Recent Blogs

Blogs View Job Hindi Preparation Job English Preparation
Article 125 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 13:05:19
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 125

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 125
अनुच्छेद 125 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय IV (संघीय न्यायपालिका) में आता है। यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन आदि (Salaries, etc., of Judges) से संबंधित है। यह प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्तों, और अन्य सेवा शर्तों को नियंत्रित करता है, ताकि उनकी स्वतंत्रता और गरिमा बनी रहे।
अनुच्छेद 125 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को ऐसा वेतन दिया जाएगा जो संसद विधि द्वारा समय-समय पर निर्धारित करे और जब तक इस प्रकार उपबंधित न किया जाए, तब तक दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट वेतन दिया जाएगा।
(2) प्रत्येक न्यायाधीश को ऐसी सुविधाएँ, भत्ते और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो राष्ट्रपति समय-समय पर आदेश द्वारा निर्धारित करे:
परंतु यह कि किसी न्यायाधीश के वेतन, विशेषाधिकारों, भत्तों या अवकाश के अधिकारों या अन्य सेवा की शर्तों को उसके नियुक्त होने के पश्चात् उसके लिए प्रतिकूल रूप से परिवर्तित नहीं किया जाएगा:
परंतु यह और कि इस खंड में कोई बात ऐसी नहीं होगी जो इस संविधान के अधीन किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रक्रिया को प्रभावित करे।
(3) सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होगा।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 125 सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्तों, सुविधाओं, और सेवा शर्तों को निर्धारित करता है, ताकि उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और गरिमा सुनिश्चित हो। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वेतन और सुविधाएँ कार्यपालिका या विधायिका के दबाव से मुक्त होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि न्यायाधीशों की सेवा शर्तें नियुक्ति के बाद प्रतिकूल रूप से परिवर्तित न हों।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश और अन्य लोकतांत्रिक प्रणालियों से प्रेरित है, जहाँ न्यायाधीशों की आर्थिक स्वतंत्रता को उनकी स्वतंत्रता का आधार माना जाता है। भारतीय संदर्भ: भारत में, सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक है, और अनुच्छेद 125 इसकी स्वतंत्रता को मजबूत करता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान न्यायाधीशों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है, ताकि वे बिना दबाव के निष्पक्ष निर्णय ले सकें।
3. अनुच्छेद 125 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन संसद द्वारा विधि के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा। यदि संसद द्वारा कोई विधि नहीं बनाई गई, तो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट वेतन लागू होगा। वर्तमान स्थिति: सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1958 (और बाद के संशोधन) के तहत वेतन निर्धारित। 2025 में, मुख्य न्यायाधीश का वेतन लगभग ₹2.8 लाख प्रति माह और अन्य न्यायाधीशों का ₹2.5 लाख प्रति माह।
खंड (2): भत्ते और सुविधाएँ न्यायाधीशों को सुविधाएँ, भत्ते, अवकाश, और पेंशन के अधिकार संसद द्वारा विधि या राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निर्धारित होंगे। पहला परंतुक: नियुक्ति के बाद इन शर्तों को प्रतिकूल रूप से परिवर्तित नहीं किया जा सकता। उद्देश्य: न्यायाधीशों की स्वतंत्रता की रक्षा। दूसरा परंतुक: यह प्रावधान महाभियोग (अनुच्छेद 124(4)) की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता। उदाहरण: 2018 में, वेतन और भत्तों में संशोधन, लेकिन मौजूदा न्यायाधीशों के लिए प्रतिकूल परिवर्तन नहीं।
खंड (3): संचित निधि पर भार न्यायाधीशों का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होगा, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वेतन संसदीय मंजूरी के बिना प्रभावित न हो। उदाहरण: यह प्रावधान वेतन की सुरक्षा को मजबूत करता है।
4. महत्व: न्यायपालिका की स्वतंत्रता: आर्थिक स्वतंत्रता से न्यायाधीश बिना दबाव के निर्णय ले सकते हैं। शक्ति पृथक्करण: कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्रता। संचित निधि: वेतन की गारंटी। लोकतांत्रिक जवाबदेही: संसद को वेतन निर्धारित करने की शक्ति, लेकिन प्रतिकूल परिवर्तन पर रोक।
5. प्रमुख विशेषताएँ: वेतन का निर्धारण: संसद द्वारा। संचित निधि: वेतन की गारंटी। प्रतिकूल परिवर्तन पर रोक: नियुक्ति के बाद। महाभियोग अपवाद: हटाने की प्रक्रिया।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1958 अधिनियम: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और शर्तों को नियंत्रित करने वाला पहला कानून। 2018 संशोधन: वेतन और भत्तों में वृद्धि। 2025 स्थिति: वेतन में मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजन पर चर्चा।
7. चुनौतियाँ और विवाद: वेतन संशोधन की माँग: कुछ लोग तर्क देते हैं कि वेतन को और अधिक बढ़ाना चाहिए। प्रतिकूल परिवर्तन की परिभाषा: इस पर अस्पष्टता, जैसे पेंशन नियमों में बदलाव। न्यायिक समीक्षा: वेतन और शर्तों पर संसद की शक्ति सीमित रूप से समीक्षा योग्य।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचे का हिस्सा। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981): न्यायाधीशों की स्वतंत्रता में आर्थिक स्वतंत्रता शामिल।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, वेतन और भत्तों में संशोधन की चर्चा। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत वेतन संशोधन प्रक्रिया रिकॉर्ड। विपक्ष ने न्यायिक स्वतंत्रता पर जोर दिया। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच वेतन संशोधन पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय का गठन। अनुच्छेद 121: वेतन पर चर्चा प्रतिबंध। अनुच्छेद 221: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का वेतन।
11. विशेष तथ्य: वेतन 2025: CJI ₹2.8 लाख, अन्य ₹2.5 लाख। संचित निधि: वेतन की गारंटी। 2018 संशोधन: वेतन वृद्धि। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogs

Loan Offer

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer