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Article 231 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 12:25:56
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 231

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 231
अनुच्छेद 231 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय V(राज्य में उच्च न्यायालय) में आता है। यह दो या अधिक राज्यों के लिए साझा उच्च न्यायालय की स्थापना(Establishment of a common High Court for two or more States) से संबंधित है। यह प्रावधान संसद को दो या अधिक राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय स्थापित करने की शक्ति देता है।
"(1) इस संविधान के भाग VI के अध्याय V में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, संसद, विधि द्वारा, दो या अधिक राज्यों के लिए या दो या अधिक राज्यों और एक या अधिक केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय स्थापित कर सकती है।
(2) खंड(1) के अधीन स्थापित किसी उच्च न्यायालय के संबंध में:
(क) इस अध्याय के उपबंध, जहाँ तक लागू हों, उसी प्रकार लागू होंगे जैसे वे किसी अन्य उच्च न्यायालय के लिए लागू होते हैं; और
(ख) इस संविधान के अन्य उपबंधों में उच्च न्यायालय के प्रति निर्देश, उस उच्च न्यायालय के रूप में समझे जाएँगे।"
विस्तृत विश्लेषण
उद्देश्य: अनुच्छेद 231 संसद को दो या अधिक राज्यों या राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय स्थापित करने की शक्ति देता है। यह साझा उच्च न्यायालय उन क्षेत्रों में न्यायिक प्रशासन को सुव्यवस्थित करता है। इसका लक्ष्य न्यायिक दक्षता, संघीय ढांचे में समन्वय, और न्याय तक पहुँच को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से सीधे प्रेरित नहीं है, लेकिन यह स्वतंत्र भारत की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया, विशेष रूप से छोटे राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के लिए। यह क्षेत्रीय और प्रशासकीय दक्षता को बढ़ावा देने की आवश्यकता को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान छोटे राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग उच्च न्यायालय स्थापित करने की बजाय साझा उच्च न्यायालयों की व्यवस्था के लिए बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान संसाधनों का इष्टतम उपयोग और न्यायिक एकरूपता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 231 के प्रमुख तत्व
खंड(1): साझा उच्च न्यायालय की स्थापना: संसद विधि द्वारा दो या अधिक राज्यों या राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय स्थापित कर सकती है। यह प्रावधान भाग VI, अध्याय V के अन्य प्रावधानों पर प्रभाव डाले बिना लागू होता है। उदाहरण: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, जो दोनों राज्यों के लिए साझा है।
खंड(2): लागू उपबंध: साझा उच्च न्यायालय पर भाग VI, अध्याय V के प्रावधान लागू होंगे, जैसे कि वह किसी अन्य उच्च न्यायालय के लिए लागू होते हैं। संविधान के अन्य प्रावधानों में उच्च न्यायालय का उल्लेख साझा उच्च न्यायालय के रूप में समझा जाएगा। उदाहरण: 2025 में, असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के उपबंध लागू।
महत्व: न्यायिक दक्षता: छोटे राज्यों में संसाधनों का इष्टतम उपयोग। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: साझा उच्च न्यायालयों में स्वायत्तता। लोकतांत्रिक शासन: समान न्याय तक पहुँच। संघीय ढांचा: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: साझा उच्च न्यायालय: संसद द्वारा स्थापना। उपबंध: अन्य उच्च न्यायालयों जैसे। न्यायपालिका: दक्षता और समन्वय। संविधान: संघीय संरचना।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1966: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की स्थापना। 1975: गुवाहाटी उच्च न्यायालय को कई पूर्वोत्तर राज्यों के लिए साझा बनाया गया। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में साझा उच्च न्यायालयों की कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: क्षेत्रीय संतुलन: साझा उच्च न्यायालयों में राज्यों के बीच समन्वय की चुनौती। संसाधन बँटवारा: वित्तीय और प्रशासकीय संसाधनों का बँटवारा।न्यायिक समीक्षा: साझा उच्च न्यायालयों की स्थापना की वैधता पर जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 230: केंद्रशासित प्रदेशों में क्षेत्राधिकार विस्तार। अनुच्छेद 241: केंद्रशासित प्रदेशों में उच्च न्यायालय। अनुच्छेद 214: उच्च न्यायालयों का गठन।
Conclusion
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