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Article 246 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 15:49:33
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 246

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 246
अनुच्छेद 246 भारतीय संविधान के भाग XI(केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंध) में आता है। यह संसद और राज्य विधानमंडलों की विधायी शक्तियों का विषयगत बंटवारा(Subject-matter of laws made by Parliament and by the Legislatures of States) से संबंधित है। यह प्रावधान सातवीं अनुसूची में वर्णित संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची के आधार पर केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का बंटवारा करता है, जो भारत के संघीय ढांचे की आधारशिला है।
"(1) अनुच्छेद 245 में किसी बात के होते हुए भी, संसद को सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची(संघ सूची) में विनिर्दिष्ट किसी विषय के संबंध में पूरे भारत या उसके किसी भाग के लिए विशेष रूप से विधि बनाने का अधिकार होगा।
(2) अनुच्छेद 245 में किसी बात के होते हुए भी, संसद और किसी राज्य का विधानमंडल सातवीं अनुसूची की तृतीय सूची(समवर्ती सूची) में विनिर्दिष्ट किसी विषय के संबंध में विधि बना सकते हैं।
(3) अनुच्छेद 245 और इस अनुच्छेद के अधीन, किसी राज्य का विधानमंडल सातवीं अनुसूची की द्वितीय सूची(राज्य सूची) में विनिर्दिष्ट किसी विषय के संबंध में उस राज्य के पूरे क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विशेष रूप से विधि बनाने का अधिकार होगा।
(4) संसद को किसी केंद्रशासित प्रदेश के लिए सातवीं अनुसूची की किसी सूची में विनिर्दिष्ट किसी विषय के संबंध में विधि बनाने का अधिकार होगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 246 संसद और राज्य विधानमंडलों की विधायी शक्तियों को सातवीं अनुसूची में वर्णित तीन सूचियों—संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची—के आधार पर बाँटता है। यह संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय स्वायत्तता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 246 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें केंद्र और प्रांतों के बीच विधायी शक्तियों का बंटवारा था। भारतीय संदर्भ: भारत के संघीय ढांचे में केंद्र को राष्ट्रीय महत्व के विषयों और राज्यों को क्षेत्रीय महत्व के विषयों पर विधायी शक्ति देना आवश्यक था। प्रासंगिकता: यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 246 के प्रमुख तत्व
खंड(1): संघ सूची(संसद की विशेष शक्ति): संसद को सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची(संघ सूची) में वर्णित विषयों(जैसे, रक्षा, विदेश नीति, बैंकिंग) पर विधि बनाने का विशेष अधिकार है। संघ सूची में 97 प्रविष्टियाँ हैं(2025 तक)। उदाहरण: 2025 में, संसद ने साइबर सुरक्षा पर विधि बनाई(संघ सूची, प्रविष्टि 97: अवशिष्ट शक्तियाँ)।
खंड(2): समवर्ती सूची(संसद और राज्य): संसद और राज्य विधानमंडल दोनों सातवीं अनुसूची की तृतीय सूची(समवर्ती सूची) में वर्णित विषयों(जैसे, शिक्षा, आपराधिक कानून, विवाह) पर विधि बना सकते हैं। यदि केंद्र और राज्य की विधियाँ परस्पर विरोधी हों, तो केंद्र की विधि प्रबल होगी(अनुच्छेद 254)। समवर्ती सूची में 47 प्रविष्टियाँ हैं(2025 तक)। उदाहरण: 2025 में, संसद और महाराष्ट्र दोनों ने शिक्षा पर विधियाँ बनाईं।
खंड(3): राज्य सूची(राज्य की विशेष शक्ति): राज्य विधानमंडल को सातवीं अनुसूची की द्वितीय सूची(राज्य सूची) में वर्णित विषयों(जैसे, कृषि, पुलिस, स्थानीय शासन) पर विधि बनाने का विशेष अधिकार है। राज्य सूची में 66 प्रविष्टियाँ हैं(2025 तक)। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश ने कृषि बाजार पर विधि बनाई(राज्य सूची, प्रविष्टि 28)।
खंड(4): केंद्रशासित प्रदेशों में संसद की शक्ति: संसद को केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सातवीं अनुसूची की किसी भी सूची में वर्णित विषयों पर विधि बनाने का अधिकार है। उदाहरण: 2025 में, संसद ने दिल्ली के लिए स्थानीय प्रशासन पर विधि बनाई।
महत्व: संघीय संतुलन: केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा। राष्ट्रीय एकता: संसद की व्यापक शक्ति। क्षेत्रीय स्वायत्तता: राज्यों की विधायी स्वतंत्रता। केंद्रशासित प्रदेश: संसद की पूर्ण शक्ति।
प्रमुख विशेषताएँ: संघ सूची: संसद की विशेष शक्ति। राज्य सूची: राज्य की विशेष शक्ति। समवर्ती सूची: साझा शक्ति। केंद्रशासित प्रदेश: संसद की शक्ति।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: संसद ने रक्षा और विदेश नीति पर विधियाँ बनाईं। 2010 के दशक: राज्यों ने कृषि और पुलिस पर विधियाँ बनाईं। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में डेटा गोपनीयता(संघ सूची) और स्थानीय पर्यावरण नीतियों(राज्य सूची) पर विधियाँ।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: समवर्ती सूची के विषयों(जैसे, शिक्षा, श्रम) पर विवाद। केंद्र की प्रबलता: समवर्ती सूची में केंद्र की विधि की प्राथमिकता(अनुच्छेद 254)। न्यायिक समीक्षा: विधायी शक्तियों की सीमा पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 245: विधायी शक्तियों की क्षेत्रीय सीमा। अनुच्छेद 248: संसद की अवशिष्ट शक्तियाँ। अनुच्छेद 254: समवर्ती सूची में विरोध की स्थिति। सातवीं अनुसूची: तीन सूचियाँ।
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