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Article 210 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 11:11:17
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 210

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 210
अनुच्छेद 210 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय III(राज्य का विधानमंडल) में आता है। यह राज्य विधानमंडल में कार्यवाही की भाषा(Language to be used in the Legislature) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल में कार्यवाही के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा को नियंत्रित करता है।
"(1) इस संविधान में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधानमंडल की कार्यवाही उस राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में, या हिंदी में, या यदि उस राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में से कोई हिंदी नहीं है, तो अंग्रेजी में होगी:
परंतु यह कि विधानमंडल का कोई सदन अपने नियमों द्वारा यह उपबंध कर सकता है कि इस खंड के अधीन कार्यवाही किसी अन्य भाषा में भी की जा सकती है।
(2) जब तक किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे, और जब तक पंद्रह वर्ष की अवधि इस संविधान के प्रारंभ से समाप्त न हो जाए, तब तक उस राज्य के विधानमंडल की कार्यवाही में अंग्रेजी का उपयोग वैकल्पिक रूप से किया जा सकता है:
परंतु यह कि वह अवधि समाप्त होने के बाद भी, उस राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की सहमति से, उस विधानमंडल को यह प्राधिकृत कर सकता है कि वह अपनी कार्यवाही में अंग्रेजी का उपयोग वैकल्पिक रूप से कर सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 210 राज्य विधानमंडल में कार्यवाही के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा को निर्धारित करता है, जिसमें राज्य की राजभाषा, हिंदी, या अंग्रेजी शामिल हो सकती है। यह भाषाई विविधता को सम्मान देते हुए विधायी कार्यवाही में एकरूपता और स्पष्टता सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में भाषाई समावेशिता और कार्यकुशलता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय विधानमंडलों में भाषा के उपयोग को नियंत्रित करता था। यह भारत की भाषाई विविधता और औपनिवेशिक काल में अंग्रेजी के प्रचलन को ध्यान में रखता है।
भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, भारत की बहुभाषी प्रकृति को समायोजित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 120(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान राज्यों को अपनी भाषाई पहचान बनाए रखने के साथ राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देता है।
अनुच्छेद 210 के प्रमुख तत्व
खंड(1): कार्यवाही की भाषा: विधानमंडल की कार्यवाही राज्य की राजभाषा, हिंदी, या अंग्रेजी(यदि राजभाषा हिंदी नहीं है) में होगी। विधानमंडल अपने नियमों द्वारा अन्य भाषाओं के उपयोग की अनुमति दे सकता है। उदाहरण: 2025 में, तमिलनाडु विधानसभा ने तमिल और अंग्रेजी में कार्यवाही की।
खंड(2): अंग्रेजी का वैकल्पिक उपयोग: संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष(1965 तक) तक, या जब तक विधानमंडल कानून द्वारा अन्यथा उपबंध न करे, अंग्रेजी का उपयोग वैकल्पिक रूप से किया जा सकता है। 1965 के बाद, राज्यपाल(राष्ट्रपति की सहमति से) अंग्रेजी के उपयोग को प्राधिकृत कर सकता है। उदाहरण: कुछ राज्यों ने 1965 के बाद अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखने के लिए राज्यपाल की अनुमति ली।
महत्व: भाषाई समावेशिता: राज्य की राजभाषा को प्राथमिकता। लोकतांत्रिक शासन: विधायी कार्यवाही में भाषाई स्पष्टता। संघीय ढांचा: राज्यों की भाषाई स्वायत्तता। लचीलापन: अन्य भाषाओं के उपयोग की अनुमति।
प्रमुख विशेषताएँ: राजभाषा: प्राथमिक उपयोग। हिंदी/अंग्रेजी: वैकल्पिक भाषाएँ। नियम: अन्य भाषाओं की अनुमति। राज्यपाल: अंग्रेजी के लिए प्राधिकरण।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1965: कई राज्यों ने अंग्रेजी का उपयोग जारी रखा। 1965 के बाद: राजभाषा के साथ अंग्रेजी का उपयोग प्राधिकृत। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में बहुभाषी कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: भाषाई विवाद: हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बीच तनाव। अंग्रेजी का उपयोग: गैर-हिंदी भाषी राज्यों में विवाद।न्यायिक समीक्षा: भाषा नियमों की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 120: संसद में भाषा। अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा। अनुच्छेद 348: न्यायालयों में भाषा।
Conclusion
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