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Article 243 J of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 13:21:51
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243J

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243J
अनुच्छेद 243J भारतीय संविधान के भाग IX(पंचायत) में आता है। यह पंचायतों के लेखाओं का लेखापरीक्षण(Audit of accounts of Panchayats) से संबंधित है। यह प्रावधान पंचायतों के वित्तीय लेखाओं के नियमित और पारदर्शी लेखापरीक्षण को सुनिश्चित करता है। यह अनुच्छेद 73वें संशोधन(1992) के द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
"राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, पंचायतों के लेखाओं के रख-रखाव और उनके लेखापरीक्षण के लिए उपबंध कर सकता है, जैसा कि वह आवश्यक समझे।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 243J पंचायतों के वित्तीय लेखाओं के रख-रखाव और लेखापरीक्षण(audit) के लिए नियम बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल को देता है। यह पंचायतों में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य पंचायती राज संस्थाओं में वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करना, भ्रष्टाचार को रोकना, और संघीय ढांचे में स्थानीय निकायों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान 73वें संशोधन(1992) द्वारा जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया। यह अनुच्छेद 148(नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) और अनुच्छेद 243H(पंचायतों के वित्त) से प्रेरित है। भारतीय संदर्भ: 1992 से पहले, पंचायतों के लेखापरीक्षण की प्रक्रिया असमान और अनौपचारिक थी। इस संशोधन ने इसे संवैधानिक और व्यवस्थित बनाया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान ग्रामीण शासन में वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 243J के प्रमुख तत्व
लेखाओं का रख-रखाव: राज्य विधानमंडल पंचायतों के लिए लेखाओं के रख-रखाव के नियम बना सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि पंचायतों के वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड व्यवस्थित और पारदर्शी हो। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश में पंचायतों के लिए डिजिटल लेखा प्रणाली लागू।
लेखापरीक्षण: राज्य विधानमंडल लेखापरीक्षण की प्रक्रिया को निर्धारित कर सकता है। यह पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन की जाँच और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए है। उदाहरण: 2025 में, बिहार में पंचायत लेखाओं का वार्षिक लेखापरीक्षण जिला लेखापरीक्षा अधिकारी द्वारा।
राज्य विधानमंडल की भूमिका: लेखापरीक्षण और लेखा प्रक्रिया राज्य विधानमंडल की विधि पर निर्भर करती है। यह राज्यों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार लचीलापन प्रदान करता है। उदाहरण: राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में लेखापरीक्षण के लिए विशेष प्रावधान।
महत्व: वित्तीय पारदर्शिता: पंचायतों के लेखाओं का नियमित लेखापरीक्षण। जवाबदेही: वित्तीय अनुशासन और भ्रष्टाचार की रोकथाम। ग्रामीण विकास: निधियों का उचित उपयोग। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों में समन्वय।
2025 स्थिति: डिजिटल युग में पंचायत लेखाओं का ण। चुनौतियाँ और विवाद: स्थिति की पुष्टि।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 243H: पंचायतों के कर और निधियाँ। अनुच्छेद 243I: राज्य वित्त आयोग। अनुच्छेद 148: नियंत्रक और महालेखापरीक्षक।
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