए बनाया गया है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय समानता, शैक्षिक और रोजगार अवसर, और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 371J को 98वें संवैधानिक संशोधन (2012) के तहत जोड़ा गया। यह हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही माँग का परिणाम था, जो पहले हैदराबाद निज़ाम के अधीन था और विकास में पिछड़ा हुआ था। भारतीय संदर्भ: हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद कर्नाटक में शामिल हुआ, लेकिन यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा रहा। उदाहरण: हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना। प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान क्षेत्र में विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में।
अनुच्छेद 371J के प्रमुख तत्व
विकास बोर्ड: राष्ट्रपति के आदेश से हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए एक विकास बोर्ड स्थापित किया जा सकता है। यह बोर्ड क्षेत्र में बुनियादी ढांचा, शिक्षा, और रोजगार को बढ़ावा देता है। उदाहरण: हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र विकास बोर्ड।
शिक्षा और लोक सेवाएँ: इस क्षेत्र के निवासियों को शिक्षा और लोक सेवाओं में समुचित अवसर प्रदान किए जाते हैं। उदाहरण: सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षण।
क्षेत्रीय जोन और आरक्षण: क्षेत्रीय आधार पर जोन बनाए जा सकते हैं, और आरक्षण लागू किया जा सकता है। उदाहरण: बीदर और गुलबर्गा में स्थानीय आरक्षण।
प्रशासकीय अधिकरण: राष्ट्रपति द्वारा गठित अधिकरण लोक सेवाओं और आरक्षण से संबंधित विवादों का निपटारा करते हैं। उदाहरण: कर्नाटक प्रशासकीय अधिकरण।
न्यायिक समीक्षा: बोर्ड या अधिकरण के निर्णयों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: क्षेत्रीय समानता: हैदराबाद-कर्नाटक का विकास। शैक्षिक और रोजगार अवसर: स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता। राष्ट्रीय एकीकरण: क्षेत्रीय असंतोष को कम करना। प्रशासनिक सुगमता: विकास बोर्ड और अधिकरण।
प्रमुख विशेषताएँ: बोर्ड: क्षेत्रीय विकास। आरक्षण: शिक्षा और नौकरियाँ। अधिकरण: विवाद निपटारा। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1956: हैदराबाद-कर्नाटक का कर्नाटक में विलय। 2012: अनुच्छेद 371J का समावेश। 2025 स्थिति: विकास बोर्ड और आरक्षण सक्रिय।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 371D: आंध्र और तेलंगाना। 98वां संशोधन: हैदराबाद-कर्नाटक। सातवीं अनुसूची: केंद्र-राज्य शक्तियाँ।
Conclusion
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