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Article 222 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 11:38:50
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 222

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 222
अनुच्छेद 222 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय V(राज्य में उच्च न्यायालय) में आता है। यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण(Transfer of a Judge from one High Court to another) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की शक्ति प्रदान करता है।
"(1) राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को, चाहे वह स्थायी हो या अतिरिक्त या कार्यकारी न्यायाधीश हो, एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर सकता है।
(2) जब कोई न्यायाधीश इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है, तो वह अपने वेतन के अतिरिक्त ऐसे प्रतिपूरक भत्ते का हकदार होगा, जो राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा निर्धारित किया जाए।"
विस्तृत विश्लेषण
उद्देश्य: अनुच्छेद 222 राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को एक उच्च न्यायालय से दूसरे में स्थानांतरण करने की शक्ति देता है। यह स्थानांतरण सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से किया जाता है। स्थानांतरित न्यायाधीशों को प्रतिपूरक भत्ता प्रदान किया जाता है। इसका लक्ष्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक एकरूपता, और संघीय ढांचे में राष्ट्रीय एकीकरण और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित नहीं है, क्योंकि उसमें स्थानांतरण की ऐसी व्यवस्था नहीं थी। यह भारतीय संविधान की एक विशिष्ट विशेषता है, जो राष्ट्रीय एकीकरण और न्यायिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान क्षेत्रीय पक्षपात को कम करने और न्यायाधीशों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान न्यायाधीशों के स्थानांतरण के माध्यम से न्यायपालिका में एकरूपता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 222 के प्रमुख तत्व
खंड(1): स्थानांतरण की शक्ति: राष्ट्रपति किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश(स्थायी, अतिरिक्त, या कार्यकारी) को एक उच्च न्यायालय से दूसरे में स्थानांतरित कर सकता है। यह स्थानांतरण सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से किया जाता है। उदाहरण: 2025 में, एक न्यायाधीश को दिल्ली उच्च न्यायालय से मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया।
खंड(2): प्रतिपूरक भत्ता: स्थानांतरित न्यायाधीश अपने वेतन के अतिरिक्त प्रतिपूरक भत्ता का हकदार होगा, जो राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह भत्ता स्थानांतरण से उत्पन्न अतिरिक्त व्यय को कवर करता है। उदाहरण: 2025 में, एक स्थानांतरित न्यायाधीश को आवास और यात्रा के लिए भत्ता प्रदान किया गया।
महत्व: न्यायिक निष्पक्षता: क्षेत्रीय प्रभाव और पक्षपात को कम करना। न्यायिक एकरूपता: विभिन्न उच्च न्यायालयों में समान दृष्टिकोण। लोकतांत्रिक शासन: राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा। संघीय ढांचा: राज्यों के बीच न्यायिक समन्वय।
प्रमुख विशेषताएँ: स्थानांतरण: राष्ट्रपति द्वारा। परामर्श: CJI के साथ। प्रतिपूरक भत्ता: वित्तीय सहायता। न्यायपालिका: निष्पक्षता और एकरूपता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1970 के दशक: स्थानांतरण नीति पर विवाद शुरू। 1990 के दशक: कॉलेजियम प्रणाली ने स्थानांतरण में भूमिका निभाई। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में स्थानांतरण प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: स्थानांतरण का दुरुपयोग: दंडात्मक स्थानांतरण के आरोप। न्यायिक स्वतंत्रता: कार्यकारी हस्तक्षेप की आशंका।न्यायिक समीक्षा: स्थानांतरण की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति। अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण।
Conclusion
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